शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

आधे भारत पर मंडराए जल संकट के बादल!


देश के जलाशयों में भी तेजी से गिरा जल स्तर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में जल संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार ने विभिन्न राज्यों में कुएं और तालाब खोदने, भूजल स्तर को सुधारने जैसी परियोजनाओं को पटरी पर उतारने का दावा किया है। वहीं सरकार ने मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कई इलाकों के साथ देश के कम से कम 18 राज्यों में पानी की कमी होना स्वीकार किया है। मसलन आधे भारत में जल संकट के बादल छाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
केंद्र सरकार के बजट में जल संकट से निपटने के लिए जल प्रबंधन के लिए इस बार 168 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 12,517 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अलावा देश में गिरते भूजल के स्तर को सुधारने के लिए छह हजार करोड़ रुपये अलग से आवंटित किये हैं, जिसमें कुएं और तालाब खोदने की योजना का खाका तैयार किया गया है। भूजल के कुल वित्तीय परिव्यय 6000 करोड़ रुपए में से 3000 करोड़ रुपए आईबीआरडी ऋण के रूप में मिलेगा। छह साल के लिए तैयार इस परियोजना के चार प्रमुख घटक रहेंगे, जिनमें भूमि जल प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता तंत्र, स्थायी भूमि जल प्रबंधन के लिए क्षेत्र विशिष्ट ढ़ांचा, भूमि जल पुनर्भरण को बढ़ाना और जल उपयोग दक्षता में सुधार, समुदाय आधारित प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण करना है। वहीं सरकारी की नदियों को जोड़ने की परियोजना भी जल संकट से निपटने का हिस्सा है। इसके बावजूद गर्मी बढ़ने के साथ जहां मराठवाड़ा और बुंदेलखंड में मौजूदा जल संकट से मचे हा-हाकार सुर्खियों में है, वहीं इस समस्या से निपटना सरकार के लिए चुनौती साबित हो सकती है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री भारती ने खुद माना है कि देश में बढ़ते इस जल संकट का कारण भूमि जल संसाधनों के अतिदोहन, अस्थायी सिंचाई और जल गुणवत्ता गिरने से भूजल आपूर्ति से बढ़े खतरे हैं। जबकि दुनियाभर में भारत को भूजल सबसे बड़ा प्रयोक्ता माना गया है, जहां कुल 433 क्यूबिक किलोमीटर पुनर्भरणीय स्रोतों से हर साल 245 क्यूबिक किलोमीटर भूमि जल दोहन होने अनुमान लगाया गया है, जो विश्व के कुल जल का एक चौथाई से भी अधिक है।
इन राज्यों में गिरा जल स्तर

केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से देश के प्रमुख 91 जलाशयों के जल स्तर की ताजा रिपोर्ट जारी की है उसमें इन जलाशयों की संग्रहण क्षमता संग्रहण क्षमता 157.799 अरब घन मीटर यानि बीसीएम की तुलना में मात्र 37.92 अरब घन मीटर रह गई है। पिछले साल नौ अप्रैल को इन जलाशयों का जल संग्रहण 50.89 बीसीएम था। मसलन केंद्रीय जल आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में तेजी से जल स्तर में गिरावट आई है। इन राज्यों के जलाशयों में क्षमता के विपरीत अत्यंत नीचे गिरे जल स्तर जल संकट का संकेत हैं।
एक साल में कैसे गिरा जलाशयों का स्तर
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार सात अप्रैल 2016 को देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 37.92 बीसीएम यानि अरब घन मीटर जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 69 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 77 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो देश की अनुमानित जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन जलाशयों में 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं। दस मार्च को इन जलाशयों का जल संग्रह का स्तर 45.801 बीसीएम, 26 फरवरी को 51.2 बीसीएम, चार फरवरी को 59.335 बीसीएम था। वर्ष 2015 में जलाशयों के जल संग्रहण की स्थिति पर नजर डाले तो पिछले साल 31 मार्च को 53.97 बीसीएम, 30 अप्रैल को 48.622 बीसीएम, 28 मई को 43.14, 25 जून को 43.26बीसीएम, 23 जुलाई को 51.22 बीसीएम, 27 अगस्त को बरसात की वजह से 91.84 बीसीएम, 23 सितंबर को 95.313 बीसीएम, 21 अक्टूबर को 91.667 बीसीएम, 20 नवंबर को 84.146 बीसीएम, और 17 दिसंबर को 76.92 बीसीएम था।
हरियाणा समेत नौ राज्यों पर फोकस
मंत्रालय के अनुसार भूमि जल की कमी वाले आठ राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और बुंदेलखंड का 5.25 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र को फोकस शामिल हैं। 1.16 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का मानचित्रण पूरा हो गया है। शेष का मानचित्रण मार्च, 2017 तक पूरा किया जाना है। संपूर्ण देश में यह कार्य 2022 तक पूरा किया जाएगा।
जहरीले पानी के दायरे में दस राज्य
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में दस राज्यों के 87 जिलों में 331 ब्लॉक चिन्हित किये गये हैं, जहां भूजल आर्सेनिक संदूषित है। इसके लिए जलभृत मानचित्रण के जरिए गंगा के मैदानी क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त गहरे जलभृतों का पता लगाया गया है। ऐसे क्षेत्रों में पिछले साल ही करीब 300 कुओं का निर्माण शुरू कर दिया गया था। इस वर्ष जीडब्ल्यूबी ने पेयजल के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए कुओं का निर्माण करके उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के चयनित क्षेत्रों में आर्सेनिक नियंत्रण कार्य शुरू किया गया है।
सरकार की सिंचाई परियोजनाओं पर खतरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों व कृषि क्षेत्र में शुरू की गई शीघ्र सिचांई लाभ कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 के लक्ष्य को लेकर शुरू की गई 297 परियोजनाओं की रफ़्तार भी धीमी पड़ सकती है। हालांकि जल संसाधन मंत्रालय ने दावा किया है कि अब तक 143 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं तथा 89 परियोजनाएं पटरी पर हैं। सरकार की उच्च प्राथमिकता में मिशन मोड पर 23 परियोजनाओं को मार्च 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
15Apr-2016

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