रविवार, 15 मई 2016

आठवें अजूबे से कम नहीं रामोजी फिल्म सिटी

पर्यटन और आध्यात्मिक दर्शन का विकेन्द्रीकरण
दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माण केंद्र बन चुके रामोजी फिल्म सिटी गिनिज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज है, जो मानव-निर्मित आश्चर्य की श्रेणी में शामिल होने की राह पर है। मसलन देश-विदेश के सैलानियों के लिए बहुआयामी पर्यटन स्थल के साथ अब यह जगह आध्यात्मिक दर्शन के मुकाम की ओर बढ़ रहा है, जहां समूची दुनिया सिमटी नजर आने से यह फिल्म सिटी किसी आठवें अजूबे से कम नहीं है। कारण है कि देश-विदेश के पर्यटकों को यहां बॉलीवुड और हॉलीवुड के फिल्मी दृश्यों के साथ नियमित जॉय राइड, फन इवेंट, म्यूजिक आधारित प्रोग्राम, गेम शो और डांस जैसे मनोरंजनों के साधनों की ओर आकर्षित करने लगा है। मसलन यहां एक साथ 15 से 25 फिल्मों की शूटिंग हो सकती है। यानि फिल्म की प्री-प्रोडक्शन से पोस्ट प्रोडक्शन तक की फिल्म निर्माण की तमाम नवीनतम तकनीकों और उपकरणों और किसी भी तरह के दृश्य, दिशा और दशा की विकसित ऐसी व्यवस्था के कारण फिल्म निर्माता फिल्म का आइडिया यानि केवल स्क्रीप्ट लेकर आते और तैयार फिल्म लेकर वापस जाते हैंं। रामोजी फिल्म सिटी के नजरिये पर हैदराबाद से लौटकर विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहें हैं हरिभूमि के वरिष्ठ संवाददाता ओ.पी. पाल 
फिल्मों की पटकथा पर बदलता है सबकुछ दक्षिण भारत के मशहूर फिल्म निर्माता और पद्मविभूषित रामोजी राव द्वारा वर्ष 1996 में दो हजार एकड़ से ज्यादा जगह में स्थापित किये गये रामोजी फिल्म सिटी में पर्यटक को फिल्मों के जो सेट देखने को मिलते हैं, उनमें जहां कुछ स्थायी तौर पर हैं तो कहीं नई फिल्मों के आधार पर बदलाव करके पर्यटकों के लिए कौतूहल का कारण बन रहे हैं। यहीं नहीं फिल्मों में हरेक दृश्य को यहां दिशा और दशा देने की तकनीकों को विकसित किया गया है, चाहे रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, मंदिर, महल, पोश कालोनी, शहर, गांव, वन, समुद्र, नदियां, बाजार, पशु-पक्षी, अस्पताल, कोर्ट, चर्च, गुरुद्वारा, मस्जिद, सेंट्रल जेल, हर तरह के वाहन, बिल्डिंग, पुस्तकालय, कालेज, खेल के मैदान, टैÑकिंग की व्यवस्था यानि फिल्म की पटकथा के आधार पर सबकुछ इनमें बदलाव होता रहता है। मसलन रामोजी फिल्मसिटी का रेलवे स्टेशन भी अनूठा है, जिसका नाम जरूरत के आधार पर बदलता रहता है और प्लेटफार्म व रेल इंजन भी। यहां बने ग्रामीण परिवेश, व्यस्त बाजार, हाइवे के ढाबे, सेंट्रल जेल आदि के सेट भी अत्यंत स्वाभाविक से दिखते हैं। सब कुछ बनावटी होते हुए भी यह सब पर्यटकों को इतना भाता है। ऐसे ही मंदिर में भगवान भी बदलते हैं, जिसका माहौल दोतरफा है। एक तरफ से यह शहर की भव्य सड़क पर स्थित नजर आता है तो दूसरी ओर किसी वीरान जगह का मंदिर लगता है। ऐसे ही खूबसूरत आधुनिक विला और बंगलों के बीच पहुंचकर किसी पश्चिमी देश के नगर में खड़े होने का भ्रम होता है। रामोजी फिल्मसिटी ने बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड के कई निमार्ताओं को भी प्रभावित किया। इसमें 500 से ज्यादा सेट लोकेशन हैं। सैंकड़ों उद्यान, पचास के करीब स्टूडियो μलोर, अधिकृत सेट्स, डिजिटल फिल्म निर्माण की सुविधाएं, आउटडोर लोकेशन, उच्च-तकनीक के लैस प्रयोगशालाएं, तकनीकी सहायता सभी मौजूद है। फिल्म की आधारभूत संरचना में कॉस्ट्यूम, लोकेशन, मैकअप, सेट-निर्माण, कैमरा, उपकरण, आॅडियो प्रोडक्शन, डिजीटल पोस्ट प्रोडक्शन और फिल्म प्रोसेसिंग की व्यवस्था के बीच यहां एक साथ बीस विदेशी फिल्म और चालीस देशी फिल्में बनाई जा सकती हैं। यहां न सिर्फ देशी, बल्कि अमेरिका, जापान, चीन सहित अन्य देशों से फिल्म निमार्ता भी आते हैं। फिल्मों के रुपहले संसार के प्रति आम आदमी का आकर्षण देखते हुए जब इसे एक दर्शनीय पर्यटन स्थल के रूप में खोला गया तो यहां सैलानियों का तांता ही लग गया। रामोजी फिल्मसिटी की बढ़ती प्रसिद्धि के कारण ही बाद में इसे एक हॉलिडे डेस्टीनेशन का रूप दे दिया गया। जहां हर दिन खास डांस-मस्ती, मूवी मैजिक, रियल स्टंट शो और कई प्रकार की मनोरंजक गतिविधियां होती हैं। फिल्म सिटी में पर्यटक स्वयं महसूस कर सकता है कि फिल्मी दुनिया कैसी होती है? फिल्म निर्माण और उससे जुड़े तमाम पहलुओं को बारीकियों के साथ जानने का मौका मिलता है। रील के संसार के जगमग सितारों के साथ पर्यटक मूवी मैजिक में भागीदार हो जाना भी एक खास आकर्षण हैं।
बहुआयामी पर्यटन स्थल
हैदराबाद के निकट दो हजार एकड़ से ज्यादा जगह में स्थापित रामोजी फिल्म सिटी सपनों की पूरी दुनिया समाकर एक ऐसा स्वप्नलोक का अहसास कराता है, जहां कहने को तो यह फिल्मों की शूटिंग का एक केंद्र है, लेकिन यह एक ऐसी जगह भी है जो अपने अंदर पर्यटन के कई आयाम समेटे हुए है। यहां कुदरत के नजारे भी हैं और ऐतिहासिक स्थल भी। अपनी खूबसूरती और सुविधाओं के कारण दुनिया का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में यह जगह देशी-विदेशी जगहों पर घूमने का ऐसा अहसास और रोमांच का ऐसा अनुभव कराती है, जैसे किसी परिलोक की यात्रा पर हों यानि पूरी दुनिया यहीं सिमट गई हो। खजुराहो की तर्ज पर बनी नारी सौंदर्य की तमाम अनुकृतियों, जापान के किसी उद्यान की खूबसूरती के साथ पर्यटन के इतने सारे आयामों का अहसास होता है कि जैसे सपनों की पूरी दुनिया सामने खड़ी हो। हो भी क्यों न? आखिर पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां दो-चार नहीं, बल्कि पचास से अधिक छोटे बड़े मनमोहक उद्यान हैं। इनमें हर रंग के फूलों की अभूतपूर्व छटा बिखरी हुई है। ड्रीम वैली पार्क में फव्वारों के इर्द-गिर्द टहलते युगल कुछ ऐसा ही महसूस कराते हैं। एनीमल गार्डन में बहुत से वन्य प्राणियों की हरी-भरी आकृतियां देख तो ऐसा लगता है जैसे किसी अभ्यारण्य में आ गये हैं। इसी तरह डेजर्ट गार्डन और कोम्बो गार्डन की जीवंत दृश्यावली भी नवविवाहित युगलों का मन मोह लेती है। पार्को के आसपास ऊंची-नीची सुंदर सड़कों पर ऐसे घूमा जाता है जैसे किसी पर्वतीय स्थल शिमला का मॉल रोड