रविवार, 15 मई 2016

उत्तराखंड में बांधों पर केंद्रीय मंत्रियों का टकराव!

अब पीएमओ के रूख पर टिकी हैं नजरें  
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र की मोदी सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं और नमामि गंगे के ड्रीम प्रोजेक्ट की रμतार बढ़ने का नाम नहीं ले रही, बल्कि सुप्रीम कोर्ट कें केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड के बांधों को लेकर चल रही बहस में मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच टकराव उजागर होना शुरू हो गया है। इस मामले में पीएमओ का रूख क्या आएगा उसी पर नजरे टिकी हुई हैं।
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में केदारनाथ आपदा के मामले पर पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिये गये शपथ पत्र को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती नाराज हैं। बताया जा रहा है कि इस मामले में विद्युत मंत्रालय भी पर्यावारण मंत्रालय के रूख का समर्थन करते हुए साथ दे रहा है। मसलन आपदा का कारण बने बांधों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है और इस कारण नमामि गंगे मिशन भी उत्तराखंड में आगे नहीं बढ़ पा रहा है, बल्कि दूसरी ओर इस मामले पर केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच घमासान के हालात उजागर होते नजर आने लगे हैं। मसलन पर्यावरण मंत्री और विद्युत मंत्री पीयूष गोयल की एकजुटता के सामने जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती सामने आकर नाराजगी प्रकट कर रही है। सूत्रों के अनुसार नतीजन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने अलग से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए एक शपथपत्र तैयार कराया है, जिसमें नदियों पर बेतरतीब बांधों को हरी झंडी न देने की बात कहते हुए इसके लिए बनाई गई विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है। बताया जा रहा है कि मंत्रालयों के बीच यह टकराव पीएमओ तक दस्तक दे चुका है, जिसमें अब देखना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में क्या रुख अपनाता है।
क्या है समिति की रिपोर्ट
सूत्रों की माने तो जल संसाधन मंत्रालय की गठित विशेषज्ञों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उत्तराखंड की नदियों पर बेतरतीब बन रहे बांधों को झंडी नहीं मिलनी चाहिए। समिति के अनुसार नदियों में जितना पानी छोड़ने की बात पर्यावरण मंत्रालय कह रहा है वह अपर्याप्त है और इससे नदियों की जैव विविधता (जलीय जीवन) खत्म हो जाएगी। उमा के इस शपथपत्र में बांधों की खराब और त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग का भी जिक्र किया गया है। जल संसाधन मंत्रालय के उच्च अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया यह शपथपत्र मई माह के अंत तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाना है।
उमा का विरोध नजरअंदाज
सूत्रों के अनुसार इसी साल जनवरी में अपनी नाराजगी जताते हुए उमा भारती ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति जताई थी कि केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों में बनी एक साझा सहमति के बाद भी पर्यावरण मंत्रालय पांच बांधों के निर्माण के लिए हरी झंडी क्यों दे रहा है? और पर्यावरण मंत्रालय की ओर से नदियों में छोड़े जाने वाले न्यूनतम पानी की मात्रा को लेकर भी अपना विरोध भी दर्ज कराया था, लेकिन इस विरोध को नजरअंदाज करते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने शपथपत्र सुप्रीम कोर्ट को
दे दिया।
15May-2016

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