शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

नई रणनीति से जल संकट से निपटने की तैयारी!

केंद्र सरकार ने राज्यों से जल लिकेज को जीरो करने को कहा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश में जल संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने नई रणनीतियों और विदेशी तकनीक से जल संरक्षण और जल प्रबंधन को बेहतर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से खासकर पानी की बर्बादी यानि वाटर लिकेज को जीरो करने के लिए पत्र लिखकर खासकर पेयजल को सुरक्षित करने पर बल दिया है।
दरअसल पानी की समस्या दुनियाभर के सामने विकराल रूप धारण करती जा रही है। मसलन जल संकट से अकेला भारत ही ही नहीं जूझ रहा है। इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल को कानून के दायरे में लाने पर भी बहस चल रही है। यह दिगर बात है कि कुछ देश पानी की सुरक्षा करने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करके कुछ हद तक राहत की सांस ले रहे हैं, लेकिन भारत में जिस तरह से पानी की बर्बादी हो रही है उसके लिए यदि केंद्र और राज्य सरकारें सचेत होकर जनता को ‘जल है तो कल है’ के महत्व को न समझाते हुए जल के प्रति जागरूक न कर सकी, तो भविष्य में देश पानी की बूंद-बंूद से तरस जाएगा। ऐसा वैज्ञानिकों ने अध्ययन करके अकेले भारत के लिए ही नहीं, बल्कि समूची दुनिया के सामने खुलासा करते हुए चेतावनी तक दे डाली है कि वर्ष 2025 तक दुनिया के दो तिहाई देशों को पानी की भारी किल्लत झेलने को मजबूर होना पड़ सकता है। जबकि एशिया और खासतौर से भारत में ऐसी स्थिति उससे भी पहले यानि वर्ष 2020 तक ही होने की आशंका है। मसलन एशिया में यह समस्या कहीं अधिक विकराल होने की संभावनाएं जताई जा रही है। मोदी सरकार ने इस चेतावनी को गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जल चिंता के तहत केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने जल संसाधन मंत्रालय के साथ समन्वय करके गत एक अप्रैल को ही सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों और जल आपूर्ति सचिवों को पत्र लिखकर शहरी और ग्रामीण जल आपूर्ति योजना में पानी के लिकेज को जीरो करने के लिए कदम उठाने को कहा है।
समूचे एशिया पर खतरा
जल से जुड़े वैज्ञानिकों और जल क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की माने तो तिब्बत के पठार पर मौजूद हिमालयी ग्लेशियर समूचे एशिया में 1.5 अरब से अधिक लोगों को मीठा जल मुहैया करता है। इस ग्लेशियर से नौ नदियों में पानी की आपूर्ति होती है, जिनमें भारत की गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियां भी शामिल हैं। मसलन इन नदियों से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल और बांग्लादेश में जलापूर्ति हो रही है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और ‘ब्लैक कार्बन’ जैसे प्रदूषक तत्वों ने हिमालय के कई ग्लेशियरों पर जमी बर्फ की मात्रा को कम कर दिया है, जिसके कारण इनमें से कुछ इस सदी के अन्त तक निश्चित रूप से खत्म हो जाएंगे। इसका तात्पर्य ग्लेशियरों पर जमी बर्फ की मात्रा के घटने से लाखों लोगों की जलापूर्ति पर असर पड़ेगा और बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है जिससे जान-माल को भारी नुकसान होगा। वैज्ञानिकों का मत है जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या बढ़ोत्तरी के कारण अगले दो दशक में पानी की मांग, आपूर्ति से 40 फीसदी ज्यादा होगी यानी दस में से चार लोग पानी से वंचित रह सकते हैं। यही नहीं कृषि क्षेत्र, जिस पर जल की कुल आपूर्ति का 71 फीसदी खर्च होता है, सबसे बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे दुनिया के साथ भारत के खाद्य उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा।
जल संरक्षण में सामाजिक भागीदारी जरूरी :उमा भारती
स्वयं सेवी संस्थाओं और एजेंसियों से आगे आने का आव्हान

 नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने जल सरंक्षण और जल प्रबंधन को देश के विकास के रूप में महत्वपूर्ण मानते हुए मानव सभ्यता, जल संचयन और जल प्रबंधन की बेहतर तकनीक के उपयोग पर बल दिया है। इसके लिए सरकार की योजनाओं में जन भागीदारी पर बल देते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि जल संरक्षण के क्षेत्र में समाज की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ‘भारत जल सप्ताह’ के तहत ‘जल संसाधनों में सामुदायिक भागीदारी’ विषय पर एक विशेष सत्र में बोलते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि देश के जल संसाधनों के संरक्षण में सामाजिक संगठनों और सरकारी एजेंसियों की बराबर की भागीदारी होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में जल संसाधनों पर निरंतर दबाव बढ़ने से आने वाली पीढ़ी के लिए पर्याप्त जल भंडार सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग की है। उन्होंने सामाजिक संगठनों का आह्वान किया कि वे जल संरक्षण को लेकर देशभर में एक अनुकूल माहौल बनाए। खासकर इस काम में नौजवानों, विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में हो रहे जलवायु परिवर्तनों से भी जल संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भारती ने नदी जोड़ो परियोजना का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि इसके सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद देश में जल की उपलब्धता का काफी बढ़ जाएगी। इस संदर्भ में जल क्रांति अभियान और जल ग्राम योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य जल संरक्षण के क्षेत्र में पंचायतीराज संस्थाओं, स्थानीय निकायों और सभी हितधाराकों को समान रूप से साथ लेकर आगे बढ़ना है।
आज राष्ट्रपति करेंगे जल सप्ताह का समापन
यहां आयोजित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चौथे भारत जल सप्ताह का समापन कल शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे। इस सम्मेलन में भारत समेत करीब 20 देशों के डेढ़ हजार प्रतिनिधि शिरकत करके वैज्ञानिक तकनीकों का आदान-प्रदान करके जल संकट की चुनौतियों से निपटने की रणनीतियों का तानाबाना बुन रहे हैं। जल के प्रति जागरूता फैलाने की दिशा में इस आयोजन के तहत ‘वाटर एक्सोपो’ के अलावा जल फिल्म महोत्सव और जल प्रदर्शनी के जरिए जल संसाधन क्षेत्र की प्रौद्योगिकियों और समाधानों को प्रदर्शित किया गया है।
08Apr-2016


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