हो। इन्हीं सड़कों के बीच स्थित एंजेल्स फाउन्टेन भी बेहद आकर्षक है। रोमन कला के इस सुंदर नमूने को देख से एक अनोखा स्पंदन होता है। वहीं अलग-अलग मुद्राओं में सौंदर्य का रूप पांच नारियों की जीवंतता विशाल मूर्तियों में खजुराहो की याद दिलाती है। वैसे तो इतिहास में कुछ पीछे जाएं तो मौर्यकाल की याद दिलाने वाला यूरेका का विशाल और भव्य द्वार किसी मौर्य सम्राट के किले के से कम नहीं है, जहां एक मार्ग पर अरब की संस्कृति, तो दूसरे मार्ग पर अमेरिका संस्कृति वहां के प्राचीन काउ ब्वाय विलेज का सा नजारा है। यहां तीन और पांच सितारा होटलों के साथ अत्याधुनिक होटल और रेंस्तरा की सुविधाओं के साथ पर्यटकों को फिल्म सिटी की सैर कराने के लिए आकर्षक बसों एवं अन्य वाहन भी हैं।
दादा जिन का फंडुस्तान
सैलानियों के लिए यहां एक अद्भुत और अजब-गजब संसार की रचना की गई है। एक ऐसा संसार है दादा जिन का फंडुस्तान। दुनिया भर के बच्चों के मित्र दादा जिन ने बचपन के रंगों से फंडुस्तान नामक एक नई दुनिया यहां सजायी है। दरअसल इस विशालतम फन पार्क के अंदर जाने के लिए पहले दादा जिन के मुंह में प्रवेश करना पड़ता है। यहां बने टिम्बर लैंड में बच्चे लकड़ी से बने भूलभुलैया में भटकने का आनंद लेते हैं। फंडुस्तान में एक बड़ा सा पानी का जहाज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां बोरासोरा नामक एक थ्रिलर पार्क भी किसी रहस्य और रोमांच की एक हैरतअंगेज दुनिया के दर्शन कराता हैै। इसमें कहीं आग तो कहीं भयानक सुरंग नजर आती है तो कभी डरावने दृश्य भी दिल दहला देते हैं और इस दुनिया से बाहर निकल कर सैलानी चैन की सांस लेते हैं। बोरासुरा को एशिया में पहली बार रामोजी फिल्म सिटी में ही महसूस किया जा सकता है। हवा महल और डरावनी-भूतहा गुफाओं में डर के साथ ही मस्ती का अजब-गजब संगम है।
खतरों की हकीकत
फिल्म सिटी में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए रियल स्टंट का भी इंतजाम है। स्पेशल थिएटर में प्रशिक्षित स्टंट आर्टिस्ट द्वारा बहुत ही रोमांचक कार्यक्रम हर दिन प्रस्तुत करते हैं। स्टंट आर्टिस्ट की रियल किक, फाइट, पंच और उंचाई से कूद-फांद दर्शकों आश्चर्य में डाल देते हैं। इसमें बम के धमाके और गोलियों की आवाज के बीच ऐसा माहौल बनाया जाता है कि दर्शकों के दिल की धडकनें बढ़ जाती हैं। यह शो दर्शकों को गुदगुदाता भी है। इसमें एक कलाकार जोकर का पार्ट निभाता है और उसकी हरकतें लोगों को लोटपोट कर देती हैं। दरअसल देश भर से आए करीब 750 कलाकार किसी न किसी रूप में कई खतरनाक स्टंट दृश्यों को दर्शकों के सामने साकार करते रहते हैं। नकली फाइटिंग, नकली फायरिंग, दीवार का गिरना, छत से कूदना जैसे कई फिल्मी स्टंट यहां वास्तविक रूप में दिखा दिए जाते है, जो फिल्मी पर्दे पर सच लगते हैं।
दुनियाभर के पक्षियों का बर्ड पार्क
फिल्म सिटी का एक आकर्षण बर्ड पार्क भी है, जहां दुनिया भर से लाए गए विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घरौंदा बना हुआ है। ऐसे पक्षियों मे राजहंस से लेकर विभिन्न देशों से लाए गए पक्षी शामिल हैं। यहां आॅस्ट्रिच भी है और इन सभी पक्षियों की देखभाल करने के लिए डॉक्टर और उनकी टीमे।
