मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

राग दरबार: पर्दे के पीछे की बाजीगरी....

अल्पसंख्यक मंत्रालय की नाकामी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद अल्पसंख्यकों में अपनी और सरकार की छवि को संतुलित करने की दिशा में जिस प्रकार से देश में उनके सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोला था, उसे देखते हुये समाज के लोगों को सुखद आश्चर्य हुआ था। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार अल्पसंख्यकों को सीधे फायदा पहुंचे, इसके लिये मोदी सरकार ने डीबीटी यानि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) व्यवस्था को अपनाया। समाज के विद्यार्थियों ने इसे हाथों-हाथ लिया। लेकिन सरकार के बयान और उसके आंकड़े कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। नया वित्तीय वर्ष शुरु हुआ तो अल्पसंख्यक मंत्रालय की बाजीगरी भी उजागर हो गयी।
अब भला देखिये, बीते वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के लिये पर्याप्त धनराशि आवंटित की थी। मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के लिये कई योजनाओं की शुरूआत बड़े धूमधाम से की थी, लेकिन निर्धारित छात्रवृत्ति राशि का पूरा इस्तेमाल कर पाने में बुरी तरह विफल रहा। एक अप्रैल से नया वित्तवर्ष शुरू होते ही मंत्रालय ने एक बयान जारी कर वैकल्पिक व्यवस्था से पिछले वित्तवर्ष की बकाया राशि को चालू वर्ष में हस्तांतरित कर दिया। अब इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में खुली चर्चा हो रही है कि मंत्रालय छात्रवृत्ति के छात्रों को भुगतान करने के लिये डीबीटी मोड की चुनौतियों से पार नही पा सका, जिसका कारण है कि 80 लाख के लक्ष्य के बावजूद वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक मात्र 39 लाख अल्पसंख्यक छात्र ही अपने बैंक खातों में डीबीटी मोड से छात्रवृति प्राप्त कर पाये हैं।
हालांकि, मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की डीबीटी मोड की व्यवस्था का मकसद छात्रों को कदाचारों से छुटकारा दिलाना और छात्रवृत्ति के नाम पर होती रही अनियमितताओं पर अंकुश लगाना था। सच तो यही है कि इतने बड़े पैमाने पर आॅनलाइन सत्यापन और धनराशि को सीधे छात्रों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के पहले प्रयास में कुछ तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करने में मंत्रालय पीएम मोेदी की कसौटी पर खरा नही उतर पाया। अलबत्ता, मंत्रालय बड़े जोर शोर से यह दावा कर रहा है कि मोदी सरकार ने बकाया राशि को चालू वित्तवर्ष में अग्रसारित करके इसे खर्च करने की मंजूरी दे दी है। कुछ समझे जनाब..... यही तो है आंकड़ों की बाजीगरी।
सिद्धू का बहाना
पंजाब में भाजपा के लिए सिद्धू दंपती परेशानी का सबब बन गये हैं। पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी से खफा हैं, लोकसभा चुनाव में अमृतसर से टिकट कटने के बाद से उनकी नारजगी किसी से छुपी नहीं है। वे ज्यादातर मौकों पर भाजपा के खिलाफ खुलकर बोलने से बच निकलते हैं पर उनकी पत्नी ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। पंजाब में भाजपा की विधायक नवजोत कौर ने जब पार्टी से इस्तीफे का ऐलान किया तो भाजपा हाईकमान को सांप सूंघ्‍ गया। बताते हैं कि कुछ बड़े नेताओं ने नवजोत सिंह सिद्धू से संपर्क किया और नवजोत कौर को समझाने की बात कही। सुनने में आ रहा है कि हर किसी की बोलती अपनी हाजिर जवाबी से बंद करने में माहिर भाजपा के इस पूर्व सांसद और स्टार प्रचारक ने यह कहकर पीछा छुड़ा लिया कि पत्नी के सामने उनकी भी ‘बोलती’ बंद हो जाती है। बात तो पते की कही नवजोत सिंह सिद्धू ने। उनकी इस दलील का भाजपा के सेनापतियों के पास भी कोई जवाब नहीं था। कहा जा रहा है कि दोनों मियां-बीबी भाजपा से किनारा कर आम आदमी पार्टी में जाना चाहते हैं। केजरीवाल से लगातार संपर्क में होने की बात भी हवा में तैर रही है। नवजोत कौर का इस्तीफा इस दिशा में पहला कदम है। देखना ये है कि नवजोत सिंह सिद्धू कब ऐसा करने का फैसला लेते हैं।
रक्षा मंत्री का सेंस आॅफ ह्ययुमर
कहने को तो देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के पास एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील माने वाले रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी है, जिसमें थलसेना,वायुसेना और नौसेना द्वारा की जा रही स्वदेशी भूभाग की सुरक्षा शामिल है। लेकिन इसके अलावा उनके व्यक्तित्व का एक बेहद अहम पहलू उनका शांत, संयमित और मजाकिया होना है। सेंस आॅफ ह्ययुमर इतना कमाल का कि कई बार वो अपने आसपास मौजूद लोगों का गंभीर माहौल के बीच में भी मनोरंजन कर स्थिति को सामान्य बना देते हैं। उनका यह अंदाज राजनीति में आने के बाद का नहीं बल्कि उनके व्यक्तित्व से शुरूआत से ही जुड़ा हुआ है। बीते दिनों एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान देश की सामरिक सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर सवाल-जवाब के बीच रक्षा मंत्री ने मजाकिया अंदाज में अपने आईआईटी बॉम्बे में पढ़ाई के दौरान हुआ एक रोचक किस्सा सुना दिया जिससे माहौल कुछ देर के लिए ही सही हॉल में हंसी और ठहाकों की गूंज से भर उठा। मानो सभी उनके सेंस आॅफ ह्ययुमर के कायल हो गए हो।
-ओ.पी. पाल, आनंद राणा, कविता जोशी
03Apr-2016

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