सोमवार, 2 जनवरी 2017

सपा कुनबे के ‘दंगल’ पर भाजपा की निगाहें!

उत्तर प्रदेश मिशन:
बिगड़ सकता है सपा-बसपा का सियासी समीकरण
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के कुनबे में जारी सियासी दंगल के वार और पलटवार पर भाजपा बदलते सियासी समीकरणों पर नजरे जमाए हुए है। सपा के महासंग्राम के कारण चुनाव की तैयारियों में जुटे भाजपा, कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ रहा है। शायद इसी मकसद से भाजपा ने उत्तर प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर को लखनऊ भेजकर सपा के इस दंगल पर नजरे रखने का फरमान दिया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग तीन-चार दिन बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा करने वाला है और ऐसे समय में सूबे की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में चल रही अंतर्कलह चरम पर है, जिसका सियासी लाभ हासिल करने के लिए भाजपा समेत अन्य दल अपनी रणनीतियों में बदलाव करने में जुट गये हैं। यूपी में सपा के भीतर मचे घमासान के कारण यूपी की सियासत में तेजी से बदल रहे हालात को देखते हुए भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। शायद यही कारण है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने फिलहाल सूबे की सियासी नब्ज पर नजर रखने के लिए रविवार को ओम माथुर को अगले तीन दिन के लिए लखनऊ भेज कर सपा की रणनीतियों पर पैनी नजर रखने का फरमान दिया है।
पल-पल पर भाजपा की नजर
भाजपा सूत्रों के अनुसार यूपी प्रभारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर राज्य की राजधानी में कई स्थानीय कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर पल-पल बदल रहे सियासी समीकरण की जानकारी हासिल करेेंगे। इसी प्रकार से कांग्रेस और बसपा भी सक्रिय हो चुकी है, जिसमें कांग्रेस सपा की टूट होने पर अखिलेश खेमे के साथ गठबंधन करने की फिराक में हैं, जबकि बसपा की नजरे इस समीकरण पर लगी हुई है कि यदि सपा में फूट जारी रही तो मुस्लिम वोटबैंक को लुभाकर उसे अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास होगा। ऐसा एक बयान बसपा सुप्रीमो पहले भी दे चुकी है कि दलितों की हितैषी केवल बसपा ही है। बसपा दलित-मुस्लिम समीकरण की रणनीति से सत्ता कब्जाना चाहती है।
मोदी की महारैली आज
यूपी चुनावों की दृष्टि से लखनऊ में कल दो जनवरी को प्रधानमंत्री की परिवर्तन महारैली होगी, जिस पर जहां यूपी की जनता की नजरें लगी हुई है, वहीं गैर भाजपा दल भी इस रैली में होने वाली घोषणाओं के बाद अपनी रणनीति बनाने की तैयारियां कर रही हैं। माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद उत्तर प्रदेश की जनता के लिए पीएम मोदी इस महारैली में बड़ी घोषणाओं का ऐलान करेंगे। पीएम के पास चुनाव की घोषणा यानि आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले यह यूपी की जनता के साथ देश को राहतभरी सौगात देने का यह अंतिम मौका होगा। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा की नजर मुलायम के सपा कुनबे में चल रही कलह पर इसलिए भी है कि मोदी की यहां होने वाली प्रस्तावित घोषणाएं यूपी की जनता के लिए सपा की अखिलेश सरकार की योजनाओं को बौना साबित करने का प्रयास होगा।
कमल मेला बनाम सियासी गणित!
उत्तर प्रदेश मिशन-2017 में भाजपा ने सपा प्रमुख मुलायम और बसपा प्रमुख माया के सियासी गणित को ध्वस्त करने के लिए वोटरों को लुभाने के लिए एक नया फार्मूला निकाला है। मसलन भाजपा यूपी 20 जिलों में ‘कमल मेले’ आयोजित कर रही है। भाजपा का यह कमल मेला हालांकि पिछले महीने 16 दिसंबर से ही शुरू हो गया था, जो 16 जनवरी तक जारी रहेगा। दरअसल इस मेले के जरिए से भाजपा अपने इतिहास और मोदी सरकार के कामकाज का प्रचार प्रसार कर रही है। राजनीतिक जानकारों की माने तो यदि भाजपा की यह रणनीति कामयाब हो जाती है तो विपक्ष को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ेगा और माया-मुलायम के सियासी गणित गड़बड़ा सकती है।
बिगड़ सकता है माया-मुलायम का गणित!
उत्तर प्रदेश के इस चुनावी समर में भाजपा गत आठ नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी का ऐलान करने से देश को कैशलेस बनाने की योजना के फायदों का भी प्रचार-प्रसार कर रही है। भाजपा के नोटबंदी के दौरान कैश की किल्लत से लोगों की नाराजगी मोदी सरकार के एक दिन पहले किये गये कुछ ऐलान से भी दूर करने के प्रयास है। भाजपा की कोशिश मेला देखने आ रहे लोगों को नोटबंदी से कालेधन पर प्रहार और इस कदम से भविष्य में होने वाले फायदे बताने से नहीं हिचक रही है। हालांकि कांगे्रस, सपा और बसपा जैसे विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध में प्रचार कर रही है, लेकिन 90 प्रतिशत से ज्यादा जनता के मोदी के इस फैसले को मिल रहे समर्थन से भाजपा आश्वस्त है। मोदी सरकार के नोटबंदी के खिलाफ बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह दोनों नेताओं ने भी कांग्रेस के साथ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अपनी आवाज बुलंद की है, जबकि विपक्षी दलोें का यह विरोध जनता को कतई रास नहीं आया है। इसलिए माया व मुलायम के सियासी समीकरण खासकर नोटबंदी का विरोध करने से गड़बड़ाने की संभावना पर भाजपा की नजर लगी हुई है।
02Jan-2017

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