सोमवार, 23 मई 2016

इसलिए जरूरी है ईरान से चाबहार पोर्ट का समझौता

पीएम मोदी सफल हुए तो पाक और चीन को मिलेगा झटका
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार दोपहर ईरान की दो दिन की यात्रा पर रवाना हो गये है, जिसमें भारत और ईरान के बीच कई अहम समझौते होने हैं, लेकिन भारत की प्राथमिकता चाबहार पोर्ट पर होने वाले समझौते की है, जिसकी डील का भरोसा भी है। चाबहार समझौता होने सबसे तगड़ा झटका पाकिस्तान और चीन को लगना तय है।
दरअसल चाबहार पोर्ट समझौता इसलिए जरूरी है कि पाकिस्तान ने आज तक भारत के प्रोडक्ट्स को सीधे अफगानिस्तान और उससे आगे जाने की इजाजत नहीं दी है। इतना ही नहीं यह पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर तो एक तरह से चीन ने कब्जा है। ग्वादर बंदरगाह के जरिए चीन ने अपनी सामरिक पकड़ भारतीय समंदर तक बना रखी हैै। ऐसे में ईरान के साथ होने वाला चाबहार पोर्ट समझौता पाकिस्तान और चीन को भारत का करारा जवाब होगा। वैसे तो यह सौदा वर्ष 2015 में ही अंतिम मुकाम पर पहुंच गया था, लेकिन बाद में कुछ दिक्कतें आने से अभी अधर में लटका हुआ है, वो भी पाक और चीन की नीतियों के कारण। चाबहार समझौते को अंजाम मिलने के बाद भारत और ईरान के बीच कारोबार करना आसान हो जाएगा। ईरान भी चाबहार पोर्ट को विकसित करना चाहता है और भारत इसमें हद से आगे जाकर मदद करने को पहले से ही तैयार बैठा है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नीतिन गडकरी कई बार कह चुके हैं कि इस पोर्ट के पहले चरण में विकास के दोनों देशों समझौता करने को तैयार हो चुके हैं, ताकि ईरान को तेल क्षेत्र में भारत की ओर से सहयोग मिलता रहे। इस समझौते के तहत चाबहार पोर्ट के तैयार हो जाने के बाद भारत और ईरान सीधे व्यापार कर सकेंगे। यानि भारतीय या ईरानी जहाजों को पाकिस्तान के समुद्री मार्ग से नहीं गुजरना पड़ेगा। जहाजरानी मंत्रालय के अनुयार इस समझौते में अफगानिस्तान का भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत को यह होगा फायदा होगा?
भारत और ईरान के बीच समझौता होने से चाबहार पोर्ट विकसित हो जाएगा और पाक से अलग अलग रूट से भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो सकेंगे और ईरान के भारत में। वहीं इस पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए रास्ते खुल जाएंगे। इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। वहि ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भारत का प्रयास रहा है कि वह इसका फायदा उठाए और ईरान से कारोबार तेजी से बढ़ाया जाए। मोदी की ईरान यात्रा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यही नहीं भारत की कई बड़ी कंपनियां ईरान में आईटी और दूसरे सेक्टर में काम करना चाहती हैं, जिन्हें मोदी इस यात्रा के दौरान चाबहार पोर्ट समझौता होने बेहद फायदा होगा।
23May-2016

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