सोमवार, 11 अप्रैल 2016

देश ने नहीं लिया पिछले हादसों से सबक!

केरल से पहले भी झेले हैं देश ने दर्दनाक हादसे
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केरल में कोल्लम के पुत्तिंगल मंदिर में रविवार तड़के सैकड़ो लोगों को काल बनाने वाली आग की घटना देश में कोई पहला दर्दनाक हादसा नहीं है। इससे पहले भी देश में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ से बड़े हादसे झेलने पड़े हैं, लेकिन पिछली घटनाओं से सरकारों या स्थानीय प्रशासन या फिर आयोजकों ने कोई सबक लेने का प्रयास नहीं किया। इसी का नतीजा है कि देश में पिछले कई दशकों से हादसों के बाद ही सरकार या प्रशासन सक्रिय होकर केवल राहत तक सीमित हो जाता है।
केरल के पुत्तिंगल मंदिर में हुए हादसे पर बदइंतजामों पर सवाल उठना लाजिमी है, जिसकी तरह भारत में पिछले तीन दशकों में कई ऐसे ही भयावह हादसे होने के बावजूद हमने सबक लेने का कोई प्रयास नहीं किया। देशभर में मंदिरों और पूजन स्थलों या अन्य धार्मिक आयोजनों के अलावा ऐसे हादसों पर नजर डाली जाए तो सवाल यही होगा कि इसके बावजूद सरकारें और प्रशासनों द्वारा सतर्कता बरतने के प्रयास क्यों नहीं किये जाते है, जबकि ऐसे हादसों को रोका जा सकता है। केरल में ही पिछले साल एक हादसा हुआ था, जिसके बाद रविवार को फिर दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। जानकार सूत्रों की माने तो केरल में ताजा हादसे पर आतिशबाजी के भारी जखीरे के मंदिर के मेले तक पहुंचना स्थानीय प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही का नतीजा है, जिसके कारण इतनी भयंकर घटना ने पो फटते ही दस्तक दी।
देश में पिछले तीन दशकों में हुए बड़े हादसे:-
10 अगस्त 2015-सावन के पवित्र महीने में इसी मंदिर में पूजा के दौरान हुए हादसों में 11 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
14 जुलाई 2015-आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले में गोदावरी पुष्कारालू के दौरान हुए हादसे में 22 लोगों की जान गई थी, जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थी।
03 अक्टूबर 2014-पटना के गांधी मैदान में दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान मची अफरातफरी में 32 लोगों की जान चली गई।
18 जनवरी 2014-बोहरा समाज के धर्मगुरु के घर पर इकठ्ठा हुए लोगों में अचानक भगदड़ होने से लगभग 18 लोग मौत के शिकार हो गए।
13 अक्टूबर 2013- को मध्य प्रदेश के दतिया के रतनगढ़ मंदिर में पुल टूटने की अफवाह से मची भगदड़ 115 मरे।
10 फरवरी 2013-कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण मचे अफरातफरी में 36 लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे।
19 नवंबर 2012-छठ पूजा के दौरान पटना में हुए हादसे में 20 लोगों को मौत हो गई थी।
24 सितंबर 2012-देवघर में सत्संग आश्रम में भगदड़ मे कम से कम 9 यात्रियों की मृत्यु और अनेक के घायल हुए।
20 फरवरी 2012- गुजरात के जूनागढ़ में शिवरात्रि मेले में भगदड़ से एक दर्जन की मौत।
14 जनवरी 2012- मध्य प्रदेश के रतलाम में शहीदे कर्बला धार्मिक आयोजन की भगदड़ म् में बारह लोगों की मौत और कई अन्य घायल हुए थे।
8 नवंबर 2011-हरिद्वार में गंगा घाट हर की पौड़ी पर हुए हादसे में 22 लोगों की जानें गई।
14 जनवरी 2011-केरल के सबरीमाला मंदिर में हुए भगदड़ में 106 लोगों की जानें गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
16 मई 2010-नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अफवाह के कारण भगदड़ के कारण एक दर्जन की मौत।
04 मार्च 2010-अपने आप को भगवान बताने वाले एक बाबा द्वारा प्रतापगढ़ के राम जानकी मंदिर में लोगों को फ्री में कपड़े बांटने के इस कार्यक्रम में मचे हंगामे में 63 लोगों की मौत हुई।
14 जनवरी 2010- गंगा सागर में भगदड़ में सात तीर्थ यात्री मारे गए थे और अनेकों घायल भी हुए थे।
03 अगस्त 2008-हिमाचल के नैनादेवी पर भगदड़ में 145 मरे।
30 सितंबर 2008-राजस्थान के जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में हादसे के कारण 120 लोगों की जान गई और लगभग 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
03 अगस्त 2008-हिमाचल के नैनादेवी पर भगदड़ में 145 मरे।
14 अक्टूबर 2007-गुजरात के पंचमहल में 12 लोग मरे।
03 अक्टूबर 2007-पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चार लोग मरे।
03 अक्टूबर 2007-वाराणसी में जतिया पर्व के दौरान मुगलसराय रेलवे स्टेशन भगदड़ मचने से 14 महिला मरी।
03 अगस्त 2006-हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में हुए हादसे में लगभग 150 लोगों की जान गई थी।
26 जनवरी 2005-महाराष्टÑ के सतारा में धार्मिक मेले में आग लगने से मची भगदड़ में 350 से ज्यादा मरे।
13 नवंबर 2004-नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में कई लोग मरे।
12 अप्रैल 2004-लखनऊ में लालजी टंडन के जन्मदिन पर साड़ी वितरण समारोह में 21 महिलाएं मरी।
27 अगस्त 2003-महाराष्ट्र में नासिक कुंभ मेले के दौरान 39 लोगों की मौत हो गई थी।
2001 में मध्य प्रदेश में एक मंदिर में भगदड़ मची जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई।
1999 में केरल में एक हिंदू धार्मिक स्थल पर मची भगदड़ में 51 लोग मारे गए।
1989 में हरिद्वार में कुंभ मेले मची भगदड़ से करीब 350 लोग इसमें मारे गए।
1986 में हरिद्वार में मची भगदड़ में 50 लोग मारे गए।
1984 में हरिद्वार में भगदड़ की एक बड़ी घटना में लगभग 200 लोग मरे।
11Apr-2016


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