शनिवार, 7 जनवरी 2017

सपा की जंग: मुलायम पर भारी पड़ते अखिलेश!

चुनाव आयोग पहुंची समर्थकों की लंबी फेहरिस्त
चुनाव को लेकर सुलह के प्रयास हैं जारी
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी की अंतर्कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी के दोनों गुटों के बीच जारी कोशिशों के बावजूद शुक्रवार को भी सुलह नहीं हो सकी है। सपा की इस गुटबंदी में जारी जंग में अभी तक मुलायम गुट पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
सपा कुनबे के इस जारी विवाद में यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से मुलायम और अखिलेश दोनों ही गुट हलकान तो हैं। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को दोनों गुटों में सपा के अस्तित्व को बचाने के लिए मुलाकात के दौर जारी रहे, लेकिन हर बार की तरह सपा कुनबे का विवाद सुलह के मुहाने पर आने के बावजूद वर्चस्व के टकराव के कारण ऐसे संकेत दे रहा है कि यह विवाद अब सुलझने वाला नहीं है। शुक्रवार को अखिलेश खेमा किसी समझौते के बजाए दिल्ली में चुनाव आयोग के सामने खुद को सपा का असली हकदार बताने में जुटा रहा, तो मुलायम खेमा भी अध्यक्ष पद को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं आया। सूत्रों के अनुसार चुनावी गठजोड़ के लिए अखिलेश खेमा अब कांग्रेस से तालमेल की तैयारी भी कर रहा है। जबकि शुक्रवार को कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। उधर इस जंग को विराम देने के लिए शुक्रवार को दिनभर लखनऊ में सुबह से शाम तक मुलाकातों व बातचीत के कई दौर के बावजूद मुलायम सिंह यादव मीडिया के सामने आने को तैयार भी हुए, लेकिन ऐनवक्त पर इस जंग में मध्यस्थता कर रहे आजम खां ने प्रेस वार्ता को निरस्त कर दिया।
ऐसे रहा मुलाकातोें का दौर
सूत्रों के अनुसार लखनऊ में मुलायम सिंह आवास पर सुबह से नेताओं के आने व मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। पहले अमर सिंह वहां पहुंचे और कुछ ही समय बाद वहां से लौटे तो उसके बाद शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। इसी मेल मुलाकात के तहत वहां पर बेनी प्रसाद वर्मा व नारद राय भी पहुंचे। जबकि मुलायम से अमर सिंह दोबारा भी मिले, जिसके बाद आजम खां भी मुलायम से मिले।
अमर व शिवपाल हटने को तैयार
बताया जा रहा है कि इन चर्चाओं के दौर में पार्टी के हित में अमर सिंह ने पार्टी ने इस्तीफे की पेशकश की, तो बाद में मुलायम से मुलाकात के दौरान शिवपाल ने हटने की पेशकश की, लेकिन मुलायम इन बातों से सहमत नहीं हुए। एक बार सपा में सुलह के इस फॉमूर्ले पर दोनों पक्षों के नेताओं में सहमति बनाने की कोशिशें भी हुई। इसके बावजूद पटरी सुलह पर नहीं पहुंच सकी।
कौन क्या चाहता है
अखिलेश यादव हर हाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद अपने पास रखना चाहते हैं। जिसमें अमर सिंह को सपा से बाहर करने का ऐलान करने और शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर राष्ट्रीय राजनीति में भेजने की मांग पर अड़िग है, ताकि चुनाव में टिकट वितरण की आजादी मिल सके। दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव अपने अध्यक्ष पद पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं और रामगोपाल का पार्टी से बाहर रखना चाहता है। शिवपाल को राष्ट्रीय राजनीति में भेजने को भी तैयार है लेकिन फिलहाल टिकट बंटवारों में अपने साथ शिवपाल समर्थकों को तरजीह देने की बात भी मुलायम कर रहे हैं।
अखिलेश का पलड़ा भारी
सपा के अस्तित्व व चुनाव चिन्ह साइकिल के चुनाव आयोग में विवाद पर गौर की जाए तो चुनाव आयोग ने नौ जनवरी तक दोनों गुटों को बहुमत साबित करने के लिए समर्थकों के हलफनामे तलब किये हैं। ऐसे में खबर है कि प्रो रामगोपाल ने शुक्रवार को यहां चुनाव आयोग को अखिलेश समर्थकों की हस्ताक्षरयुक्त हलफनामे सौंप दिये हैं। सूत्रों के अनुसार एक दिन पहले लखनऊ में गुरुवार को बुलाई गई विधायकों की बैठक के बाद 210 विधायकों, 50 एमएलसी और 70 प्रतिनिधियों से स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर कराकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपनी ताजपोशी को पुख्ता कर दिया था।
07Jan-2017

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