बटरफ्लाई पार्क
वंडरलैंड रामोजी फिल्म सिटी में विभिन्न प्रजातियों की तितलियों को समर्पित एक पार्क बनाया गया है। यह 72 हजार स्क्वेयर फीट में फैला हुआ है। इसमें हजारों प्रकार की तितलियां संग्रहित हैं। यह एक प्रयोगशाला की तरह है जहां विभिन्न प्रजाति की कई रंगों, आकार-प्रकार की तितलियां देखी जा सकती हैं। यहां आने वालों को तितलियों के संरक्षण और उनकी उपयोगिता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है।
वामन: द बोनसाई बोनानजा
जैसा कि नाम है वामन यानी बौना, यह एक आनंदभरा बोनसाई संस्कृति वाला पार्क है। यहां 150 से अधिक प्लांट्स हैं जिन्हें देखना अपने आप में अलग अनुभव है। जो बोनसाई कला के प्रशंसक हैं, उनके लिए यह पार्क खासतौर पर दर्शनीय है। इसमें 86 जेनेरा और 132 स्पीसीज और प्लांट किंगडम के कई पौधों को शामिल किया गया है। इस पूरे पार्क को हरे भरे लॉन, खूबसूरत पाथवे, फाउंटेन और खुशबूदार फ ूलों के कुछ पौधों से सजाया गया है।

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विश्वस्तरीय एडवेंचर का थ्रिल ‘साहस’
ओ.पी. पाल. हैदराबाद।
दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी ‘रामोजी फिल्म सिटी’ के एडवेंचर लैंड ‘साहस’ में वर्ल्ड क्लास एडवेंचर का अपना अलग ही आकर्षण बना हुआ है। साहस एडवेंचर की खासियत है कि इसमें बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी एडवेंचर का अनुभव कर सकते हैं। रामोजी फिल्म सिटी के प्रचार विभाग के उप प्रबंधक पवन कुमार येदुगनी और सुमित वर्मा ने जानकारी दी कि यहां इसके लिए ‘साहस’ एडवेंचर लैंड को प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया है। यहां थ्रिल का असली मजा मिलता है। साहस में उखड़-खाबड़ सडक है तो रफ टैरेन भी। धडकन बढ़ाने वाली गतिविधियों के बीच खुद का आत्मविश्वास बढ़ता है तो खुद की काबिलियत बढ़ाने का मौका भी। यहां प्रतिभागियों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं हैं। साहस में कई प्रकार की एडवेंचर एक्टिविटीज शामिल की गई हैं, इसे खूबसूरती से डिजाइन किया गया है। यह एशिया में सबसे अच्छे एडवेंचर का आनंद देता है। यहां जोर्ब बॉल्स में रोल करने के लिए देश का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनाया गया है। इसमें बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी हिस्सा ले सकते हैं। इसी तरह आॅल टैरेन व्हीकल (एटीवी) के लिए भी रेसिंग का मजा पूरा परिवार ले सकता है। इसके लिए भी ट्रेक बनाया गया है। साहस में पत्थरी पहाड़ियांं, ऊंचे पठार, सरपट सतह वाले घास के मैदान और चट्टानें इस तरह से बनाई गई हैं ताकि प्रतिभागी स्वयं अपने रणनीति बनाकर गति पर नियंत्रण करते हुए गतिविधियां पूरी करे। यहां टास्क को पूरा करने का हौंसला है तो थ्रिलिंग अनुभव को महसूस करने का मौका भी। यहां कई प्रकार की साहसिक गतिविधियों का हिस्सा बनने का आनंद मिलता है। साहस को अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर परखकर बनाया गया है। यहां दुनिया की प्रसिद्ध फ्रांसीसी टीम ने अपने अनुभवों के आधार पर इस एडवेंचर लैंड को पूरा किया है। यही नहीं यहां प्रशिक्षित लोगों की टीम प्रतिभागियों को एडवेंचर का आनंद और अनुभव देने में मदद करती है।
