
विभिन्न दलों ने पत्र लिखकर की कड़े कानून की मांग
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में विकास के एजेंडे में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार
की सड़कों के जाल बिछाने की जारी योजनाओं में हालांकि सड़क सुरक्षा के मानक
प्राथमिकता में हैं, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क हादसों से चिंतित
सरकार नए सड़क सुरक्षा और परिवहन विधेयक पर संसद की मंजूरी हासिल नहीं कर
पााई है, जिस पर चिंता जाहिर करते हुए विभिन्न दलों ने प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सड़को पर हो रही मौतों पर अंकुश लगाने के लिए
कड़े कानून बनाने की मांग की है।
दरअसल केंद्रीय सड़क परिवहन एवं
राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क हादसों को रोकने के लिए जिस तरह रोडमैप तैयार
किया है उसके प्रावधानों को नए सड़क सुरक्षा एवं परिवहन विधेयक में भी शामिल
किया है। इस विधेयक को लोकसभा अपनी मंजूरी दे चुकी है, लेकिन राज्यसभा में
यह विपक्षी दलों की अड़ंगेबाजी के कारण अटका हुआ है। इसके बावजूद केंद्र
सरकार निरंतर सड़क हादसों को आने वाले दो सालों में 50 प्रतिशत कम करने का
लक्ष्य लेकर विभिन्न योजनाओं के जरिए कदम उठा रही है। सड़क हादसों में कमी
लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों आये निर्देश के लिए भी सड़क
मंत्रालय अधिसूचना जारी कर चुका है। सरकार को अब केवल संसद में नए सड़क
सुरक्षा एवं परिवहन विधेयक को मंजूरी मिलने की दरकार है, जिसकी उम्मीद 20
फीसदी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बढ़ा दी है।
उपभोक्ता सुरक्षा समूह की याचिका
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी को लिखे अपने पत्र में विभिन्न दलों के करीब 58 सांसदों ने
सड़क सुरक्षा और परिवहन विधेयक में कड़े कानूनों का प्रावधान करने की मांग
करते हुए अपील की है, कि इस दिशा में जल्द से जल्द सख्त कदम उठाये जायें।
इस पत्र में उपभोक्ता संस्था की मांग का हवाला दिया गया है, जिसने दलगत
राजनीति से ऊपर उठकर देश के सभी नागरिकों की मांग पर एक मजबूत और
प्रभावशाली कानून बनाने की गुहार लगाई गई है। सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन
पहले भी देश के विभिन्न दलों के चार-पांच दर्जन सांसदों ने दलगत राजनीति से
ऊपर उठते हुए कंज्यूमर प्रोटेक्शन ग्रुप यानि उपभोक्ता सुरक्षा समूह
द्वारा मिली एक हस्ताक्षरयुक्त याचिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी
थी, जिसमें सांसदों ने अपने पत्र में यह भी मांग की है कि सरकार सड़क
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत और प्रभावशाली सड़क सुरक्षा कानून
को जल्द से जल्द प्रभावी बनाने की पहल करें।
राज्यों से समन्वय की पहल
सूत्रों
के अनुसार केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने संसदीय पैनल को अवगत कराया है
कि सड़क हादसों को लेकर मंत्रालय गंभीर है और सभी राज्य सरकारों से नए
विधेयक पर समन्वय बनाने के लिए विचार-विमर्श जारी है, ताकि राज्य सरकारें
सड़क हादसों की दिशा में शराब पीकर गाड़ी चलाने और नाबालिग के ड्राइविंग जैसे
विवादित मामलों में जुर्माना आदि पर सख्ती बनाकर सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर
निर्णायक भूमिका निभा सकें। वहीं सरकार को उम्मीद है कि नए विधेयक को अगले
संसद सत्र में पारित करा लिया जाएगा।
सड़क निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय मानक अनिवार्य


इंफ्राकॉन, ई-पेस व उन्नत इनमप्रो की शुरूआत
सोमवार
को यहां सड़क क्षेत्र में एनएचआईडीसीएल द्वारा विकसित की गई ई-पेस,
इंफ्राकॉन और उन्नत इनमप्रो जैसी सूचना प्रौद्योगिकी पहलों की शुरूआत करते
हुए केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं नौवहन मंत्री नितिन गडकरी ने
हितधारकों का आव्हान करते हुए कहा कि सड़क निर्माण के लिए वे नवाचारों का
बेहतर इस्तेमाल करते हुए दुनियाभर में प्रचलित मानकों का पालन करना
सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि देश में सड़क यातायात क्षेत्र में अपार
क्षमताएं हैं और संसाधन बेहतर रूप से उपलब्ध हैं। इस बैठक में सड़क यातायात
एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचआईडीसीएल के आला अधिकारियों के साथ सड़क
निर्माण से संबंधित ठेकेदार,परामर्शदाता, बैंकर और सामग्री आपूर्तिकर्ता
उपस्थित थे।
नीतिगत बदलाव से सुधार प्रक्रिया
गडकरी
ने कहा कि उनके मंत्रालय ने प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए कई नीतिगत
बदलाव किये हैं और सड़क निर्माण को आसान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण,
पर्यावरण क्लीरियंस तथा कोष की कमी जैसी समस्याओं को हल किया है। उन्होंने
कहा कि उपग्रह आधारित सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली, सड़क निर्माण के लिए
कंक्रीट का इस्तेमाल, इलेक्ट्रोनिक टॉल संग्रह, इनमप्रो जैसे प्रौद्योगिकीय
कदम भी उठाए हैं। इसका मकसद सड़क निर्माण में तेजी लाना और पूरी प्रक्रिया
को अधिक पारदर्शी तथा प्रभावशाली बनाना है। इस मौके पर उन्होंने आईटी
टास्कफोर्स रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें यातायात क्षेत्र को अधिक प्रभावशाली
और पारदर्शी रूप से काम करने के लिए सुझावों के तहत सूचना प्रौद्योगिकी का
बेहतर इस्तेमाल करने की प्रक्रियाओं को भी बताया गया है।
17May-2016
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