समस्या से जल्द न निपटा गया तो भयावह होंगे हालात
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देशभर
में जल संकट के छाये बादलों ने गंगा और युमना के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश
को भी बुंदेलखंड की राह पर जल संकट के खतरे में धकेलना शुरू कर दिया है।
विशेषज्ञों का मत है कि यदि समय रहते सतर्कता न बरती गई तो पश्चिमी उत्तर
प्रदेश का जल संकट और सूखे की स्थिति बुंदेलखंड से भी ज्यादा भयावह साबित
होगी।

तेजी से गिरा भूजल स्तर
भूजल
विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इतनी तेजी से
गिरते भूजल स्तर जल संकट के खतरे के संकेत दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार
राज्य में 22 ब्लॉकों में भू-जल का अतिदोहन हो रहा है, जिनमें 9 ब्लॉक
अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामिल है। वेस्ट यूपी के हैं। इस रिपोर्ट की
माने तो सेमीक्रिटीकल श्रेणी में शामिल 53 ब्लॉकों में भी पचास फीसदी से
ज्याद यानि 28 ब्लॉक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। पश्चिमी यूपी के मेरठ
जिले का मुख्यालय मेरठ, रजपुरा, मवाना और खरखौदा ब्लॉक जल्द ही क्रिटीकल की
श्रेणी की तरफ बढ़ रहे हैं, जबकि बागपत के बिनौली और बागपत ब्लॉक पहले ही
डार्क जोन में शामिल हैं।
पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, शामली,सहारनपुर, मुजμफरनगर जिलों
के भूजल में में जहर घुल चुका है। मसलन नदियों के अलावा हैंडपंपों से भी
जहरीले पानी के कारण लोगा बीमारियों से त्रस्त हैं। संसदीय समिति की
रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि गंगा और यमुना के किनारे बसे
करोड़ों लोग भूजल के आर्सेनिकयुक्त पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। संसदीय
स्थायी रिपोर्ट की माने तो अकेले गंगा के किनारे बसे कम से कम दस शहरों के
करोड़ो लोग भूजल में आर्सेनिकयुक्त पानी व ऐसे जहर से बुझे भोजन का उपयोग
करने को मजबूर हैं। नतीजन आर्सेनिक जैसे धीमे जहर से जलजनित बीमारियों का
प्रकोप इंसान के शरीर को खोकला कर रहा है। जबकि वैज्ञानिकों द्वारा भी गंगा
और यमुना के पानी के सेवन से कैंसर, मधुमेह, फेफड़ों जैसे भयानक बीमारियों
जैसी भयावह बीमारियों को न्यौता मिलने की बात कह चुके हैं।
एनजीटी भी सख्त
पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के जहरीले होते भूजल पर एनजीटी भी सख्त है और नेशनल ग्रीन
ट्रिब्यूनल ने इस इलाके में जहरीले पानी की जांच के आदेश भी दिये हैं,
जिनमें कई खतरनाक और भारी धातुओं की मौजूदगी के कारण आधा दर्जन से ज्यादा
जिलों का पानी प्रदूषित और जहरीला जानलेवा साबित हो रहा है।
22Apr-2016

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें