
कांग्रेस ने नहीं दिया वार्षिक आय का विवरण
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सुप्रीम
कोर्ट और केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देशों के बावजूद कांग्रेस ऐसे राष्ट्रीय दल के रूप में सामने आई है, जिसने आज तक वर्ष 2014-15 की आय-व्यय
विश्लेषण पेश ही नहीं किया है। चुनाव आयोग के समक्ष जिन पांच राष्ट्रीय
दलों में बसपा ने तेजी के साथ अपनी आय में इजाफा करके भाजपा को भी पीछे
धकेल दिया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग में छह राष्ट्रीय दलों को 30
नवंबर 2015 तक अपने-अपने आय-व्यय विश्लेषण की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा
था, लेकिन कांग्रेस ने मंगलवार 19 अप्रैल तक 141 दिन बीत जाने के बावजूद
अपना आय-व्यय ब्यौरा पेश ही नहीं किया। जबकि अन्य पांच राष्ट्रीय दल भाजपा,
बसपा, राकांपा, सीपीएम व सीपीआई अपनी वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट आयोग में
प्रस्तुत कर चुकी है। इन पांच दलों में हालांकि आय की आय में पिछले वर्ष
2013-2014 की 673.81 करोड़ में सबसे ज्यादा 296.62 करोड़ रुपये का इजाफा करके
44.02 फीसदी बढ़ोतरी की है, लेकिन भाजपा से भी ज्यादा तेजी के साथ पिछले
वित्तीय वर्ष की आय में बहुजन समाज पार्टी ने छलांग लगाते हुए 67.31 फीसदी
का इजाफा किया है। हालांकि इस बढ़ोतरी के साथ बसपा ने पार्टी की कुल आय
111.95 करोड़ रुपये ही प्रस्तुत की है। इसके अलावा शरद पवार की पार्टी
राकांपा ने 12.22 करोड़ की वृद्धि के साथ 67.64 करोड़ रुपये घोषित की है।
जबकि सीपीएम की आय में 2.05 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 123.92 करोड़ रुपये
सामने आई है। इस विश्लेषण में सीपीआई ऐसी पार्टी के रूप में सामने आई है,
जिसके वार्षिक आय में पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 59 लाख रुपये की की
कमी दर्शायी गई है, यानि सीपीआई की पिछले साल की 2.43 करोड़ रुपये की राशि
घटकर 1.84 करोड़ ही रह गई है। जबकि कांग्रेस अपनी रिपोर्ट पेश ही नहीं कर
पाई, जो पिछले वित्तीय वर्ष की आय को 598.06 करोड़ रुपये घोषित करके सबसे
अमीर राजनीतिक दल के रूप में उभरी थी। हालांकि सख्त विरोध जताते हुए
कांग्रेस ने पिछले साल की रिपोर्ट पेश की थी।
आय में 88.73 फीसदी चंदे का हिस्सा
चुनाव
आयोग के समक्ष इन पांच दलों द्वारा पेश किये गये अपने वित्तीय ब्यौरे की
1275.80 करोड़ की आय में 1159.17 करोड़ रुपये यानि 88.73 प्रतिशत धन अनुदान
या चंदे और कूपन के जरिए एकत्रीकरण होने का दावा किया गया है। इस मामले में
भाजपा की कुल 970.43 करोड़ रुपये की आय में 940.39 करोड़ की राशि अनुदान,
चंदे और सहयोग निधि का हिस्सा बताया गया है। जबकि इसके बाद बसपा की कुल
111.95 करोड़ में 92.80 करोड़ रुपये चंदे का रूप है। जबकि राकपां की कुल आय
में 38.82 करोड़ रुपये चंदे और 27.17 करोड़ कूपन की बिक्री से आये हैं।
सीपीएम को चंदे के रूप में 59.27 करोड़ तो सीपीआई को केवल 72 लाख रुपये का
चंदा मिला है। इन राष्ट्रीय दलों की आय बढ़ाने वाले स्रोतों यानि दान या
चंदा अथवा कूपन का हवाला दिया गया है ।
सुप्रीम
कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को एक आदेश में कहा था कि उम्मीदवारों के शपथपत्र
का कोई भी हिस्सा खाली नहीं रहना चाहिए,इसी तर्ज पर फार्म 24-ए जो
राजनीतिक दलों द्वारा बीस हजार रुपये से ज्यादा दान देने वाले लोगों के लिए
प्रस्तुत किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम सूचना के अधिकार अधिनियम
के तहत जारी किये थे, जिसके लिए केंद्रीय सूचना आयोग भी अपना निर्णय सुना
चुका था। वहीं भारतीय आयकर कानून के सेक्शन 13ए के तहत राजनीति दलों के
वित्तीय कामकाज में पारदर्शिता लाने का विकल्प दिया गया है। मसलन राजनीतिक
दलों का कर माफ होता है, लेकिन कर माफी की सुविधा का प्रयोग करने के लिए
उन्हें अपना आॅडिट एकाउंट रखना अनिवार्य है। वहीं दलों को आयकर कानून के
सभी प्रावधानों का अनुपालन करना भी जरूरी है।
20Apr-2016

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