सरकार की विकसित प्रणाली से होगी निगरानी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी
सरकार ने सरकारी, संगठित और असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों की सामाजिक
सुरक्षा तय करने के लिए जिन नीतियों को लागू किया है उनमें अब ठेके पर
खासकर नगरपालिकाओं में ऐसे कर्मचारियों के नामांकन पर निगरानी रखने के लिए
ईपीएफओ ने एक प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली के जरिए अब ठेके पर काम
करने वाले कर्मचारियों की भविष्य निधि की राशि में गड़बड़झाला होने का सच
सामने आ सकेगा।
केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में संशोधन
करने की कवायद में हरेक क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों को
सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का प्रमुख मकसद रहा है, लेकिन पीएफ
अंशधारकों के लिए ईपीएफओ के जरिए किये गये नियम बदलाव को विरोध के कारण
वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सूत्रों
के अनुसार इसके बावजूद सरकार कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए कई
महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू कर रही है। ऐसी ही योजना के तहत देशभर में
खासकर नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय निकायों में ठेके पर काम करने वाले
कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि
संगठन यानि ईपीएफओ ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जिसके तहत कर्मचारियों
को सीधे या ठेकेदारों की मदद से शामिल कराने वाले सरकारी निकायों सहित मूल
रोजगार दाता भविष्य निधि में प्रदान किए गए राशि का वास्तविक आधार तय हो
सकेगा। मसलन अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ठेकेदारों को वितरित किए गए
भविष्य निधि की राशि और ठेकेदारों द्वारा वितरित किए गए भविष्य निधि की
तुलना की जा सकेगी और यदि इस राशि में अंतर या कोई गड़बड़ी की गई तो वह
सार्वजनिक हो जाएगा और संबन्धित नियोक्ताओं के खिलाफ प्रावधान के तहत सख्त
कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है नई प्रणाली
मंत्रालय
के अनुसार ईपीएफओ द्वारा बनाई गई इस प्रणाली के तहत ठेकेदारों द्वारा जमा
की गई राशि को सभी मूल कर्मचारियों को देखने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
कोई भी व्यक्ति इस रिपोर्ट के द्वारा मासिक आधार पर कर्मचारियों की सूची
में अपना नाम सम्मिलित होने या न होने की जांच भी कर सकता है। कर्मचारी
भविष्य निधि संगठन कार्यवाही रिपोर्ट प्रणाली को डिजिटल करने की प्रक्रिया
में कार्यरत है। उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही तक
कार्रवाही की जानकारी आॅनलाइन और वास्तविक आधार में प्राप्त की जा सकेगी।
इस योजना से ईपीएफ अंशधारकों को जीवनपर्यंत एक ईपीएफ खाते और कई सुविधाओं
का लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है।
देश
में कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ईपीएफओ की प्रणाली
में कर्मचारी भविष्य निधि पेंशनर के आंकड़ों को भी आधार से जोड़ने की
प्रक्रिया जारी है। यह इसलिए किया गया है कि आंकड़ों को जोड़ने के दौरान कुछ
मामलों में जन्म तिथि और पेंशनर के नाम में अंतर पाया गया है। इसमें सुधार
करने के लिए पेंशनरों को सलाह दी गई है कि वे ईपीएफ कार्यालयों में दिए गए
अपने आंकड़ों या आधार कार्ड में दिए गए आंकड़ों में ऐसे अंतर को संशोधित
कराये, ताकि भविष्य में पीएफ की राशि की निकासी जैसी प्रक्रिया में कोई
परेशानी का सामना न करना पड़े।
अंशधारकों को दी राशि
मंत्रालय
के अनुसार ईपीएफओ ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में अंशधारकों को 47,630 करोड़
रुपये और 8200 करोड़ रुपये मासिक पेंशन के रूप में वितरित किए हैं। वहीं
वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की सिफारिश पर
केंद्र सरकार द्वारा सदस्यों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को भी अंतिम रूप
दिया गया है। वहीं सरकार को ईपीएफ योजना के तहत अप्रैल माह में 1952 के
अनुच्छेद 68 एनएनएन, 68-ओ और 69 एवं नये अनुच्छेद-68-एनएनएनएन को सम्मिलित
करने संबंधी 10 फरवरी 2016 को जारी अधिसूचना को भी वापिस लेना पड़ा है।
18May-2016

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