रविवार, 22 जनवरी 2017

बजट की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार!

रेलवे ने मांगा भारी-भरकम बजटीय आवंटन
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद में एक फरवरी को पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट की तैयारियों में जुटी केंद्र सरकार देश की आर्थिक व्यवस्था के साथ बुनियादी ढांचा मजबूत करने के प्रावधानों को लागू करने पर जोर देगी। वहीं पहली बार रेल बजट का आम बजट में समयोजन होने से रेलवे क्षेत्र को भी भारी भरकम बजट आवंटन की उम्मीद है।
देश की नजरे संसद में एक फरवरी को पेश किये जाने वाले आम बजट पर लगी हुई है, जिसका हर साल की तरह इस बार भी देशवासियों को बेसब्री से इंतजार है। केंद्र सरकार ने बजट तैयार करने की युद्धस्तर पर तैयारियां तेज कर दी हैं। मसलन बजट संबन्धी दस्तावेजों की छपाई परंपरागत तरीके शुरू हो चुकी है। नये वित्तीय वर्ष की शुरूआत में देश की दिशा तय करने के लिए पेश होने वाले इस बजट में आम नागरिकों को बड़ी राहत की उम्मीद नजर आ रही है, जैसा केंद्र सरकार संकेत भी दे चुकी है। ऐसे संकेतों के आधार पर माना जा रहा है कि केंद्र सरकार देश की जनता के लिए किन नीतियों और योजनाओं की घोषणा करके राहत की सौगात देगी उसकी योजना बनाने के बाद ही सरकार ने बजट में प्रावधान किये हैं। इस बजट में आम आदमी के लिए क्या सस्ता-महंगा होगा और आयकर की छूट को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच कैसा फैसला होगा जैसे मुद्दों पर भी सभी की नजरें है। सरकार ढांचागत क्षेत्र खास कर रेलवे, सड़क और शहरी विकास की योजनाओं के लिए आवंटन में बढ़ोतरी कर सकती है। इसके अलावा इन क्षेत्रों के विकास में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कई कदमों की घोषणा भी हो सकती है।
पहली बार रेल बजट नहीं
केंद्र सरकार के रेल बजट को आम बजट में विलय करने को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी मंजूरी देकर 92 साल से चली आ रही अलग रेल बजट की परंपरा को इतिहास के पन्नों में समेट दिया है। ऐसे में रेलवे के बजटीय आवंटन का प्रावधान आम बजट में ही पेश किया जाएगा। इस नई व्यवस्था में रेलवे को अपने बजटीय आवंटन में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। रेलवे मंत्रालय ने 2017-18 के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का सकल बजट समर्थन मांगा है। हालांकि वित्त मंत्रालय द्वारा 40 से 45 हजार करोड़ रुपए पर ही सहमति जताए जाने की उम्मीद है। रेलवे सूत्रों के अनुसार वास्तव में रेलवे की 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक खपाने की क्षमता ही नहीं है। पिछले साल के आम बजट में रेलवे को 28 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि देश में प्रमुख रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाने सहित बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर भी काम चल रहा है। इसके अलावा केन्द्र सरकार ने अपने पहले ही बजट में रेलवे में वर्ष 2019 तक आठ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश की योजना तैयार की थी। इसके तहत वर्ष 2016 और वर्ष 2017 में जितना निवेश करना था उससे भी ज्यादा किया गया है। रेलवे के ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रैट कॉरीडोर में ही 81 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है।
सरकार मदद में बढ़ोतरी की आस
रेलवे से संबन्धित इकरा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप हेड (कॉरपोरेट रेटिंग) रवीचन्द्रन का कहना है इस बार के बजट में रेलवे को सरकारी मदद बढ़ सकती है। रेलवे के बजट को आम बजट में मिलाने से भी रेलवे को ज्यादा मदद मिल सकती है, जिससे कई नई योजनाओं को शुरू किया जा सकेगा। इसके अलावा सरकार ने इस बार बजट में योजना और गैर-योजना वर्गीकरण को भी समाप्त करने का भी फैसला किया और इसके स्थान पर 2017-18 के बजट में पूंजी और राजस्व में वर्गीकरण किया जाएगा।
अलग बनेगा आर्थिक विभाग
दरअसल केंद्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में जो कवायद कर रही है, उसी का कारण है कि मोदी सरकार ने भारत सरकार (कामकाज का आबंटन) नियम-1961 में संशोधन किया है, जिसे राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी मंजूरी दे दी है। राष्टÑपति की इस मंजूरी के बाद आम बजट के साथ रेलवे के बजट को तैयार करने के लिए अलग से आर्थिक मामलों का विभाग बनाने का रास्ता साफ हो गया है। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल सितंबर में वित्त वर्ष 2017-18 से रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए कुछ ऐतिहासिक बजटीय सुधारों को मंजूरी दी थी और उस पर राष्ट्रपति की मुहर लग गई है।
क्या है बजट
दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक केंद्रीय बजट किसी भी सरकार का आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्चों से जुड़ा ब्यौरा है। करीब 92 साल तक रेल बजट आम बजट से अलग पेश किया जाता था, लेकिन पिछले साल मोदी सरकार ने फैसला किया कि रेल बजट का यूनियन बजट में विलय कर दिया जाए। इसके साथ ही ब्रिटिश कालीन परंपरा इतिहाहस बन कर रह गई है। मसलन इस बार भारतीय रेलवे संबंधी घोषणाएं भी एक फरवरी यानि आम बजट में ही की जाएंगी।
गोपनीय दस्तावेज है बजट
देश की व्यवस्था में बजट किसी भी सरकार का गोपनीय दस्तावेज है। इसे बनाने की प्रक्रिया में लगे 100 अधिकारी दो से तीन सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं। इस दौरान वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए होते हैं। यहां तक कि अपने परिवारों के संपर्क में भी नहीं होते। उनके पास केवल एक फोन होता है जिसके जरिए वे केवल कॉल रिसीव कर सकते हैं, मगर कहीं कॉल कर नहीं सकते हैं। बजट पत्र वित्त मंत्रालय के निजी प्रेस में छपते हैं। भारत में कई सालों से ये बहस चल रही है कि बजट के लिए जिस तरह की गोपनीयता बरती जाती है, वह फिजूल है और उससे बाजार में सिर्फ डर पैदा होता है। जब प्रशासन में पारदर्शिता की बात की जा रही है, तो इस तरह की गोपनीयता क्यों बरती जाती है। बता दें कि बजट की इसलिए गोपनीय रखा जाता है तांकि बजट पेश होने से पहले अगर जानकारियां लीक हो गई तो इससे जमाखोरों और कर चोरों को मदद मिलती है।
22Jan-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें