शनिवार, 21 जनवरी 2017

यूपी: ‘साइकिल’ तक नहीं पहुंच पा रहा ’हाथ’


भाजपा के खिलाफ फिर टूटे महागठबंधन के सपने
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तमाम भाजपा के खिलाफ सपा और कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की डोर ढीली होती नजर आ रही है, जिसमें सपा आक्रमक रूप में है और कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा की साइकिल के हैंडल को कांग्रेस का हाथ शायद ही पकड़ सके।
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन के तमाम कयासों के बीच सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को कड़ा संदेश देते हुए कह दिया कि यदि महा गठबंधन के लिए कांग्रेस चुनावी तालमेल को लेकर अब तक कोई सकारात्मक बात नहीं कर रही है और गठबंधन होने की स्थिति में कांग्रेस के लिए सपा केवल 85 सीटें ही छोड़ सकती है। जबकि कांग्रेस 100 से कम सीटों पर अपने उम्मीदवार लड़ाना चाहती है। ऐसे में हमेशा की तरह ही सपा की महागठबंधन की मुहिम के तार पहले ही टूटते दिख रहे हैं। शायद यही कारण है कि सपा ने शुक्रवार को बारी-बारी से सपा के उम्मीदवारों की दो सूची जारी की है। सपा की पहली सूची में 191 और दूसरी सूची में 18 प्रत्याशी शामिल हैं। हालांकि सपा अब भी कांग्रेस से तालमेल करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस को सपा की शर्तो को मानना होगा, लिहाजा चुनाव बिल्कुल सिर पर है और ऐसे में सपा और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती।
फार्मूले से सहमत नहीं कांग्रेस
यूपी चुनाव में गठबंधन के लिए सपा ने जो फार्मूला तैयार किया था वह कांग्रेस को नहीं भा रहा है। दरअसल सपा के इस फार्मूले में कांग्रेस को 85 और रालोद को 20 सीटे देने का था, लेकिन कांग्रेस 403 में से 100 सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। जबकि रालोद पहले ही 40 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोकते हुए इस महागठबंधन से अलग हो गया है। रालोद के बाद कांग्रेस की भी दाल गलने को तैयार नहीं है। सपा ने साफ कर दिया है कि महागठबंधन में शामिल होना है तो उसके केवल 85 सीटें ही दी जा सकती हैं। सूत्रों के अनुसार सपा राज्य में कुछ और छोटे दलों के साथ चुनावी तालमेल करने की योजना बना रहा है।
भाजपा को हराना मकसद
सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नन्दा ने पहली सूची जारी करने के बाद कहा कि सपा का असली मकसद विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराना है, इसलिए कांग्रेस और रालोद जैसे दलों से गठबंधन की कोशिश की गयी, लेकिन दूसरे दलो की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है, जबकि सपा ने उन्हें गठबंधन के फार्मूले से अवगत करा दिया है। यदि कांग्रेस भी भाजपा को हराना चाहती है तो उसे सपा के इस फार्मूले को स्वीकार करना होगा अन्यथा सपा अपने दम पर चुनाव में उतरने को तैयार है। सपा की जारी 191 सीटों के प्रत्याशियों को लेकर दिये गये तर्क में कहा गया है कि इनमें कई वे सीटें हैं, जिन पर वर्ष 2012 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे, उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन होगा, तो कांग्रेस जहां जीती है, वह सीट उसे दे दी जाएगी। सपा प्रदेश में करीब 300 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी है। तो ऐसे में माना जा रहा था कि वह कांग्रेस के लिये 100 या 103 सीटें छोड़ सकती है।
फार्मूले के तर्क
सपा ने महागठबंधन के फामूर्ले के तर्को मेें कहा है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस जिन सीटों पर पहले या दूसरे नम्बर पर रही थी, और वे सीटें जिन पर सपा तीसरे, चौथे या पांचवें नम्बर पर रही थी, वे कांग्रेस को देने का फैसला किया गया है। सपा नेता नन्दा ने कहा कि इस हिसाब से कांग्रेस को 54 सीटें ही मिलनी चाहिये, लेकिन अगर वह गम्भीरता से बातचीत करे, तो उसे 25-30 सीटें और दी जा सकती हैं। सपा कांग्रेस को अधिकतम 85 सीटें दे सकती है। इस फार्मूले में एक और खास बात यह है कि कांग्रेस-सपा से दिल्ली एनसीआर की सीटों को छोड़नें की बात कह रही थी, लेकिन सपा ने यहां भी सीटें नहीं छोड़ी और अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिया। कांग्रेस से समाजवादी पार्टी के गठबंधन की खबरों के बीच सबसे चौका देने वाली घोषणा किदवई नगर सीट से है। इस सीट पर कांग्रेस के अजय कपूर वर्तमान में विधायक हैं लेकिन सपा ने यहां से भी ओमप्रकाश मिश्र को टिकट देकर कांग्रेस खेमे की बेचैनी बढ़ा दी है।
सपा से गठबंधन जरूरी: राहुल
दूसरी ओर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन करना जरूरी है,क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस अपने बलबूते सरकार बना पाने में सफल होती नहीं दिख रही थी। चुनावों के लिए बनायी गयी पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में राहुल ऐसा स्वीकार कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
21Jan-2017

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