रविवार, 10 अप्रैल 2016

कसौटी के मोड़ पर खरी उतरी मोदी सरकार


संसद में सकारात्मक सांचे में ढ़ले जनप्रतिनिािध!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश के विकास और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के इरादे से से आगे बढ़ रही केंद्र की राजग सरकार के लिए संसद का बजट सत्र पहली बार कसौटी पर खरा उतरा नजर आया, जिसमें शायद मोदी की अदावत करने वालों के लिए पहला मौका था कि उन्होंने सरकार के कामकाज में सहयोगात्मक और कुछ सकारात्मक रणनीतियों से सरकारी कामकाज और विधायी कार्यो को आगे बढ़वाने की पहल की। यह बात दिगर है कि सरकार बजट सत्र के पहले चरण में भले ही जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक को दशा नहीं दे पाई, लेकिन रियल एस्टेट और आधार विधेयक जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर संसद की मुहर लगवाकर मोदी सरकार ने खुद को सुखद महसूस जरूर किया होगा।
राजनीतिकारों की माने तो केंद्र में शुरूआत से मोदी सरकार पर निशाना साधने में जुटे रहे विपक्ष खासकर कांग्रेस ने बजट सत्र के पहले चरण में सरकार की राह में ज्यादा रोड़ा इसलिए नहीं अटकाया, कि सत्र के पहले ही दिन अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजग सरकार की ओर से संयुक्त बैठक के दौरान जनप्रतिनिधियों को संसदीय और मर्यादाओं का पाठ पढ़ाने के साथ उनके जनता के प्रति जवाबदेही और कर्तव्य की भूमिका की याद दिलाते हुए नसीहत तक दी थी। हालांकि वह मोदी सरकार की सकारात्मक और सहयोगात्मक रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन राष्टÑपति के मुख से निकले इन शब्दों का असर सत्तापक्ष पर ही नहीं, बल्कि हरेक विपक्षी दलों पर भी पूरी तरह से नजर आया। हालांकि सरकार की इस सत्र में रणनीति साफ थी, जिसके लिए सर्वदलीय बैठकों के दौरान स्वयं पीएम मोदी ने भी विपक्षी दलों से देश व जनहित के मुद्दों पर सहयोग की अपील के साथ विपक्ष के मुद्दो को भी सदन में चर्चा के लिए शामिल करने का भरोसा दिया था। सरकार ने अपने इस भरोसे को कायम रखते हुए सत्र के शुरूआती दिनों में ही जेएनयू व रोहित वेमुला और अन्य तथाकथित देशद्रोही मुद्दों पर चर्चा कराकर विपक्ष की रणनीतियों को नियंत्रित करने की प्राथमिकता रखी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पीएम मोदी ने विपक्षी दलों के प्रति नरम रूख रखते हुए संसद के सत्र में सहयोग की नीति के लिए विपक्षी दलों को श्रेय देने में भी कोई कंजूसी नहीं बरती, जिसका असर सरकार के कामकाजों को आगे बढ़ने में साफतौर से नजर आया। मसलन कई अरसे बाद संसद में सरकार और विपक्ष में तालमेल की डोर मजबूत होती देखी गई।
उपलब्धि से कम नहीं रियल एस्टेट व आधार बिल
संसद के बजट सत्र के पहले चरण संपन्न होने से पहले मोदी सरकार ने अंतिम क्षणों में राज्यसभा में आम बजट को पारित कराया और लोकसभा में आधार विधेयक पर चर्चा कराने की औपचारिकता पूरी कराकर उसे कानूनी आधार देने की उपलब्धि हासिल की। इसके अलावा संसद में सरकार के लिए रियल एस्टेट विधेयक भी प्राथमिकता में था, जिसे कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने समर्थन देकर सरकार की राह आसान बनाई। दरअसल राजग सरकार के लिए राज्यसभा में विधायी कार्यो और सरकारी कामकाज को निपटाने की ज्यादा चुनौती थी, जिससे निपटने के लिए मोदी सरकार अपनी रणनीति की कसौटी पर खरी उतरी। इसी का नतीजा रहा कि अपने मुद्दो को लेकर विपक्ष के विरोध में