मंगलवार, 31 जनवरी 2017

बजट सत्र में आसान नहीं सरकार की डगर!

संसद सत्र की हंगामेदार शुरूआत के असार
बजट सत्र में 21 नए विधेयक होंगे पेश
लंबित विधेयकों पर भी होगा विचार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद के मंगलवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में जहां पूरे देश की नजरें आम बजट पर लगी हुई है, वहीं संसद में कई मुद्दों पर विपक्ष के साथ जारी गतिरोध के कारण मोदी सरकार के सामने बजट सत्र के एजेंडे को पार लगाने की भी चुनौती होगी, जिसमें सरकार के लिए संसद में 21 नए विधेयक पेश करने के अलावा तीन अध्यादेशों को भी विधेयकों में बदलवाना कोई आसार डगर नहीं होगी।
देश की अर्थव्यवस्था में सुधार और कालेधन के खिलाफ नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष की घेराबंदी के कारण निशाने पर आई मोदी सरकार के लिए कल मंगलवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान काम करना आसान काम नहीं होगा। जबकि सरकार के पास बजट में संतुलन बनाने की चुनौती होगी, वहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए संसद में पेश किये जाने वाले विधेयकों और अन्य सरकारी कामकाज के बोझ से बाहर आना आसान नहीं लगता। नोटबंदी समेत कई मुद्दों पर विपक्षी दलों के निशाने पर सरकार ने बजट सत्र के दौरान 21 नए विधेयक पेश करने के अलावा तीन अध्यादेशों को नए विधेयकों में बदलने की भी चुनौती होगी।
बजट सत्र का कार्यक्रम
बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को संयुक्त सदन में राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण होगा। इसी दिन वित्तमंत्री आर्थिक समीक्षा पेश करेंगे, जिसका कारण है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली को अगले ही दिन यानि एक फरवरी को आम बजट पेश करना है। गौरतलब है कि पांच राज्यों में चुनावों से पहले केंद्रीय बजट को लेकर भी विपक्षी दलों का विरोध चल रहा है। 31 फरवरी से 12 अप्रैल तक चलने वाले बजट सत्र में 31 बैठकें निर्धारित हैं, जिसका पहला चरण 9 फरवरी को खत्म हो जाएगा। दूसरे चरण शुरू करने की तिथि अभी घोषित नहीं की जा सकी है। बजट सत्र के पहले चरण में नोटबंदी से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाया जाएगा और वेतनमान भुगतान से संबंधित अध्यादेश की जगह वेतनमान भुगतान (संशोधन) विधेयक भी पेश किया जाएगा। जो लोकसभा में पारित हो चुका है और राज्यसभा में पारित कराना है। संसद में पेश होने वाले बजट से संबंधित वित्त विधेयक पारित कराने के अलावा वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी से संबंधित दो विधेयक भी इसी सत्र में पेश किए जाएंगे।
सरकार पर काम का बोझ
संसद के बजट सत्र में आम बजट के अलावा सरकार के एजेंडे में भारी कामकाज शामिल है। इसमें नोटबंदी से संबन्धित आयकर कानून पर लाए गये अध्यादेश के साथ ही संसद में लंबित शत्रु संपत्ति विधेयक पर चौथी बार लाए गये अध्यादेश को भी विधेयक में बदलने की बड़ी चुनौती होगी। जबकि वेतनमान भुगतान से संबंधित अध्यादेश को विधेयक में बदलने के अलावा सरकार संसद में 21 नए विधेयक लेकर आ रही है। इसके अलावा अन्य मामलों पर चर्चा और अन्य सरकारी कामकाज भी शामिल है। लोकसभा में सात और राज्य सभा में छह विधेयक लंबित हैं, जिन्हें इस सत्र के दौरान पारित कराने का प्रयास होगा। इसके अलावा 2017-18 की अनुदान मांगे और 2016-17 के लिए तीसरी पूरक अनुदान मांगे भी पारित कराई जाएंगी।
पेश होंगे ये नए विधेयक
बजट सत्र में सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले 21 नए विधेयकों में मुμत और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान विधेयक, एंव फुटवियर डिजाइन एंड डेवलेपमेंट विधेयक, तलाक संशोधन विधेयक, भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतनमान एंव सेवा सुविधाओं से संबंधित विधेयक,विमान संशोधन विधेयक, जन प्रतिनिधित्व कानून संशोधन विधेयक,अंतरराज्यीय जल विवाद (संशोधन) विधेयक और गर्भपात संशोधन कानून प्रमुख हैं। इनके अलावा राज्यसभा में पारित मानसिक स्वास्थ्य देखरेख विधेयक, मातृत्व लाभ (संशोधन विधेयक) लोकसभा से पारित कराया जाएगा। लोकसभा से पारित व्हिसल ब्लोवर संशोधन विधेयक, फैक्ट्री (संशोधन) विधेयक, कर्मचारी मुआवजा(संशोधन) विधेयक राज्य सभा से पारित कराया जाएगा।
लंबित विधेयक
लोकसभा में लंबित मोटरवाहन संशोधन विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी (दूसरा संशोधन )विधेयक, संविधान (अनुसूचित जाति एंव जनजाति) आदेश (संशोधन ) विधेयक, भी पारित कराया जाएगा। राज्यसभा में लंबित भ्रष्टाचार निरोधक(संशोधन) विधेयक, सशस्त्र सेवा न्यायाधिकरण (संशोधन) विधेयक, एचआईवी निरोधक एंव नियंत्रण विधेयक पारित कराया जाएगा।
शीतकालीन में चार विधेयक पास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के विरोध में हंगामे की भेंट चढ़े समूचे शीतकालीन सत्र में केवल चार विधेयक ही पारित हो सके थे। पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने लोकसभा में हंगामे के बीच ही दस विधेयक पेश किये थे, जिनमें से कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक, विनियोग (संख्या 5) विधेयक व विनियोग (संख्या 4) विधेयक के अलावा नि:शक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक को पारित कराया गया था। इन चारों विधेयकों पर राज्यसभा में भी मुहर लग गई थी। जबकि वाणिज्य पोत परिवहन (संशोधन) विधेयक को वापिस लिया गया था।
31Jan-2017

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