रविवार, 29 मई 2016

राग दरबार: मोदी के फोबिया में फंसी कांग्रेस...

कांग्रेस को अपनी जमीन खिसकने का डर
दे श में कहावत है कि लोग अपने दुख से दुखी नहीं, बल्कि दूसरों के सुख से दुखी ज्यादा होते हैं! यह कहावत मोदी सरकार के दो साल की उपब्धियों को लेकर कांग्रेस की चल रही टिप्पणियों पर सटीक बैठती नजर आ रही है। मसलन मोदी सरकार की दो साल उपलब्धियों के दावों को खोखला साबित करने के प्रयास में कांग्रेस यह भूल गई कि उसके नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में भ्रष्टाचार किस कदर सिर चढ़कर बोल रहा था और देश के विकास और बुनियादी मुद्दे हाशिए पर ही रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार के दो साल पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त शासन का संदेश देकर जनता के बुनियादी मुद्दों को छूते नजर आ रहे हैं। दरअसल मोदी का पीएम बनना कांग्रेस को शुरूआत से ही रास नहीं आया यानी मोदी फोबिया ने कांग्रेस को ऐसा हलकान किया हुआ है कि हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव के नतीजों को लेकर खुद कांग्रेस प्रमुख भी असंतुष्ट नजर आ रही हैं। इन चुनावों ने तो वरिष्ठ नेताओं के बोल बदलकर पार्टी नेतृत्व परिवर्तन तक के लिए अपनी जुबान खोलना शुरू कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस को लेकर चर्चा है कि देश में मोदी सरकार के काम तो बोल रहे हैं और जनता भी मोदी की मुरीद नजर आ रही है, ऐसे में कांग्रेस को अपनी जमीन खिसकने का डर सता रहा है, जिसके कारण कांग्रेस पूरी तरह से सकारात्मक फैसले लेने की स्थिति में नजर नहीं आती। राजनीतिकार तो यह भी मानते हैं कि मोदी सरकार के दो साल के शासन में एक भी भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया और पूर्ववर्ती सरकार के दौरान घोटालों का पर्दा हटने के सिलसिले में कांग्रेस के दिग्गज कठघरे में हैं तो कांग्रेस को मौजूदा सरकार के काम कैसे दिख सकते हैं और खासकर मोदी के नाम का फोबिया कांग्रेस की मुश्किल बन रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की विरोधी टिप्पणियां ही मोदी की लोकप्रियता की बुलंदियों का कारण बनी हुई है।
राजग का बढ़ेगा कुनबा
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में उत्साहित विपक्ष के तिलिस्म को अगले महीने 58 सीटों पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव तोड़ने जा रहे हैं, ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सका। मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में संसद में जीएसटी और भूमि अधिग्रहण जैसे अनेक महत्वपूर्ण विधेयकों का रोड़ा बने विपक्ष के लिए इन सीटों के चुनाव खासकर कांग्रेस के अति उत्साह को कमजोर करने का सबब बनेंगे। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भी खासकर असम में कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में वामदलों को सबक लेने वाला साबित कर दिया है, तो वहीं राज्यसभा में राजग के संख्याबल में बढ़ोत्तरी और दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में फिर से सत्ता में लौटी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने जीएसटी जैसे विधेयक का सर्मथन करने का ऐलान करके कांग्रेस-वामदल के उत्साह की कमर तोड़ दी है। मसलन राज्यसभा में ममता के मोदी सरकार के प्रति तेवरों में नरमी के संकेत का लाभ अटके कामकाज को आगे बढ़ाने की राह तय करेंगे। राजनीति के गलियारे में तो यह भी चर्चा है कि कांग्रेस और भाजपा के संख्याबल में आधे से ज्यादा अंतर कम होने से सदन में अन्य दलों को भी प्रभावित करेगा और आने वाले संसद सत्रों में इस सदन में भी विपक्ष पर सरकार भारी पड़ती नजर आएगी।
यूं भीड़ में बड़े नजर आए पर्रिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की छवि एक पढ़े-लिखे और साधारण स्वभाव वाले नेता की है, लेकिन उनकी इस बौद्धिकता और सादगी में हाल ही में एक नया और बेहद महत्वपूर्ण आयाम जुड़ा गया है। वो यह है कि पर्रिकर अरब समूह के महत्वपूर्ण देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का दौरा करने वाले भारत के पहले रक्षा मंत्री बन गए हैं। वर्ष 1947 में देश को मिली आजादी के बाद से लेकर आज तक कोई रक्षा मंत्री यूएई के दौरे पर नहीं गया। रक्षा मंत्री के तौर पर पर्रिकर की इस पहली यात्रा की पुष्टि रक्षा मंत्रालय के पास मौजूद दस्तावेज भी कर रहे हैं। उनके इस दौरे से यह साफ हो गया है कि किसी व्यक्ति को कोई बड़ा या अनोखा काम करने के लिए अपनी सादगी के साथ समझौता करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। सादगी के साथ भी व्यक्ति भीड़ में अकेला और बड़ा नजर आ सकता है। -हरिभूमि ब्यूरो
29May-2016

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