रविवार, 8 मई 2016

राग दरबार: सिंघवी के नहले पर र्पिर्रकर का दहला

अकबर-बीरबल की कांग्रेस
इसे ही कहते हैं नहले पर दहला। राज्यसभा में अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर डील पर बहस के दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि आज अभिषेक मनु सिंघवी चले गए। उनका बड़ा नुकसान हो गया। इतनी अच्छी तरह उन्होंने मामला पेश किया कि एक बार तो वह भी सोचने लगे कि सिंघवी एक अच्छे वकील हैं, लेकिन इस मामले में एक बात तो महसूस हुई कि अगर केस कमजोर हो तो अच्छा वकील भी उस मुकदमे को जीत नहीं सकता। पर्रिकर ने सदन में अकबर और बीरबल पर आधारित एक कहानी के जरिये अगस्ता वेस्टलैंड मुद्दे पर गरमाई सियासत का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ने का प्रयास किया। यानि कुछ यूं नहले पर दहला मारते हुए पर्रिकर ने कहा कि एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा कि सोने का चम्मच चोरी हो गया है। बीरबल ने सारे नौकरों को बुलाया और कहा कि ये बांस पकड़ो। ये जादुई बांस है। जिसने चोरी की होगी, उसका बांस रातभर में चार इंच बढ़ जाएगा। जिसने चोरी की थी, वह बेचैन था। उसने अपना बांस चार इंच काट दिया। अगले ही दिन वह पकड़ा गया। लगता है कि कांग्रेस ने भी अपने सारे बांस काट दिए हैं। उनके इस जवाब पर सदन ठहाकों से गूंज उठा।
कुछ यूं मिली ईरानी को शाबाशी...
आमतौर पर संसद में होने वाली तमाम विभागीय चर्चाओं के दौरान ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि जब संबंधित मंत्री सदन में सदस्यों द्वारा उठाए जाने वाले सभी सवालों का जवाब देते हों। लेकिन कभी अचानक पस्थितियां बदल जाती हैं और विभागीय मंत्री एक के बाद एक सभी प्रश्नों के जवाब देते हुए नजर आते हैं। इसके लिए उन्हें मिल जाती है सदन के मुखिया यानि अध्यक्ष की शाबाशी। ऐसा ही एक नजारा बीते दिनों राज्यसभा में देखने को मिला जब सदन में एचआरडी मंत्रालय के कार्यकरण पर चर्चा हुई। सदन में मौजूद विभिन्न दलों के सांसदों ने विभागीय मंत्री स्मृति ईरानी से शिक्षा के मुद्दे पर कई सवाल पूछे। जिनका उन्होंने एक-एक सदस्य को विस्तार से जवाब दिया। इस पर खुश होकर राज्यसभा उपाध्यक्ष पी.जे.कुरियन ने कहा कि आपने सारे प्रश्नों के जवाब दिए। कई बार मंत्री प्रश्नों को अनदेखा कर देते हैं। आपने ऐसा नहीं किया। यह अच्छी बात है, गूड, गूड। 
पवार के बयान पर बवाल
प्रधानमन्त्री बनने का सपना हमारे देश के नेताओं का पुराना शगल रहा है। अब देखिये लोकसभा चुनाव 2019 में हैं और क्षेत्रीय दलों के लगभग सभी नेता खुद को किसी दूसरे से ज्यादा काबिल सिद्ध करने में लगे हुए हैं। एनसीपी नेता शरद पवार ने जैसे ही कहा की नीतीश कुमार बीजेपी और कांग्रेस से नाखुश दलों के नेता के तौर पर पहले विकल्प हो सकते हैं वैसे ही दूसरे नेताओं के खेमे में बैचेनी बढ़ गयी। पिछले लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई बीएसपी की नेता मायावती ने तुरंत कह दिया पवार का बयान सही नहीं है। यूपी के अखिलेश बोले तीसरे मोर्चे के नेता बनने की काबिलियत सिर्फ नेता जी में है। अब भला मुलायम यादव की तो बरसों से चाहत है पीएम बनने की। लालू यादव को लगता है कि कोई उनसे तो पूछे। आखिर जिस नीतीश को प्रधानमन्त्री बनाने की बात पवार कह रह हैं उनकी पार्टी से ज्यादा सीट तो बिहार चुनाव में राजद ने हासिल की थी। ममता बनर्जी और जयललिता अगर हालिया विधानसभा चुनाव जीती तो वे भी पीएम बनने की लाइन में शामिल हो जायेंगी। कुछ भी हो पर विपक्ष के नेता एक बात तो भूल रहे हैं कि मोदी जी अगले चुनाव में भी बीजेपी की जीत का दावा ठोक रहे हैं। ऐसे में लगता नहीं की नीतीश, मुलायम या किसी अन्य नेता का सपना पूरा होगा।
-हरिभूमि ब्यूरो
08May-2016

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