रविवार, 1 मई 2016

राग दरबार:- ‘पीएम इन वेटिंग’ का गेमप्लान


नीतीश बाबू का सपना
भारत जैसे देश पर राज करने की कसक राजनीति में ऐसे बढ़ रही है जिसके लिए ‘पीएम इन वेटिंग’ की कतार बढ़ती ही जा रही है। जबकि कुछ के मंसूबों पर पानी फिर गया है। जबकि अभी आम चुनाव तीन साल बाद होने हैं। फिर भी जदयू के प्रमुख को हाशिये पर धकेलकर कमान संभालने वाले नीतीश बाबू आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ सभी दलों को एकजुट करके गठजोड करने की मुहिम चलाकर ‘पीएम इन वेटिंग’ की कतार का नया चेहरा बने हैं, जिसके लिए फिलहाल तो इस कतार में निराशा झेल चुके मुलायम सिंह यादव व शरद पवार जैसे नेता भी वकालत करके उनके नाम को आगे करने में लगे हैं। हालांकि ऐसी ही इच्छा पहले से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उनसे दो कदम आगे चल रहे हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय मुद्दों पर खासकर पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने के आदि बन चुके हैं। देश की राजनीति में जनहित के मुद्दो को हाशिए पर धकेलते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद उनके उत्तराधिकारी बनने के हसीन सपने देख रहे खासकर नीतीश, राहुल गांधी और केजरीवाल पीएम इन वेटिंग की कतार में अन्य सभी को पीछे धकेलकर आगे खड़े होने का तानाबाना बुन रहे हैं। जबकि इससे पहले इस रेस में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, राकांपा प्रमुख शरद पवार, बसपा प्रमुख मायावती के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता और मौजूदा मार्गदर्शक मंडल में शामिल लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा को मार चुके हैं। जहां नीतीश के हसीन सपनों का सवाल है उसके लिए राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उन्होंने जदयू की कमान अपने हाथो में लेते ही मोदी सरकार को नाकाम करार देते हुए देश को आरएसएस मुक्त बनाने का नारा दिया है। यह उनका खुद का गेम प्लान है और देश की राजनीति हर वक्त जिस तरह की करवटे बदलती है उसे देखते हुए पीएम की कुर्सी हासिल करने के लिए ऐसे गेम प्लान फेल होने के इस आजाद भारत में इतिहास बनते देखे गये हैं।
कांगे्रस की चुनौती स्वामी
राज्यसभा में मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा बुलंद करती आ रही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मिथक को तोड़ने के लिए भाजपा की रणीनीति से कांग्रेस ही नहीं अन्य दल भी हैरत में पड़ते नजर आए। मसलन गांधी परिवार और कांग्रेस के दिग्गजो को अदालती कठघरे में खड़ा करते आ रहे भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की राज्यसभी में धमाकेदार एंट्री ने कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है। अभी तक संसद से बाहर कांग्रेस की चुनौती बने हुए थे, लेकिन अब संसद में आते ही पहले ही दिन से कांग्रेस को ऐसा ललकारा है कि वह पूरी तरह हलकान नजर आ रही है। वीवीआईपी हैलीकाप्टरों की डील पर चर्चा के लिए नोटिस देकर जिस तरह की टिप्पणी पर कांग्रेस ने ऐतराज करके कार्यवाही से हटवाया, उसके लिए भी स्वामी ने चुनौती देकर कांग्रेस के सामने मुश्किले खड़ी कर दी है। राजनीतिकारों की माने तो भाजपा ने स्वामी के रूप में संसद में कांग्रेस के अहंकार को तोड़ने की जो सियासी रणनीति को अंजाम दिया है उसकी किसी को पहचान तक नहीं होगी।
एकमात्र ईमानदार एंटनी...
वीवीआईपी हेलिकाप्टर घोटाले में एक के बाद एक हो रहे सनसनीखेज खुलासों में पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व पीएम के अलावा कई दिग्गज नेताओं के नामों का खुलासा हो चुका है। कांग्रेस ने मामले को बढ़ता देख अपना दामन बचाने के लिए यहां तक कह दिया कि उसने भ्रष्टाचार की भनक लगते ही कंपनी के साथ सौदा रद्द करके देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई के हाथों में जांच सौंप दी थी। अब मौजूदा सरकार बताए कि उसने बीते करीब दो सालों में इस मामले में क्या किया। सत्ता पक्ष और विपक्ष की इस गुथमगुथा के बीच एक अकेला व्यक्ति ऐसा भी है जिसके हाथ में सौदे को परवान चढ़ाते वक्त रक्षा मंत्रालय की कमान थी। लेकिन उसके नाम का दूर-दूर तक कोई जिक्र तक नहीं है। वो हैं ए.के.एंटनी। इसके पीछे एंटनी की ईमानदार नेता की छवि ही बड़ा कारण नजर आती है। उनकी सादगी और ईमानदारी के चर्चे तो यूपीए सरकार में भी खूब सुने जाते थे। घोटाले का सच-झूठ कुछ भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि इस घोटले में एकमात्र ईमानदार एंटनी ही हैं।
01May-2016

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