रविवार, 29 जनवरी 2017

राग दरबार: यूं मुलायम से रूठे अमर..

जयाप्रदा की दाल नहीं गली
ठाकुर अमर सिंह सपा के घमासान में आखिर तक मुलायम और शिवपाल के साथ डटे रहे पर अब वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैंं। पिछले दिनों उन्होंने मुलायम सिंह पर सीधे तंज कसे तो लोगों को आश्चर्य हुआ। दरअसल अमर की पीड़ा कुछ और थी। नेताजी के परिवार में रार थमी तो उनको लगा कि सब एडजस्ट हो गये पर उनके हिस्से कुछ नहीं आया। ठाकुर साहब अपनी परम मित्र जयाप्रदा को सपा टिकट नहीं मिलने से परेशान थे। जयाप्रदा पिछले कुछ सालों से संसद पहुंचने के लिये बेचैन हैं। अमर सिंह ने भी तमाम प्रयास किये पर कहीं दाल नहीं गली। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जया को भाजपा से टिकट दिलवाने की कोशिश भी सिरे नहीं चढ़ पायी थी। फिर अमर सिंह की सपा में वापसी हुई तो उन्होंने जयाप्रदा को उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत राज्य फिल्म बोर्ड की चैयरपर्सन बनवा दिया। फिर अखिलेश और शिवपाल का झगड़ा शुरू हुआ तो जयाप्रदा को मुख्यमंत्री अखिलेश ने पद से हटा दिया। आखिरकार जब कुछ दिन पहले अखिलेश को चुनाव आयोग से साईकिल मिली और वे सपा के राष्टÑीय अध्यक्ष स्वीकार हुए तो अमर सिंह ना तीन में रहे और ना तेरह में। मुलायम सिंह ने अखिलेश का वर्चस्व स्वीकार कर लिया, शिवपाल को सपा से टिकट मिल गया, अपर्णा यादव को भी उम्मीदवार बना दिया गया। ठाकुर अमर सिंह को उम्मीद थी कि नेताजी जयाप्रदा को भी सपा के दबदबे वाली किसी सीट से टिकट दिला देंगे पर ऐसा नहीं हो पाया। तब उन्होंने मुलायम पर आरोप लगाया कि वे ‘अखिलेशवादी’ हो गये हैं। अमर सिंह को इस सारे झगडे में सिर्फ घाटा ही हाथ आया। आखिर में नेताजी ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। अब ठाकुर साहब भिन्नाये हुए हैं पर कुछ कर नहीं पा रहे हैं।
लोकतंत्र बनाम सांप्रदायिकता..
देश की सियासत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कोई भी राजनीतिक दल मुस्लिम को सब्जबाग दिखाने में लगे है और मुस्लिमों को एकजुट करना ही ही लोकतंत्र का हिस्सा मान कर चल रहे हैं, जिसमें हिंदू का नाम आ जाए तो सांप्रदायिकता कहलाएगी? मसलन कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी का कथन का यह कथन कि दलित-मुस्लिम साथ दें तो भाजपा का हराया जा सकता है। ऐसे ही सपा व राजद मुस्लिम-यादव लोकतंत्र की ताकत मानकर चल रहा है। अब मुस्लिम लीग के आवैसी और आजम खां तो भी यह कहते घूम रहे हैं कि मुसलमान मेरे दिल मे है, तो राहुल गांधी मुसलमानों व दलितों को इस देश की आत्मा में बसने की दलील देकर सियासी जमीन तलाश रहे हैं। केजरीवाल की तो अलग-अलग राज्यों में भाषा बदल रही है, जिसमें गोवा में ईसाइयों और पंजाब में सिखों के साथ सभी दलों द्वारा धोखा देने की बात करने में पीछे नहीं रहे हैं। खासबात यह है कि मुस्लिमों को लोकतंत्र का अहम हिस्सा बताकर भाजपा के खिलाफ जहर उगलने में किसी भी दल को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की परवाह नहीं है। राजनीति गलियारों में ऐसे जातिवाद व धर्म के नाम की सियासत को लेकर चर्चा है कि यदि देश में कोई हिंदुत्व की बात करें तो वह सांप्रदायिक है और अशांति फैलाने का प्रयास है। और कोई मुस्लिमों की बात करे तो वह लोकतंत्र? ऐसी सियासत गंगा-जमुनी संस्कृति मे दरार पैदा करना नहीं है तो क्या यह लोकतंत्र है? ....
वाहे गुरु और नीतीश
