मंगलवार, 10 जनवरी 2017

यूपी चुनाव: अंतर्कलह के बीच मझधार में सपा का भविष्य

मुलायम का दावा-सपा के राष्टÑीय अध्यक्ष मैं हूं
शिवपाल को प्रदेशाध्यक्ष, रामगोपाल पार्टी से बर्खास्त नेता
ओ.पी. पाल. नई
दिल्ली।
उत्त्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी रहने के बावजूद समाजवादी पार्टी के कुनबे में चल रहा दंगल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को मुलायम सिंह ने कठोर होते हुए साफ कर दिया है कि बर्खास्त प्रो. रामगोपाल यादव का अधिवेशन फर्जी था और सपा का राष्टÑीय अध्यक्ष खुद मैं ही हूं। हालांकि अब सपा और चुनाव चिन्ह किसके पास होगा, इसका फैसला चुनाव आयोग दोनों गुटों के पेश होने वाले हस्ताक्षरयुकत हलफनामों के बहुमत के आधार पर करेगा। समाजवादी पार्टी के दो फाड़ को लेकर उत्तर प्रदेश में चुनावी रणनीति के मद्देनजर सपा का भविष्य मझधार में पड़ता नजर आ रहा है।
बेटे और सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा पिता मुलायम सिंह यादव के बीच सुलह के कई प्रयासों के बावजूद सपा के इस जारी दंगल पर विराम नहीं लग सका। रविवार को भी सुलह के आसार नजर आए थे, जिसमें दिल्ली आए मुलायम सिंह ने नरम तेवर दिखाते हुए सपा कार्यकर्ताओं को जिस प्रकार संबोधित किया था उससे लग रहा था कि मुलायम अपने बेटे अखिलेश के प्रति नरम पड़ रहे हैं, लेकिन शाम को फिर वह कठोर नजर आए और पे्रस कांफ्रेस में साफ कर दिया कि रामगोपाल यादव की ओर से बुलाया गया विशेष अधिवेशन फर्जी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वे ही हैं।
फर्जी था अधिवेशन
उन्होंने कहा कि रामगोपाल को अधिवेशन बुलाने का कोई अधिकार नहीं। वह पार्टी से छह साल के लिए बर्खास्त थे। वहीं उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हैं, जबकि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं। अखिलेश गुट को विरोधी गुट करार देते हुए मुलायम ने कहा कि वह वैधानिक नहीं हैं। मसलन अब मुलायम के कथन संकेत दे रहे है कि वह इस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह चुनाव आयोग से प्रो. रामगोपाल यादव की ओर से दिए गए दस्तावेजों की वैधानिकता की जांच के लिए कह सकते हैं।
पहले यह बोले थे नेताजी
दिल्ली में अपने सरकारी आवास के बाहर अपने समर्थकों से मुलायम ने कहा था, कि अखिलेश उनका ही लड़का है। अब हम क्या करें। जो वह कर रहा है उसे करने दो। मार थोड़ी देंगे उसे। सब कुछ उसके पास है मेरे पास क्या हैं। मेरे पास तो गिनती के विधायक हैं। उस समय ऐसा माना जा रहा था कि बेटे के प्रति उनका रुख नरम पड़ रहा है और वे साइकिल पर दावेदारी को भी छोड़ सकते हैं? लेकिन शाम को प्रेस कांफ्रेंस ने कठोर होते हुए ऐसे संकेत दे दिये कि वह सपा में अब किसी समझौते की गुंजाइश नहीं है और चुनाव आयोग के फैसले पर ही सपा व उसके चुनाव चिन्ह का फैसला होगा।
चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार
चुनाव आयोग में कल सोमवार को इस बात का फैसला आ सकता है कि सपा और उसका चुनाव चिन्ह साइकिल अखिलेश यादव या फिर मुलायम सिंह यादव गुट के पास रहेगा। अखिलेश गुट की ओर से प्रो. रामगोपाल अपने समर्थक सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षरयुक्त हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपकर सपा और चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा ठोक चुके हैं, जबकि मुलायम गुट सोमवार को ही ऐसे दस्तावेज सौंपकर अपना दावा करेगा। इसके बाद चुनाव आयोग परीक्षण करके यह जांच करेगा कि किस गुट का बहुमत है और चुनाव आयोग बहुमत वाले गुट को सपा व चुनाव चिन्ह आवंटित करने का फैसला सुना सकता है।

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