शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

सपा का दंगल: चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी निगाहें

यूपी चुनाव में विपक्षी दलों की खिली बांछे
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
यूपी के सत्तारूढ समाजवादी पार्टी का दंगल थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके बाद सभी सियासी दलों ओर जनता की निगाहें अब चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी हुई है। वहीं राज्य में अगले महीने सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा व बसपा जैसे विपक्षी दलों की भी बांछे खिली हुई हैं। सपा के इस घमासान में विपक्षी दल अपने मजबूत जनाधार बढ़ाने की उम्मीदें लगाए हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया तेज होती जा रही है और सत्तारूढ दल अपने आपसी अंतर्कलह से जूझ रहा है, जिसमें मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच चल रहे विवाद की वजह से समाजवादी पार्टी का अस्तित्व खतरे में है। सपा में सुलह के कई प्रयास पूरी तरह से विफल होने की वजह से अब सपा भविष्य को लेकर सभी की निगाहें चुनाव आयोग की कल 13 जनवरी को होने वाली सुनवाई के बाद आने वाले फैसले पर टिकी हुई है। मसलन शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव और अखिलेश खेमा नई दिल्ली स्थित केंद्रीय चुनाव आयोग में होगा। चुनाव आयोग दोनों गुटों के दस्तावेजों के अलावा दोनों गुटों की दलीलों को भी सुनवाई के दौरान सुन सकता है, जहां दोनों गुटों ने सपा और उसके चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा ठोक रखा है।
जब्त हो सकती है साइकिल
राजनीतिकारों के अनुसार सपा के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर चल रही खींचतान के बीच चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह को जब्त भी कर सकता है। ऐसे में यदि चुनाव आयोग ने ऐसा किया तो दोनों गुटों के सामने यूपी में चरम पर जाते चुनाव प्रचार के बावजूद चुनाव में वैकल्पिक दलों और वैकल्पिक चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में जाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। हालांकि ऐसी संभावनाओं के मद्दे नजर दोनों ही गुटों ने अपनी रणनीति तैयार कर रखी है। सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह यादव लोकदल से ‘हल जोतता किसान’ चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव की लोकदल के नेता सुनील सिंह से इस रणनीति पर कई बार चर्चा हो चुकी है। वहीं अखिलेश गुट पहले ही चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल चुनाव चिन्ह की मांग कर चुका है। मसलन सपा के टूटने पर अखिलेश गुट अपनी नई पार्टी के चुनाव चिन्ह मोटरसाइकिल के साथ चुनाव लड़ सकते हैं। यह फैसला कल शुक्रवार को सामने आएगा कि सपा के इस दंगल में ऊंट किस करवट बैठने वाला है।
सुलह की गुंजाइश समाप्त
समाजवादी पार्टी में सुलह के आसार खत्म होते नजर आ रहे हैं। इसका कारण साफ है कि एक दिन पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने राम गोपाल यादव पर भारतीय जनता पार्टी से मिलकर सपा को तोडने का आरोप लगा दिया था। वहीं उन्होंने अपने पुत्र अखिलेश और बहू को केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से बचाने के लिए राम गोपाल यादव भाजपा से मिलकर सपा को तोड़ने तक का आरोप मंढ रहे हैं। अब चुनाव आयोग ने सुनवाई के लिए शुक्रवार को दोनों गुटों को साढे 11 बजे बुलाया है। ऐसे में दोनों खेमों को एक होने की संभावना क्षीण हो गयी है। गौरतलब है कि पार्टी ने पांच नवंबर को ही अपना रजत जयन्ती समारोह मनाया था और उसके कुछ ही दिन बाद पार्टी में विवाद इस कदर बढ़ा कि अब उसका सिर्फ औपचारिक रुप से टूटना शेष है।
अखिलेश का कांग्रेस से गठबंधन!
समाजवादी पार्टी में चुनाव चिन्ह साइकिल पर चल रही खींचतान के बीच अखिलेश यादव खेमे और कांग्रेस एवं अन्य दलों के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन का खाका तैयार हो चुका है। इसका औपचारिक एलान एक-दो दिन में किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल और प्रियंका गांधी के बीच बातचीत के बाद आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की विधानसभा के चुनाव में भाजपा और बसपा के खिलाफ महागठबंधन की घोषणा किये जाने की औपचारिकता ही शेष रह गयी है।
13Jan-2017

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