चुनौतियां भी कम नहीं
‘साहस’ में हाई रोप, हार्नेस कोर्सेस, नेट कोर्सेस, पेनबॉल, जोर्बिंग, एटीवी राइड्स, माउटेंन बाइक, टारगेट शूट रेंज (आचेर्री, राइफल शूटिंग आदि ), सूमो सूट फाइटिंग और बनजी इजेक्शन शामिल हैं। आॅल टैरेन व्हीकल्स (एटीवी )को लेकर बच्चों और महिलाओं के लिए अलग ट्रेक बनाया गया है। यहां ह्यूमन फू-बॉल, मेल्टडाउन, बॉडी जोर्ब फाइट और टेले-बॉक्सिंग शामिल हैं। इनसे खुशी मिलती है तो इन एक्टिविटी का मजा बढ़ जाता है। पेंटबॉल एरेना में एक से बढकर एक अंचभे शामिल हैं। यहां बनाया गया जोर्ब प्लेटफार्म 220 फीट लंबा है, जबकि टारगेट शूटिंग के लिए भी एंग्री बर्ड थीम पर जोन बनाया है। देश में ऐसी गतिविधियां पहली बार सामने लाई गई हैं। साहस की खूबी है कि इसे जोखिमों से बचाते हुए बनाया गया है।
साहस है सबके लिए
साहस को ऐसे तैयार किया गया है कि वह जवानों और जांबाजों के साथ ही परिवार वालों, स्कूल-कॉलेज के समूहों और फिटनेस को लेकर जागरूक रहने वालों यानी सभी के लिए संपूर्ण एडवेंचर लैंड साबित होता है। यहां प्रोफेशनल्स भी हिस्सा लेते हैं ताकि उनमें टीम बिल्डिंग मजबूत हो सके। यहां अन्य लोगों और बुजुर्गों के लिए भी बहुत सारी गतिविधियां हैं। साहस को किसी दायरे में शामिल नहीं किया जा सकता बल्कि यह तो सभी के लिए है। यहां थ्रिल और एडवेंचर का आनंद लेने वालों के लिए वर्ल्ड क्लास गतिविधियां हैं।
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आध्यात्मिक शहर में होंगे 108 मंदिरों के दर्शन
हनुमान जी हांगे सबसे विशाल
ओ.पी. पाल. हैदराबाद।
हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी जहां पर्यटन का दुनिया में सबसे बड़ा आकर्षण बन रहा है, वहीं इस शहर को आध्यात्मिक दर्शन को भी एक जगह समेटने का सिलसिला जारी है। मसलन भारतीय पर्यटकों के आध्यात्मिक भाव को ध्यान में रखते हुए यहां देशभर के 108 प्रसिद्ध मंदिरों हू-बू-हू प्रतिकृति तैयार की जा रही है। इसमें हनुमान जी की मूर्ति सबसे विशाल होगी।
रामोजी राव के जनसंपर्क एवं प्रचार की टीम के उप ए. विश्वंबर राव ने देते हुए बताया कि पर्यटन के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए दुनिया की सबसे बड़ी रामोजी फिल्मसिटी से भी कही बड़ा करीब ढाई हजार एकड़ क्षेत्र में एक ‘ओम आध्यात्मिक शहर’ का निर्माण का काम शुरू किया जा चुका है, जहां देश के प्रसिद्ध 108 मंदिरों की प्रतिकृति होगी, चाहे वह काशी विश्वनाथ, जगन्नाथ पुरी, त्रिरूपति, महाकाल उज्जैन, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि, उत्तराखंड के चारधाम, द्वाराकाधीश, छत्तीसगढ़ का दंतेश्वरी मंदिर, गुडगांव का शीतला माता मंदिर, मनसा