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी 350वीं शहादत दिवस पर पटना साहेब में सफलतापूर्व ऐतिहासिक अंतर्राष्टÑीय सिख समागम का आयोजन कराने के बाद बिहार से बाहर निकलकर पहली बार ब्रांड नीतीश कुमार पंजाब पहुंचा तो माना जा रहा था कि वे केजरीवाल को अपना समर्थन देने पंजाब जाएंगे। देश-दुनिया में रहने वाली पंजाबी बिरादरी बिहार सरकार के अभूतपूर्व स्वागत से इतनी सराबोर है कि वे अब अपने गुरु जन्मस्थली के लिए कुछ ठोस करना चाहते हैं। इंग्लैंड और अमेरिका के सिख सभाओं ने मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर पूछा है कि सिखों की धर्मस्थली को जोड़कर क्या बिहार सरकार एक सिख सर्किट बनाने की कोई योजना बना सकती है, अगर हां तो उन्हें इस योजना में सिख संगत की ओर से आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। नीतीश कुमार को यह योजना भा गई। उन्होंने पर्यटन मंत्री को साथ लिया। आला अधिकारियों की बैठक ली और तय कर दिया कि जल्द ही बिहार में बुद्ध सर्किट के बाद सिख सर्किट की व्यापक ब्लूप्रिंट तैयार की जाए।
समुद्र के बीचोंबीच एटीएम से निकलेगा कैश
नोटबंदी के दौर में जब कैश को लेकर लोगों में हाहाकार मचा हुआ था। तो देश की समुद्री सीमाआें की सुरक्षा करने वाली नौसेना के जाबांजों ने अपनी अनोखी समस्या को सामने रखकर सबको अचंभित कर दिया था। समुद्र में दिनों, महीनों और कभी-कभी सालभर विचरण करने वाले नौसैना के इन प्रहरियों का कहना था कि एक बार समुद्र में उतरने के बाद चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है। कैश के नाम पर कुछ नहीं होता। ऐसे में तट पर पहुंचने पर अपनी और परिवार की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में काफी समय व्यर्थ हो रहा है। समस्या को वाजिब मानते हुए नौसेना और स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने हाल ही एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। जिससे समुद्र के शूरमां कहे जाने वाले देश के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर एसबीआई ने अपना पहला एटीएम खोला। एसबीआई का यह पहला ऐसा एटीएम है, जो देश में किसी विमानवाहक युद्धपोत में दूर समुद्र में भी विचरण के दौरान आसानी से संचालित किया जा सकेगा। इस एटीएम से नौसैन्यकर्मियों चेहरों पर खुशी की मुस्कान लौट आई है, जिन्हें अपने काम के स्वभाव की वजह से कैश की व्यवस्था करने में खासी दिक्कत हो रही थी। उधर समुद्र के बीचोंबीच एटीएम से कैश निकालने की राह भी आसान हो गई है।
राहुल के नजदीक जाने की कोशिश...
मध्यप्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इन दिनो राहुल गांधी के कुछ ज्यादा ही नजदीक नजर आ रहे है। सभी कैसे भी युवराज के सामने अपनी अच्छी छवी और संगठन पर पकड दिखाना चाहते है। इन नेताओ की नजर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर लगी हुई है। हाईकमान ने इस बार साफ निर्देश दे दिया है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर वही काबिज होगा जो संगठन पर पकड रखता हो और प्रदेश में कांग्रेस को बेहतर स्थिति में ला सकता है। इसलिए सभी अपने अपने तरीके से राहुल को लुभाने में लगे हुए है। कोई अपने समर्थकों से तो कोई खुद ही अपने नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष के लिए पेश कर रहा है। कई नेता तो अपने समर्थकों के साथ राहुल गांधी की पांच राज्यों में हो रही चुनावी रैली में पहुंच जाते है,ताकि यह संदेश जाए कि इनके साथ हमेशा ही कार्यकर्ताओ का मजमा लगा रहता है। सभी कार्यकर्ता भी इस नेता को पसंद करते है। प्रदेश अध्यक्ष पद की चाह रखने वाले नेताओ की नजर केवल पांच राज्यों के चुनावी परिणामों पर लगी हुई है। नतीजों के बाद मप्र सहित अन्य राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की कुर्सी बदले जाने की चर्चा है।
-आनंद राणा, ओ.पी. पाल, शिशिर सोनी, कविता जोशी व राहुल
29Jan-2017

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