रविवार, 10 अप्रैल 2016

साइबर क्राइम के खिलाफ सख्त कानून की तैयारी!

तेजी से पैर पसारते इंटरनेट अपराध से चिंता में सरकार 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनियाभर में भारत में इंटरनेट के सबसे ज्यादा इस्तेमाल की रिपोर्ट के साथ ही साइबर क्राइम के मामले भी तेजी के साथ पैर पसारने से केंद्र सरकार चिंतित नजर आ रही है। केंद्र सरकार साइबर क्राइम पर शिकंजा कसने की दिशा में बेअसर होते मौजूदा कानून को सख्त करने की तैयारी में है।
भारत में दिनों दिन बढ़ते क्राइम में सबसे ज्यादा तेजी से फैल रहा साइबर क्राइम है जो आज भारत के राज्यों में अपनी जड़े फैला चुका है। जैसे-जैसे इंटरनेट के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराध में भी इजाफा देखा जा रहा है। मसलन सोशल वेबसाइट पर भी अपशब्दों वाली भाषा का इस्तेमाल करना कानूनी दायरे में है। यही नहीं केंद्र सरकार ऐसे साइबर अपराधों को रोकने के लिए देश में मौजूदा सूचना तकनीक कानून-2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून-2008 को सख्त बनाने की कवायद कर रही है। हालांकि इसी श्रेणी के कई मामलों में देश में भारतीय दंड संहिता, कॉपीराइट कानून-1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई करने के प्रावधान किये गये, लेकिन मौजूदा कानून साइबर क्राइम की बढ़ती रμतार को रोकने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस दिशा में ऐसे इंटरनेट क्राइम पर निगरानी के लिए केंद्र सरकार एक अलग से सॉμटवेयर विकसित करने की जुगत में है, जिसके तहत कानून में भी सख्त प्रावधान करने की तैयारी कर रही है। साμटवेयर सुरक्षा समाधन उपलब्ध कराने वाली फर्म नोर्टन इंडिया के कंट्री मैनेजर रितेश चोपड़ा की माने तो उनका अनुमान है कि व्यक्तिगत डेटा में सेंधमारी के कारण 11.3 करोड़ भारतीयों को पिछले साल औसतन लगभग 16,558 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
क्या है साइबर अपराध
आज का युग कम्प्यूटर और इंटरनेट का युग है। कम्पयूटर की मदद के बिना किसी बड़े काम की कल्पना करना भी मुश्किल है। ऐसे में अपराधी भी तकनीक के सहारे हाईटेक हो रहे हैं। जो जुर्म को अंजाम देने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वर्ल्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल करने में कोई चूक नहीं करते। आॅनलाइन ठगी या चोरी की भी इसी श्रेणी का अहम गुनाही हिस्सा बनने लगा है। यहां तक कि किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में शामिल है। मसलन साइबर क्राइम दुनियाभर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। किसी कंप्यूटर, डिवाइस, इंफॉर्मेशन सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसपैठ डेटा से छेड़छाड़ करने और किसी व्यक्ति, संस्थान या संगठन आदि के निजी या गोपनीय डेटा या सूचनाओं की चोरी करना करने की वारदाते भी बढ़ रही है, जो साइबर क्राइम की श्रेणी का हिस्सा है, जिसके लिए सजा का प्रावधान है।
महाराष्ट्र पहले पायदान पर
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ो पर नजर डाली जाए तो पिछले तीन वर्षों के दौरान साइबर क्राइम के मामले 966 से बढ़ कर 5,508 तक पहुंच गये हैं यानि 350 प्रतिशत से भी ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया है। ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट ने अनुसार साइबर अपराध के मामलों में वर्ष 2014 में 69 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस दौरान आईटी कानून और भारतीय दंड संहिता आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत 9,622 मामले दर्ज किए गए है। देश में साइबर क्राइम के मामले में 907 मामलों के साथ महाराष्ट्र पहले पायदान पर है, जबकि 682 मामलो के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे और 631 मामलों के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है। इसके बाद कर्नाटक में 533 मामले दर्ज किए गए है। हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में साइबर क्राइम का कम असर है। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान मणिपुर में एक, अरुणाचल प्रदेश में 10, त्रिपुरा में 14 और मेघालय में केवल 17 मामले ही दर्ज किये गये हैं।
 10Apr-2016

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