गुरुवार, 5 मई 2016

‘नमामि गंगे’ पर बढ़ा एक ओर कदम!

नदियों के तट व घाटो पर खर्च होंगे 2446 करोड़
ओ.पी. पाल . नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है, जिसमें उत्तराखंड, यूपी, बिहार और झारखंड में गंगा तथा दिल्ली में यमुना के तटो और घाटो के विकास के लिए 2446 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सरंक्षण मंत्रालय के अनुसार नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की अधिकार प्राप्त संचालन समिति ने उत्तराखंड में हरिद्वार जिले, उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर, बिहार में बक्सर, हाजीपुर और सोनपुर, झारखंड में साहेबगंज, राजमहल और कन्हैया घाट में गंगा के तट के अलावा दिल्ली में यमुना पर घाटों और श्मशान स्थलों के विकास की परियोजनाओं को मंजूरी देते हुए यह राशि स्वीकृत की है। इन परियोजनाओं पर 2446 करोड़ रुपए खर्च करके इन स्थानों पर घाटों और शमशान स्थलों के विकास से गंगा और यमुना में प्रदूषण में कमी लाने का प्रयास होगा। ये सभी परियोजनाएं केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत होगी और पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
वनीकरण की समीक्षा
केंद्र की इस संचालन समिति ने गंगा के किनारे वृक्षारोपण के लिए जारी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की भी समीक्षा की। इस रिपोर्ट में गंगा के किनारे बड़ी मात्रा में वनों का निर्माण करके नदी में जल प्रवाह को बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने के सुझाव दिए गए हैं। वहीं इसमें गंगा के किनारे के पांच राज्यों में गंगा से जुड़े विभिन्न अध्ययनों को बढ़ावा देना और अन्य नदियों के बारे में इस परियोजना का इस्तेमाल करना शामिल है। वनीकरण की इस परियोजना पर पांच वर्ष के दौरान 2294 करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला लिया गया है। समिति द्वारा मंजूर की गई सभी परियोजनाओं की समीक्षा वन और पर्यावरण मंत्रालय के महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के समूह द्वारा गठित स्वतंत्र इकाईयों द्वारा भी की गई है।
उमा भारती भी गंभीर
नमामि गंगे मिशन को लेकर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती भी इतनी गंभीर है कि वह दैनिक आधार पर स्वयं नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा कर रही हैं, ताकि इस कार्यक्रम की सफलता मिशन मोड पर सुनिश्चित की जा सके। जहां तक अधिकार प्राप्त संचालन समिति का सवाल है उसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव कर रहे हैं और समिति के अन्य सदस्यों में केंद्रीय वन और पर्यावरण, वित्त, शहरी विकास और विद्युत मंत्रालय के प्रतिनिधियों के अलावा गंगा किनारे के पांच राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
05May-2016


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