सोमवार, 18 अप्रैल 2016

राज्यों के सिर फूटा जल संकट का ठींकरा!


केंद्र से जारी पैकेज पर राज्यों को फटकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के आधे राज्य जल संकट की तरफ जा रहे हैं, जिनमें तेरह राज्यों में गहराते जा रहे ज्यादा जल संकट का ठींकरा केंद्र सरकार ने राज्यों के सिर फोड़ना शुरू कर दिया है। इन राज्यों में खासकर पेयजल की समस्या से निपटने की दिशा में तल्ख भरे निर्देश जारी कर साफ कर दिया है कि केंद्र से जारी पैकेज से राज्य ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल किल्लत से निपटने में फ्रीहैंड हैं। इसलिए पानी संबन्धी शिकायत केंद्र तक नहीं पहुंचनी चाहिए।
मौसम विभाग की इस भविष्यवाणी कि इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश होगी, लेकिन उसका इंतजार अभी दूर है। फिलहाल देश में सभी प्रमुख 91 जलाशयों में पानी का स्तर तेजी से गिरने से 18 राज्यों में जल संकट की आशंका बनी हुई है और इनमें तेरह राज्यों जिनमें मराठवाडा और बुंदेलखंड भयंकर जल संकट रडार पर आ चुके हैं। केंद्र सरकार ने इन तेरह राज्यों को ग्रामीण पेयजल योजना के तहत 819 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी है, जबकि इन राज्यों के पास पहले से ही इस योजना में 2365 करोड़ रुपये का अधिशेष है। ऐसे में केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि पेयजल समस्या से निपटने के लिए तमाम आर्थिक स्रोत के लिहाज से केंद्र ने इन राज्यों को फ्रीहैंड किया हुआ है। इसके बावजूद हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे नौ राज्यों में लातूर जैसे जल संकट की आशंका बनी हुई है।
ब्लॉक स्तर पर निगरानी के निर्देश
देश में जल संकट खासकर पेयजल के मामले में केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव ने 13 राज्यों के प्रमुख सचिवों को तल्ख अंदाज वाले एक पत्र में केंद्र द्वारा जुटाए गये तमाम आर्थिक स्रोतों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि राज्यों को ऐसी स्थिति मे किसी भी कीमत पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने के पानी से इंकार नहीं करना चाहिए। मसलन केंद्र की मंशा साफ है कि किसी भी स्थिति मे पानी संबन्धित शिकायत दिल्ली तक नहीं पहुंचनी चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा जारी कड़े निर्देशों में यह भी साफ कहा गया है कि पानी की किल्लत से निपटने के लिए राज्य सरकारें अब प्रदेश स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक पेयजल निगरानी प्रकोष्ठ गठित गठित करना सुनिश्चित करें। कल सोमवार को केंद्रीय पेयजल सचिव स्वयं पानी के हालातों पर राज्यों के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग करेंगे।
हरियाणा समेत संकट में ये राज्य
हरियाणा में फिलहाल पानी की उपलब्धता 9.8 बिलियन क्यूबिक मीटर(बीसीएम) यानि अरब घन मीटर बताई गई है, जबकि खपत 13.1 बीसीएम है यानि उपलब्धता और खपत का अंतर -133 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार पंजाब में 20.3 बीसीएम पाीन है,जबकि खपत उससे कहीं ज्यादा 34.9 बीसीएम होने से यहां पानी की उपलब्धता और खपत का अंतर 172 नीचे पहुंच गया है। राजस्थान में पानी की उपलबता 10.8 बीसीएम और खपत 14.8बीसीएम से अंतर -137 फीसदी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्लीका भी जल संकट से बुरा हाल है जहां पानी की उपलब्धता 0.3बीसीएम और खपत 0.4 बीसीएम के साथ यह अंतर 137 फीसदी कम है।
इन राज्यों में अभी कुछ राहत
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड को छोड़कर फिलहाल अन्य इलाको में राहत की खबर है, राज्य में पानी की उपलब्धता 71.7 बीसीएम और खपत 52.8 बीसीएम के साथ इन दोनों के बीच का अंतर 74 प्रतिशत है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में पानी की उपलब्धता 33.3 बीसीएम और खपत 18.8 बीसीएम के साथ यह अंतर 62 प्रतिशत है। जबकि गुजरात में 11.9 बीसीएम खपत के मुकाबले पानी 17.6 बीसीएम पानी उपलब्ध है। इसी प्रकार तमिलनाडु में 19.4 बीसीएम पानी की उपलब्धता के बावजूद खपत 14.9 बीसीएम है यानि इन राज्यों में खपत से ज्यादा पानी अभी मौजूद है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के लाखों-करोड़ों के पैकेज के बावजूद राज्य सरकार बुंदेलखंड की स्थिति नहीं सुधार पाई, जहां भूजल का स्तर 105 मीटर तक नीचे चला गया है।
बुंदेलखंड: खेतों के साथ हलक भी सूखे
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के सात जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर व महोबा के लिए भारी भरकम पैकेज जारी करने के बावजूद राज्य सरकार गर्मी बढ़ने के साथ सियासी रणनीति पर काम कर रही है, जिसके दावों के विपरीत पहले से ही सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में अब पेयजल का बड़ा संकट उभरने लगा है। मसलन किसानों के सूखे पड़े खेतों के बाद अब गर्मी बढ़ने से उनके सामने पेयजल का संकट भी उनके हलक सूखने को मजबूर कर रहा है।
जल संकट पर विधेयक की तैयारी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में पानी की किल्लत पर केंद्र सरकार जल्द ही आदर्श विधेयक लाने की की तैयारी कर रही है, जिसमें राज्यों को जल भंडार सुनिश्चित करके प्रभावी जल प्रबंधन पर दिशानिर्देश तय किये जाएंगे। केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशि शेखर ने जल विधेयक लाने के लिए तैयार किये जा रहे मसौदे के बारे में कहा कि इसमें विभिन्न पक्षों और विशेषज्ञों के सुझाव पर 15 मई तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। इस विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप मिलने के बाद इसे एक कानून के रूप में लागू किया जाएगा, जिसमें जल संरक्षण की दिशा में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। हालांकि पानी राज्यों का विषय है। केंद्र सरकार ने यह निर्णय देश में मौजूद जल संकट को देखते हुए लिया है। शेखर ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इसमें अन्य केंद्रीय मंत्रालयों का भी परामर्श लिया जाएगा। मौजूदा गंभीर जल संकट पर शेखर ने कि देश में पानी के प्रचुर भंडार हैं। महाराष्ट्र के लातूर जिले के जल संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगले 10 साल तक जल प्रबंधन को लेकर व्यापक सोच की जरूरत है। उन्होंने पानी के भंडारण, खासतौर पर भूजल संचय पर जोर दिया ताकि इसका वाष्पीकरण नहीं हो।
18Apr-2016


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