ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार सड़क और परिवहन क्षेत्र को सुरक्षा की दृष्टि से बदलाव की कवायद कर
रहा है और नई बीमा योजना भी ऐसी ही नीतियों का हिस्सा है। नई बीमा योजना को
लागू करने के पीछे मोदी सरकार का मकसद बीमा कंपनियों की आर्थिक सेहत में
सुधारने और आम जनता को राहत देना है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों को यह बीमा कतई
रास नहीं आ रही है।
दरअसल नए वित्तीय वर्ष से परिवहन क्षेत्र में
थर्ड पार्टी मोटर वाहन बीमा 15 से 40 फीसदी तक महंगा हो गया है, जिसे
ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सरकार के इस फैसले को जोरदार चाबुक करार दिया जा
रहा है। बीमा कंपनियों की मांग पर झरडा ने केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले के
आधार पर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बीमा में बढ़ोतरी करने से ट्रांसपोर्ट
कंपनियों को जोर का झटका दिया है। आॅल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस
(एआईएमटीसी) के अध्यक्ष भीम वाधवा भी मानते हैं कि सरकार ने नई बीमा पॉलिसी
बीमा कंपनियों को लाभ देने के लिए की है। बीमा नियामक संस्था इरडा की
पिछले कुछ सालों में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्रांसपोर्टरों का यह
भी तर्क है कि हर साल गाड़ियों का बीमा प्रीमियम बढ़ा है, जबकि क्लेम लगातार
कम होता जा रहा है। एक बीमा कंपनी के अधिकारी केवी लक्ष्मणन का कहना है कि
देश में छोटी कारों और दोपहिया वाहनों का बडा बाजार है। इस क्षेत्र में
वाहन मालिक एकजुट नहीं है। इसलिए प्रीमियम में वृद्धि कर इसके जरिए
अच्छी-खासी कमाई करना बीमाकतार्ओं के लिए सरल होता है। विशेषज्ञों का मानना
है कि यदि इरडा अन्य बीमा योजनाओं की तरह थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को भी
ओपन कर देती है, तो इसका सीधा फायदा उपभोक्ता के हक में जाता है। देश में
कई बीमा कंपनियां हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रही हैं।
क्या है थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी
भारतीय
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के मुताबिक मृत्यु दावेदारी में औसत
हजार्ने की राशि में भी इजाफा किया गया है। इरडा ने नई छोटी कारों
(1,000सीसी से कम) के लिए थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में 107.79 प्रतिशत की
बढ़ोतरी का प्रावधान है। जबकि ट्रक जैसी कुछ बडी श्रेणियों के वाहनों की
प्रीमियम दरों में कटौती हो सकती है। ऐसे व्यक्ति जिनके पास टाटा नैनो है,
वे टाटा बोल्ट की तुलना में 426 रुपए का थर्ड पार्टी प्रीमियम अदा कर रहे
हैं। 75 से 350 सीसी इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के प्रीमियम में
14-32 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी, जबकि 350सीसी से अधिक क्षमता के इंजन
वाले वाहनों में लगभग 61 प्रतिशत तक की कटौती होगी। ट्रक जैसे बड़े वाहनों
के थर्ड पार्टी प्रीमियम में लगभग 14 प्रतिशत तक कटौती होगी। हालांकि इन
वाहनों का कुल वजन 7,5000 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि 7500 किलो से
अधिक लेकिन 12 हजार किलो से कम वजन वाले वाहनों के प्रीमियम में 20
प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
बीमा कंपनियों का गणित
ट्रांसपोर्टरो
की माने तो इस क्षेत्र में गाड़ी मालिक की गाड़ी की टूट फूट (ओन्ड डैमेज)
आदि का बीमा प्रीमियम भी बीमा कंपनियां खुद तय करती है, जबकि थर्ड पार्टी
इंश्योरेंस का जिम्मा सरकारी एजेंसी इरडा द्वारा उठाया हुआ है। हर साल बीमा
कंपनियां घाटे का राग अलापकर लाभ का गणित तय करने में जुटी होती है, जबकि
ट्रांसपोर्टरों का इसलिए नुकसान होना तय है कि बीमा कंपनियों की 65 फीसदी
बढ़ोतरी की मांग को सरकार ने कॉमर्शियल वाहनों पर बिना जांच परख किए 15-30
फीसदी तक बढ़ोतरी मंजूर कर ली। जबकि टू व्हीलर और कारों पर यह बढ़ोतरी 40
प्रतिशत तक की गई है।
13Apr-2016
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