मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

अब आएगा पहाड़ के नीचे पाक का आतंकी ऊंट!

भारत-पाक सीमा पर पांच स्तरीय सुरक्षा मंजूर
योजना कामयाब रही तो आतंकी नहीं लांघ पाएंगे सीमा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पाकिस्तान की ओर से भारत-पाक सीमाओं के जरिए ना-पाक हरकतों यानि आतंकवादियों की घुसपैठ को पूरी तरह से खत्म करने की योजना को आखिर केंद्र सरकार ने अंतिम रूप दे दिया है। सरकार द्वारा मंजूर की गई पांच स्तरीय सीमा सुरक्षा व्यवस्था में सीसीटीवी कैमरों और तेज लाईटिंग, नदी क्षेत्र में लेजर दीवारों के नर्माण, कंटीली बाडबंडी में घंटियां लगाना शामिल है। मसलन इस खास योजना से पाकिस्तान से लगी भारतीय सीमा का सुरक्षा अलर्ट ऐसा चाकचौबंद होगा, कि शायद ही कोई आतंकी पाकिस्तान से सीमा लांघ कर भारत में घुसपैठ कर पाये।
केंद्र सरकार ने पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले से सबक लेते हुए भारत-पाक सीमा पर आतंकी घुसपैठ को पूरी तरह रोकने की दिशा सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से दुरस्त रखने की योजना का रोडमैप बनाना शुरू कर दिया था। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के करवट बदलने वाले रवैये को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए पाकिस्तान के साथ लगी 2900 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा को और ज्यादा मजबूत करने की योजना 'कॉम्प्रिहेंसिव बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम' यानि सीआईबीएमएस को मंजूरी दे दी है। इस तकनीक के जरिए भारत-पाक सीमा की 24 घंटे निगरानी रखी जा सकेगी और आतंकियों की घुसपैठ, तस्करी और अन्य अप्रिय घटनाओं को रोकने में मदद ही नहीं मिलेगी, बल्कि इस योजना के तहत सीमापार से भारत के हिस्से की ओर होने वली हर गतिविधि तेज सीसीटीवी कैमरों,थर्मल इमेज, अंडर ग्राउंड मॉनिटरिंग सेंसर और आधुनिक नाइट विजन उपकरणों से सुरक्षा बलों की नजरें में रहेगी। गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा मंजूर की गई इस पांच स्तरीय सुरक्षा प्रणाली में सीमापार से घुसपैठ रोकने के अलावा युद्ध के मैदान में निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रडार, भूमिगत मॉनिटरिंग सेंसर और लेजर बैरियर्स के भी इंतजाम शामिल हैं। सरकार मानती है कि आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करने के से इससे बेहतर कोई उपाय नहीं हो सकता।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू
गृह मंत्रालय के अनुसार इस योजना का पांच किलोमीटर के पंजाब व जम्मू के दो हिस्सों में दो सप्ताह पहले ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा चुका है। इसके नतीजे के बाद सरकार ने गुजरात और पंजाब के 30-30 किलोमीटर क्षेत्र में सीआईबीएमएस लगाने की मंजूरी दी है। सरकार की योजना के लक्ष्य में अगले दो साल में पाक से लगी पूरी सीमा को तकनीक से लैस करने का है। लेजर दीवारों को 130 ऐसे स्थानों पर लगाने की तैयारी है, जहां फेंसिंग नहीं हुई है। इसमें जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी और नदी वाले इलाकों से लेकर गुजरात तक के हिस्से शामिल हैं। दरअसल यही वे इलाके हैं जिनका घुसपैठ के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता रहा है।
ऐसे काम करेगी सुरक्षा प्रणाली
गृह मंत्रालय के अनुसार चूंकि रडार 360 डिग्री कवरेज करेंगे और वहीं सीसीटीवी कैमरे दिन-रात सीमा के दोनों ओर निगरानी रखेंगे। इसका फायदा सीमा चौकियों पर तैनात सुरक्षा बलों को घुसपैठियों को पकडने मदद मिलेगी। खास बात है कि सीमा पर होने वाली हर गतिविधियों की सूचना केंद्रीय नियंत्रण कक्ष और सुरक्षा चौकियों को भी मिलती रहेगी।
सुरक्षा बल भी रहेंगे सतर्क
मंत्रालय के सूत्रों की माने तो भारत-पाक सीमा पर लागू किये जा रहे पांच स्तरीय सुरक्षा अलर्ट में सीमाओं पर तैनात पुलिस और सुरक्षा बल भी कोई चूक करने से बचेंगे और पूरी तरह से सतर्क रहेेंगे। कारण इस तकनीकी सुरक्षा में वे भी केंद्रीय सुरक्षा नियंत्रण कक्ष की जद में होंगे। मसलन सुरक्षा चेक पोस्टों के तेज रोशनी के साथ हाई रिजोल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरों से लैस होने के कारण सीमा चैकियों से गुजरने वाले वाहन भी निगरानी में होंगे। इस हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीमाओं पर होने वाली हर गतिविधियों का डाटा नियंत्रण कक्ष में रिकार्ड बनेगा तो किसी भी घटना के बारे में जांच करना भी आसान हो जाएगा।
क्या है पांच स्तरीय सुरक्षा?
-इस योजना के तहत बॉर्डर पर सीसीटीवी कैमरा लगेंगे।
-थर्मल इमेज और रात में देखे जाने वाले उपकरण।
-लड़ाई क्षेत्रों में निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाले रडार
-अंडरग्राउंड मॉनिटरिंग सेंसर्स का इस्तेमाल।
-जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात सीमा तक 13 जगहों पर लेजर अवरोधकों का इस्तेमाल।
12Apr-2016





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