देवी हरिद्वार, पशुपतिनाथ काठमांडु ही क्यों न हो। यानि यहां एक ऐसा आध्यात्मिक शहर नजर आएगा, जहां देशभर के विभिन्न राज्यों में प्रसिद्ध अलग-अलग देवी-देवताओं के दर्शन एक ही जगह किये जा सकेंगे। मसलन पर्यटकों को भविष्य में अलग-अगल राज्यों व शहरों में बने मंदिरों में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और यहां आने पर एक ही जगह देशभर के सभी बड़े और चर्चित मंदिरों के दर्शन होंगे। इस योजना के तहत यहां हनुमान की एक विशाल मूर्ति भी होगी, जो दुनियाभर में बनी मूर्तियों से बड़ी होगी। यह भी बताया गया कि अगर कोई मंदिर पहाड़ों पर स्थापित है तो यहां पर उसी तरह का कृत्रिम पहाड़ तैयार किया जाएगा। अगर कोई मंदिर नदी के किनारे है तो उसके लिए यहां कृत्रिम नदी भी तैयार की जाएगी।
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बातचीत
रामोजी राव के आदर्श महात्मा गांधी
ओ.पी. पाल. हैदराबाद।
हैदराबाद के निकट पहाड़ी जंगलों में मंगलमय दुनिया बसाने की परिकल्पना करने वाले मशहूर फिल्म निर्माता एवं पद्मविभूषित रामोजी राव का सपना अभी भी इस फिल्म सिटी को दुनिया के अद्वतीय शिखर पर ले जाने का है।
फिल्म सिटी के स्वामी और संस्थापक होने के साथ एक विश्व प्रसिद्ध इतनी बड़ी रियासत के मालिक होने के बावजूद उनका जीवन सादगी से भरा है। रामाजी राव ने बातचीत के दौरान कहा कि उनका सपना है कि इस फिल्म सिटी के तहत जिस किसी बदलाव को जरूरत है उसे अंजाम देकर वे इसे दुनियाभर के संपूर्ण दर्शन का केंद्र बनाना चाहते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे अपना आदर्श मोहन दास कर्मचन्द गांधी को मानते हैं। हालही में उन्हें केंद्र सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया है। इस फिल्म सिटी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रवास भी हो चुका है, जिन्हें यहां की खूबसूरती ने बेहद आकर्षित किया। राव का कहना है कि उन्होंने जिस तरह से फिल्म सिटी में पूरी दुनिया के विशेष पक्षियों का जीवंत संग्रहालय बनाया है, उसी तरह से पूरी दुनिया में स्थित मशहूर 108 मंदिरों की स्थापना उसी रूप में यहां बनाने की योजना को शुरू किया गया है, जो उनकी जिंदगी का एक आध्यात्मिक अध्याय होगा। उनका यह भी कहना है कि सेवानिवृत्त होने में उनका विश्वास नहीं है। जीवन विलक्षण हैं और सबसे सुंदर नियामत है। इसलिए अंतिम सांस तक व्यक्ति को सक्रिय रहना चाहिए। उन्होंने अपना व्यावसायिक जीवन के बारे में केवल इतना ही बताया कि 1962 में ‘मार्गदर्शी’ नामक फाइनेंस कम्पनी करने के बाद फिल्म सिटी के नाम से जाने जानी वाली इस विशाल जगह को उन्होंने 1985 में बंजर, पहाड़ी जंगल के रूप में देखा। इसी को उन्होंने अपने सपने का कोहिनूर बनाने के सपना देखा, जिसके लिए सभी जरूरी कानूनी व अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उन्होंने 1996 में इसकी स्थापना करके अपने सपनों को साकार करने का रास्ता प्रशस्त किया।
15May-2016

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