आमने-सामने आने के बावजूद विपक्ष ने विधेयकों को पारित कराने के लिए सरकार के साथ सहयोग की नीति अपनाई। विपक्ष की इसी लय को कायम रखने की वजह से शायद सरकार ने इस दौरान एजेंडे में शामिल होते हुए भी विवादित जीएसटी विधेयक को संसद में आगे बढ़ाने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। इसके अलावा संसद में विरोध के कारण कुछ समय की बर्बाद समय की भी पूर्ति देर रात तक सदनों को चलाकर पूरा काम किया गया। माना जा रहा है कि मोदी सरकार अपने कार्यकाल में पहली बार संसद में कामकाज निपटाने में कुछ हद तक कसौटी पर खरी उतरी है, भले ही उसकी पृष्ठभूमि में कोई भी कारण हों।
इतने कदम चली सरकार
सरकार के सामने बजट सत्र के पहले चरण में ज्यादा से ज्यादा कामकाज का बोझ था। इसमें सरकार के सामने दोनों सदनों में लंबित पड़े विधेयकों के अलावा कुछ महत्वपूर्ण नये बिल पेश करने और प्राथमिकता वाले विधेयकों को संसद की मुहर लगवाने की चुनौती थी। इसमें खासकर राज्यसभा में बिलों को अंजाम तक पहुंचाने की सरकार के सामने चुनौती थी, जिसमें सरकार ने जहां आधार विधेयक को मनी बिल का रूप देकर उसे कानूनी दर्जा दिया, तो वहीं कांग्रेस के समर्थन से रियल एस्टेट विधेयक की चुनौती से भी पार पा लिया। इसके अलावा लोकसभा के साथ राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव, आम बजट, रेल बजट और इनसे संबन्धित विनियोग विधेयकों को चर्चा के बाद पास कराने में सरकार सफल रही। इतने कामाकाज के बोझ को हल्का करने के अलावा निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक, हाईकोट और सुप्रीम कोर्ट जज (वेतन तथा सेवा शर्तें) संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक, विमान से ढुलाई (संशोधन) विधेयक, सिख गुरुद्वारा अधिनियम संशोधन विधेयक भी पारित कराये। जबकि लोकसभा में अंतिम दिन खान और खनिज (विकास एवं विनियमन)-1957 अधिनियम पारित कराने से पहले संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, उद्योग (विकास तथा नियमन) संशोधन विधेयक, वित्त विधेयक और राज्यसभा में पारित हुए विधेयक पारित कराए। जबकि लोकसभा में पारित शत्रुसंपत्ति विधेयक को राज्यसभा में आम सहमति से प्रवर समिति को सौंपा गया है। अरसे बाद संसद में इस दौरान यह भी मिसाल देखने को मिली, कि दोनों सदनों में हर दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल भी प्रभावित नहीं हो पाये।
सिरे नहीं चढ़ा ये काम
संसद में सरकार जैव-प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्रीय केन्द्र विधेयक-2016,चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, लोकसभा में लंबित विधेयकों में लोकपाल तथा लोकायुक्त और अन्य संबद्ध कानून (संशोधन) विधेयक, राज्यसभा में लंबित संविधान (122वां संशोधन)विधेयक, उद्योग (विकास तथा नियमन) संशोधन विधेयक, व्हीसिल ब्लोअर सुरक्षा (संशोधन) विधेयक, तथा अपहरण विरोधी विधेयक समेत कई विधायी कार्यो को सूचीबद्ध करने के बावजूद आगे नहीं बढ़ा सकी है, जिन्हें 25 अप्रैेल से शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे चरण में लाया जाएगा। माना जा रहा है कि बजट सत्र के अगले चरण में भी सरकार और विपक्ष के बीच तालमेल की यह लय बनी रही तो सरकार जीएसटी जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण विधायी व सरकारी कामकाज को अंजाम देने में सफल हो सकती है।
01Apr-2016


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