शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

सख्त नियमों से सड़क सुरक्षा में आयेगा सुधार!

मंत्रियों के समूह की बैठक में एजेंडे पर आज होगा मंथन
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश में सड़क सुरक्षा यानि सड़क हादसों पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार की जारी कवायद में परिवहन नियमों को सख्त करने की तैयारी हो रही है। केंद्र द्वारा गठित राज्यों के परिवहन मंत्रियों के समूह ने इस समस्या के समाधान निकालने के लिए एक व्यापक एजेंडा तैयार कर लिया है, जिसका खुलासा समूह की कल शुक्रवार को होने वाली पहली बैठक में पेश किया जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क परियोजनाओं में सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, जिसके लिए उन्होंने वर्ष 2020 तक देशभर में सड़क हादसों को आधा यानि 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ समन्वय करके इस कैंसररूपी समस्या के समाधान तलाशने के लिए राजस्थान के परिवहन मंत्री युनुस खान की अध्यक्षता में राज्यों के परिवहन मंत्रियों का समूह गठित किया था, जिसने एक ऐसा एजेंडा तैयार किया है, जिसमें देश की परिवहन व्यवस्था को आसान बनाने के साथ सुरक्षित बनाने के लिए सख्त नियमों को लागू करने जैसी सिफारिशें की है। हालांकि इसका खुलासा कल शुक्रवार को होने वाली मंत्रियों के समूह की पहली बैठक में किया जाएगा, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में देश में सड़क परिवहन के क्षेत्र में आ रही समस्याओं के साथ सड़क सुरक्षा और परिवहन को सुगम बनाने के उपायों पर चर्चा होगी। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने और सभी हितधारकों की संतुष्टि हेतु एक तत्कालिक प्रशासनिक बदलाव के तहत मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने और प्रौद्योगिकी का इष्टतम उपयोग करने की जरूरत पर मंथन हो सकता है। इसी मकसद से राज्यों के परिवहन मंत्रियों से एक रोडमैप विकसित करने को कहा गया है।
जल्द आएगा सख्त सड़क सुरक्षा  कानून 
केंद्रीय सड़क मंत्रालय के अनुसार सड़क सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था में आमूल-चूलन परिवर्तन की दिशा में सरकार द्वारा प्रस्तावित नया सड़क सुरक्षा और परिवहन विधेयक संसद में लंबित है, जिसे लोकसभा ने तो मंजूरी दे दी है, लेकिन राज्यसभा में वह अभी तक अटका हुआ है। राज्यों के परिवहन मंत्रियों की सिफारिश के बाद इस विधेयक में कुछ संशोधन भी करने पड़े तो उसके लिए विचार करने के बाद जल्द ही इस विधेयक को सरकार पारित कराने का प्रयास करेगी। विधेयक की मंजूरी से पहले इस समूह की बैठक में सार्वजनिक स्थानों पर पैदलपथ और साइकिल चालक जैसे गैर मोटर चालित परिवहन से निपटने के उपायों के अलावा ड्राईविंग लाईसेंस, जरूरी ड्राईवर प्रशिक्षण, लाइसेंस के नवीकरण की श्रेणियों और अवधि के युक्तिकरण बनाने पर जोर दिया जाएगा।
पिछले साल 1.46 लाख मौतें
मंत्रालय के अनुसार भारत सड़क सुरक्षा से संबंधित गंभीर समस्याओं से इसलिए भी घिरा हुआ है कि निरंतर देश में सड़क हादसों के कारण मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसी का नतीजा वर्ष 2015 के दौरान 1.46 लाख मौतों का आंकड़ा सामने आया है। अब भारत ने ब्रासीलिया घोषणापत्र पर किए गए हस्ताक्षर के मुताबिक वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में 50 फीसदी कमी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कमर कस ली है।
अर्थव्यवस्था पर भी असर
दरअसल सड़क परिवहन का क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है, यात्री और माल भाड़े के कुल भार के 75 प्रतिशत हिस्से पर इसका असर पड़ता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 4.5 प्रतिशत के करीब है। हालांकि यह क्षेत्र पुराने नियमों और प्रथाओं से ग्रस्त है और इसमें तत्काल सुधारों की जरूरत है।
29Apr-2016

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