रविवार, 22 जनवरी 2017

यूपी चुनाव: अपने दम पर ताल ठोकेंगे सपा और कांग्रेस

अखिर टूट गई सपा-कांग्रेस गठबंधन डोर!
प्रियंका की कवायद भी नहीं आई काम
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर फंसे पेंच को निकालने के लिए बीच में आई प्रियंका की कवायद भी किसी काम नहीं आ सकी। दोनों दलों के गठबंधन को निर्णायक बनाने के लिए हुई बातचीत बेनतीजा रही यानि अब यूपी चुनाव में सपा और कांग्रेस अपने-अपने दम पर चुनाव मैदान में ताल ठोकेंगे।
सपा और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन की आखिरी आस भी शनिवार शाम को उस समय खत्म हो गई, जब दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को फंसा पेंच नहीं निकल सका। मसलन सपा अपने फार्मूले पर 85 सीट ही कांग्रेस को देने के निर्णय पर अड़ी रही और कांग्रेस कम से कम 120 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के फैसले पर अडा रहा। शनिवार शाम को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच सीट बंटवारे को लेकर एक अंतिम प्रयास में बातचीत हुई, जो बेनतीजा रही। सूत्रों के अनुसार इस गठबंधन को लेकर यह अंतिम प्रयास प्रियंका वाड्रा के कहने पर किया गया था। गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा के खिलाफ सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था और प्रियंका वाड्रा व अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव इस गठबंधन के पक्ष में एकसाथ नजर भी आई थी।
कांग्रेस ने बदला पैंतरा
सूत्रों के अनुसार प्रियंका के मोर्चा संभालने के बाद सपा अखिलेश यादव ने फार्मूले में बदलाव करके कांग्रेस को 85 के बजाए 100 सीटें देने की भी तैयारी कर ली थी, लेकिन इस बातचीत में कांग्रेस ने 120 सीटे मांगी और उससे कम सीटों पर कांग्रेस समझौता करने को तैयार नहीं हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि अब सपा और कांग्रेस के बीच कोई चुनावी गठबंधन होने के आसार नहीं हैं। अखिलेश के साथ बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सीट की संख्या और गठबंधन के मसले को लेकर पूरी जानकारी फोन पर कांग्रेस आलाकमान को भी दे दी है।
कांग्रेस ने बुलाई चुनाव समिति की बैठक
यूपी में सपा के साथ गठबंधन क्षीण होने के बाद नई दिल्ली में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक बुला ली और अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने के लिए माथापच्ची शुरू कर दी है। इस बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं। दरअसल यूपी चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की जरूरत महसूस करने के बावजूद सपा और कांग्रेस के बीच चली उठापठक से इस कवायद को झटका लगा है।
दबाव में अखिलेश
यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये हों, लेनिक शायद अभी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ही है। राजनीतिकारों की माने तो सपा की जारी सूची में समर्थकों के नाम गायब होने से नाराज मुलायम सिंह ने अखिलेश पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जिसके कारण वह प्रत्याशी बदलने के लिए नरम नजर आ रहे हैं। इसी नाराजगी से मुलायम के नजदीकी अंबिका चौधरी के बसपा में शामिल होने और उसके बाद सपा विधायक फातिमा भी बसपा में जाने की तैयारी में हैं। सपा में इस डेमेज कंट्रोल पर भी पिता के कहने पर अखिलेश की नजरें हैं। सपा के सूत्रों की माने तो अखिलेश कल जारी 209 प्रत्याशियों की सूची में बदलाव करना शुरू कर दिया है।
22Jan-2017

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