सोमवार, 2 मई 2016

देश्‍ाभर में लागू हुआ रियल एस्टेट कानून


बिल्डरों की जवाबदेही तय-घर के सपने होंगे पूरे 
केंद्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित करने और बिल्डरों की जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में रविवार को रियल एस्टेट कानून लागू कर दिया गया है। इसके लागू होने से जहां बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कस जाएगी, वहीं आम आदमी अपने घरो के सपनों को पूरा कर सकेगा। संसद के बजट सत्र के पहले चरण में गत मार्च को संसद की मुहर लगने के बाद रियल एस्टेट कानून की अधिसूचना जारी कर दी गई थी, जिसके अनुसार यह कानून रविवार से पूरे देश में प्रभावी हो गया है। इस कानून के तहत अब बिल्डरों को तय समय के भीतर ग्राहकों को उनके फ्लैट उपलब्ध कराना जरूरी हो जाएगा यानि प्रमोटर और बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी करेंगे या नियमों का उल्लंघन करेंगे तो उन्हें भारी जुर्माने के साथ ही तीन साल तक की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। मसलन कानून के प्रावधान के मुताबिक सभी आवासीय और कॉर्मशियल परियोजनाओं के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटर के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य हो गया है और यह नियम नई और चालू परियोजनाओं दोनों पर ही लागू होगा। 500 वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट या 8 फ्लैट वाली सोसायटी को रियल एस्टेट रेगुलेटर अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो गया है। रीयल एस्टेट कानून के प्रावधान बेहद सख्त हैं, जिनके लागू होने के बाद बिल्डरों ने उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की तो तीन साल तक के लिए जेल जाना पड़ सकता है। उपभोक्ताओं से एडवांस में ली गई धनराशि का 70 फीसद हिस्सा अलग बैंक खाते में जमा करनी होगी। रियल एस्टेट कानून के प्रावधान के तहत बिल्डरों को उपभोक्ताओं से वसूली गई धनराशि 15 दिनों के भीतर बैंक में जमा करानी होगी।   
ये होंगे फायदे  
रियल एस्टेट कानून लागू होने से अब समय पर प्रोजेक्ट पूरे होंगे, तो हर एक के घर का सपना पूरा होगा। वहीं विवादों के जल्द निपटारे से सेक्टर की क्षमता के साथ पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, तो अवैध निर्माण पर भी शिकंजा कस जाएगा। मॉडल एग्रीमेंट में बिल्डर और ग्राहक दोनों पक्ष शामिल होंगे, तो रकम का दूसरी जगह उपयोग नहीं हो सकेगा, जिसके कारण सही समय और लागत पर काम पूरा होने के आसार बढ़ जाएंगे। यही नहीं इस कानून के जरिए जमीन व घरों की कीमतें भी नियंत्रण में रहेंगी। किसी प्रकार की धांधली के प्रयास करने या फिर ट्रिब्यूनल का आदेश नहीं मानने पर बिल्डर को तीन साल की सजा और आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा।  अनिवार्य रजिस्ट्रेशन: इतने बड़े सेक्टर को संचालित करने के लिए सभी राज्यों में रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। अथॉरिटी में बिल्डरों और रीयल एस्टेट एजेंटों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।   
विलंब के लिए ब्याज: परियोजनाओं के तैयार होने में विलंब होने की दशा में बिल्डरों को उपभोक्ताओं की चुकाई रकम पर ब्याज देना होगा।    
कारपेट एरिया का आधार: परियोजना में किसी तरह के बदलाव करने के लिए कुल खरीदारों के दो तिहाई सदस्यों की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। बिल्डर परियोजना की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं बल्कि कारपेट एरिया के आधार पर ही कर सकेंगे।    
कालेधन पर रोक: 70 फीसदी पैसा चेक से जमा होने पर रियल एस्टेट में कालेधन पर रोक लगेगी।    
एकल खिड़की: कानून के तहत सभी मंजूरी के लिए एकल खिड़की होगी। यानि धर्म, जाति, नस्ल व लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकेगा।   
प्राधिकरण का गठन: राज्य स्तरीय रियल इस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) बनेंगे। मसलन अब रिहायसी व व्यावसायिक प्रोजेक्टों के लेन-देन, समय पर निर्माण व सौंपने के काम की निगरानी हो सकेगी। इसी के तहत अपील ट्रिब्यूनलों को 60 दिन में केसों का निपटारा करना होगा।
02May-2016

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