अलर्ट बटन, जीपीएस व कैमरे के बिना नहीं चलेंगी बसें
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आखिर
केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा पर आगे बढ़ते हुए यात्री बसों में
आपातकालीन पैनिक बटन, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य कर दिया है, जिसके
लिए केंद्र सरकार ने एक पायलट परियोजना शुरू करते हुए इन सुरक्षित
इंतजामों को सबसे पहले राजस्थान परिवहन निगम और लग्जरी बसों में शुरू किया
है।

गडकरी ने दी हिदायत
केंद्रीय
सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय मंत्रालय के अनुसार जारी किये गये
अधिसूचना मसौदा जारी करने का मकसद बसों में यात्रियों की सुविधाएं बढ़ना और
उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार की सुरक्षा की दृष्टि से
तैयार की गई योजना के अनुसार 23 सीटर और उससे ज्यादा सवारियों की क्षमता
वाली बसों में अब जीपीएस, अलर्ट बटन और सीसीटीवी कैमरा जरूरी होगा, जबकि 23
से कम सवारियों की क्षमता वाली गाड़ियों में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम और
इमरजेंसी बटन जरूरी होगा। अधिसूचित मसौदे में निर्देश दिये गये हैं कि यह
तीनों उपकरण वाहन निमार्ता, डीलर या फिर गाड़ी के मालिक द्वारा लगवाया जाना
जरूरी होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस
परियोजना का शुभारंभ कई उम्मीदों और हिदायतों के साथ किया। गडकरी ने हिदायत
दी है कि भविष्य में इन उपकरणों के फिटनेस की जांच रोजमर्रा के रखरखाव में
शामिल होगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बस बनाने वाली कंपनियां निर्माण के
वक्त ही ये सुविधाए फिट करने पर ध्यान दें तो खर्च भी कम आएगा। इस मौके पर
महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ऐसी ही सुविधा देश की हर
बस में मुहैया कराने की मुहिम शुरू होगी, जो सुरक्षा का माहौल पैदा करेगा।
बस
में मौजूद महिला यात्री मुश्किल वक्त पर पैनिक बटन दबा सकती है। बटन दबते
ही पुलिस और परिवहन विभाग को आॅटोमेटेड मैसेज फौरन जाएगा। जीपीएस के जरिए
बस की लोकेशन पता चल जाएगी। कोई असामाजिक तत्व बस में चढ़ा या उतरा है तो
सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग उसकी पहचान करने में मदद करेगी। मसलन महिलाओं की
सुरक्षा, सुविधा और सम्मान की इस शुरूआत को देश भर में बढ़ाने की योजना है।
जाहिर है ज्यादा रखरखाव और संवेदनशीलता के साथ यात्री बसों में महिलाओं की
सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। वहीं जीपीएस के जरिए बस की
स्थिति का भी पता चल सकेगा।
26May-2016

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