बुधवार, 11 मई 2016

पुराने पेंशन कानून में होगा संशोधन!

सरकार ने 145 साल पुराने कानून पर मांगे सुझाव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में अंग्रजी हुकूमत के अप्रासांगिक हो चुके पुराने कानूनों को खत्म करने की कवायद में जुटी केंद्र सरकार 145 साल पुराने पेंशन कानून में संशोधन करने का भी फैसला किया है, ताकि पेंशनभोगियों को पेंशन से जुड़ी सुरक्षा को और ज्यादा मजबूती दी जा सके।
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की हुई एक बैठक में करीब साढ़े चौदह दशक पुराने पेंशन कानून में संशोधन करने विचार किया गया है। मंत्रालय का मानना है कि विभिन्न मंत्रालयों द्वारा नियंत्रित किए जाने वाली पेंशन के नियमों में सुधार की आवश्यता को देखते हुए पुराने पेंशन एक्ट-1871 में संशोधन करके ही पेंशनभोगियों की पेंशन सुरक्षा को नई दिशा दी सकती है। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार ने संसद में विधेयक के जरिए कुछ अप्रासांगिक हो चुके पुराने कानूनों को हटा दिया है और बाकी को हटाने वाले विधेयक संसद में लंबित हैं। सरकार पुराने कानूनों के स्थान पर नये कानून लाने की तैयारी में जुटी हैं। ऐसा ही देश में 145 साल पुराना यानि 1871 में लागू पेंशन कानून भी सरकार के रडार पर है। इस कानून में संशोधन लाने का मकसद देश में केंद्र सरकार के करीब 58 लाख पेंशनभोगियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूती देना है। हालांकि सरकार का पुराने कानूनों में सुधार लाने की नीति के तहत ही पेंशन एक्ट 1871 में संशोधन करने की कवायद माना जा रहा है।
कई मंत्रालयों का समर्थन
केंद्र सरकार की इस कवायद में वित्त सेवा विभाग के प्रतिनिधि ने सुझाव दिया है कि इस काननू से जुड़े अनेक नियम कानूनों में सुधार करने के बजाए मौजूदा काननू के ही अप्रासंगिक प्रावधानों को हटाया जा सकता है। इस प्रस्ताव का गृह, श्रम, ग्रामीण विकास, रक्षा और रेल मंत्रालय तथा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने समर्थन किया। पुराने कानून में राजनैतिक कारणों से पिछली सेवाएं, वर्तमान अक्षमताएं, अनुकंपा भत्ता आदि अन्य कारणों से रोकी या रद्द नहीं की जा सकती हैं। किसी मामले में कोर्ट की कार्यवाही या आदेश के तहत ऐसे किसी विवादित कारण से पेंशन का पैसा जब्त नहीं किया जाएगा। यह निर्णय भी लिया गया कि मामले में कोई भी निर्णय लेने के लिए पहले सक्षम प्राधिकारियों को सुझाव दिया जाएगा।
11May-2016




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