दोनों सदनों में बरपा कांग्रेस का हंगामा, कार्यवाही बाधित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
के बजट सत्र के दूसरे चरण शुरू होते ही दोनों सदनों में उत्तराखंड में
राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर विपक्ष खासकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को
घेरते हुए जबरदस्त हंगामा किया। कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्टÑपति शासन
की कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए इस मुद्दे पर संसद में
चर्चा कराने की मांग की। इस मुद्दे पर सरकार ने विपक्ष की इस मांग को
सुप्रीम कोर्ट में मामला होने की दलील देते हुए खारिज कर दिया।

राज्यसभा की कार्यवाही बाधित
राज्यसभा की
कार्यवाही शुरू होने पर उत्तराखंड में राष्टÑपति शासन को लेकर कांग्रेस ने
जमकर हंगामा किया और आसन के करीब आकर लोकतंत्र के हत्यारों शर्म करो जैसे
नारे तक लगाए। कांग्रेस के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शून्यकाल में
ही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद आॅड-इवन मामला उठने के तत्काल बाद
कांग्रेसी सदस्यों ने फिर आसन के करीब आकर उत्तराखंड मामले पर सरकार के
खिलाफ नारेबाजी करके हंगामा शुरू कर दिया। इस प्रकार राज्यसभा की कार्यवाही
पटरी पर नहीं आ सकी। प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि
शीतकालीन सत्र के दौरान अरूणाचल प्रदेश की सरकार को अपदस्थ करते हुए पहले
वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया गया और फिर जब तक वहां भाजपा की सरकार नहीं
बन गई, केंद्र ने चैन की सांस नहीं ली। अब उत्तराखंड में यही किया जा रहा
है। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि सदन के नेता अरूण जेटली ने पिछले
सत्र में कहा था कि सदन में किसी मुद्दे पर चर्चा को इसलिए नहीं टाला जा
सकता कि वह मुद्दा अदालत में विचाराधीन है। आपको अपनी बात याद रहनी चाहिए।
राज्यसभा
में सोमवार का सत्र शुरू होते ही सबसे पहले नए सदस्यों को शपथ दिलाई गई।
कांग्रेस नेता आंनद शर्मा, शमशेर सिंह, नरेश गुजराल, प्रताप बाजवा, श्वेत
मलिक, झरना दास वैद्य ने शपथ ली।
माल्या पर सरकार की सफाई
माल्या
पर बोलते हुए संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार पूरी
कोशिश कर रही है कि वो भारत आएं और बैंकों के कर्जों का भुगतान करें। इस
मुद्दे पर केंद्र सरकार की भूमिका संदेह से परे है। सिर्फ राजनीति के लिए
इन मुद्दों को उठाना जनता के साथ नाइंसाफी होगी।
सूखे पर बयान
सूखे
पर वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के कई सूबे सूखे का सामना कर रहे हैं।
केंद्र सरकार इस मुश्किल घड़ी में आम लोगों के साथ खड़ी है। सूखा प्रभावित
राज्यों की मदद से केंद्र सरकार न कभी पीछे हटी थी न ही आगे हटेगी।
इन मुद्दों पर भी हो सकती है बहस
विधानसभा
चुनाव के चलते टीएमसी, एआईएडीएमके और डीएमके का कोई नेता बैठक में मौजूद
नहीं था। हालांकि सरकार की नजर टीएमसी, एआईएएमके और बीजेडी जैसे दलों पर
है, जो मौके पर उसकी नैया पार लगा सकें। कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों
ने सूखा, जलसंकट, किसानों की समस्या, मंहगाई और गंगा की सफाई का मुद्दा
उठाया और चर्चा की मांग की। आरजेडी सांसद जेपी यादव ने एक बार फिर बिहार को
विशेष राज्य का दर्जा के मुद्दे पर चर्चा की वकालत की।
जब सरकार के तर्क से बैकपुट पर आई कांग्रेस
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तराखंड
के मुद्दे पर सरकार को घेरने के प्रयास में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग
करती कांग्रेस अपने ही शब्द जाल में उलझ गई और राष्टÑपति की उद्घोषणा के
मुद्दे पर नियमानुसार सदन मेें चर्चा कराने को तैयार सरकार को देख बैकपुट
पर नजर आई।
दरअसल उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद
शर्मा ने सरकार को घेरने के प्रयास में जब कहा कि निर्वाचित सरकार को हटाने
के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति की उद् घोषणा का उपयोग किया है और
कांग्रेस सदस्य इस पर चर्चा चाहते हैं। उच्च सदन के नेता और वित्त मंत्री
अरूण जेटली ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की बात पर सहमति जताते हुए तपाक से
कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत अगर कोई मुद्दा सदन के समक्ष रखा जाता है तो
उस पर चर्चा होना तय है और होगी, क्योंकि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन
लगाने की उद्घोषणा को अनुच्छेद 356 (3) के तहत सदन में रखा जा चुका है और
कांग्रेस सदस्य इस मुद्दे पर उस समय चर्चा कर सकते हैं जब उद्घोषणा पर
चर्चा शुरू की जाएगी। वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के आरोप का
प्रतिवाद करते हुए कहा कि उत्तराखंड का राजनीतिक संकट भाजपा या राजग सरकार
का नहीं हैं, बल्कि यह संकट कांग्रेस के आंतरिक संकट का नतीजा है। चूंकि यह
मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की अनुदान की मांगों पर संसद के दोनों सदनों में
चर्चा होनी है और उस समय इस मामले में बात रखी जा सकती है। सरकार की ओर से
दिये गये इन तर्को से कांग्रेस के आनंद र्श्मा अपनी ही बात में उलझते नजर
आए और इस मुद्दे पर खुद ही कांग्रेस बैकपुट पर आती नजर आने लगी।

26Apr-2016
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