यूएई के बाद अन्य देशों से भी होंगे भारत के करार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार भारत मेें बढ़ते नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव
तस्करी खासकर बच्चों और महिलाओं के अवैध व्यापार पर लगाम लगाने की कवायद कर
रही है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार सख्त
कानून बनाने की भी तैयारी में जुटी है। वहीं मानव तस्करी के कारोबार से
जुड़े देशों के साथ समझौते करके ऐसी गतिविधियों को रोकने के प्रयास किये जा
रहे हैं।
केंद्र सरकार ने मानव तस्करी के गोरखधंधे पर शिकंजा
कसने के लिए बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात से किये गये एक समझौते को मंजूरी
दी है। इसी तरह जिन देशों में बच्चों, महिलाओं या अन्य व्यक्तियों को मानव
तस्करी की गतिविधियां चल रही है, उनके साथ भी भारत सरकार इसी तरह के
समझौते करके मानव के अवैध व्यापार को रोकने की कवायद तेज करने की तैयारी
में है। भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। सरकारी आंकड़ों
पर गौर की जाए तो यहां देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी करने वाले गिरोह किसी
व्यक्ति को डराकर, बलप्रयोग कर या दोषपूर्ण तरीके से भर्ती, परिवहन या शरण
में रखने की गतिविधि तस्करी के कारोबार को चला रहे हैं। दुनियाभर में 80
प्रतिशत से ज्यादा मानव तस्करी यौन शोषण के लिए तो होती ही है, वहीं बंधुआ
मजदूरी के लिए भी ऐसी गतिविधियां सक्रिय हैं।
सख्त कानून बनाएगी सरकार
केंद्र
सरकार ने पिछले दिनों ही मानव तस्करी पर सख्त कदम उठाने को लेकर सुप्रीम
कोर्ट को जानकारी दी है कि मानव तस्करी और महिलाओं को जबरन देह व्यापार में
धकेलने वालों के गठजोड़ का पदार्फाश करने के लिये एक प्रभावी कानून के
मसौदे को तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत एक जांच एजेंसी का गठन करने का
प्रस्ताव भी है। गौरतलब है कि जस्टिस अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने से कहा था कि वह संगठित अपराध जांच
एजेंसी का गठन करके मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाही अमल में लाए। केंद्र
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी भरोसा दिलाया था कि मानव तस्करी और यौन
शोषण को रोकने के लिए सरकार जल्द ही सख्त काननू लेकर आएगी। हालांकि देश में
अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम के तहत व्यवसायिक यौन शोषण दंडनीय है। इसकी
सजा सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की है। भारत में बंधुआ मजदूर उन्मूलन
अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम, बंधुआ और जबरन मजदूरी
को रोकते हैं।
यूएई से यह हुआ समझौता
भारत के
संयुक्त अरब अमीरात के बीच मानव तस्करी को लेकर हुए एक समझौते को बुधवार को
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की
बैठक में मंजूरी दी गई है। इस समझौते के तहत दोनों देश मानव तस्करी को
रोकने एवं उसका मुकाबला करने के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान करने के साथ
कार्रवाही करने में भी सहयोग करेंगे। इस समझौते के तहत जहां दोनों देशो के
आपसी रिश्ते को मजबूत होंगे, वहीं मानव तस्करी, खासकर महिलाओं एवं बच्चों
की तस्करी को रोकने, बचाव राहत एवं उनके देश-प्रत्यावर्तन के मुद्दे पर
आपसी सहयोग की शीघ्रता बढ़ाएंगे। इस समझौते के तहत दोनों देश त्वरित जांच और
दोनों देशों में से किसी में भी मानव तस्करों एवं संगठित अपराध का अभियोजन
सुनिश्चित किया जाएगा। दोनों देशों ने खासकर महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी
को खत्म करके मानव तस्करी के पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा करने का भी
प्रावधान किया है। इसके लिए दोनों देशों में ऐसी गतिविधियों की निगरानी
हेतु संयुक्त रूप से मानव तस्करी प्रकोष्ठ एवं कार्यबल गठित किये जाएंगे।
14Apr-2016
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