शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

बजट प्रक्रिया पूरे देश की वार्षिक संवैधानिकता

केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को भेजा जवाब
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद में एक फरवरी को पेश होने वाले बजट के खिलाफ विपक्ष की शिकायत पर केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को नोटिस का जवाब भेज दिया है, जिसमें सरकार ने आम बजट को पूरे देश की वार्षिक संवैधानिक पहल बताते हुए केंद्रीय बजट का बचाव किया।
आगामी 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र को राष्ट्रपति भी मंजूरी दे चुके हैं, जिसके तहत एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। विपक्षी दलों ने एक फरवरी को पेश होने वाले बजट का विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई थी और चुनाव आयोग से मिलकर एक ज्ञापन सौंपकर आम बजट को आठ मार्च तक रोकने की मांग की थी। इस शिकायत पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने चुनाव आयोग के समक्ष केंद्र सरकार का पक्ष रखा। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के जवाब में कहा गया है कि सरकार ने केंद्रीय बजट को पूरे देश के संदर्भ में होने वाली वार्षिक संवैधानिक पहल बताया है जो केवल कुछ राज्यों से जुड़ी नहीं है। मसलन केंद्र सरकार ने अपने जवाब में विपक्ष के उन आरोपों को खारिज करने का प्रयास किया है, जिसमें विपक्ष ने आरोप लगाया गया था कि यह पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार चुनावी राज्यों में मतदाताओं को लुभाकर भाजपा का फायदा पहुंचाना चाहती है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के ज्ञापन के आधार पर जवाब मांगा था। इस ज्ञापन में आयोग से आग्रह किया गया था कि वह विधानसभा चुनाव होने तक बजट को टालने के लिए सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप करे।
सरकार ने दिया यह तर्क
केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को भेजे जवाब में इस बार एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तर्क दिया है कि आम बजट को पहले पेश करने की मंशा यही है कि देशभर में विभिन्न क्षेत्रों के लिए बजटीय प्रावधानों का आवंटन नया वित्तीय वर्ष यानि एक अप्रैल से लागू किया जा सके। इसके लिए केंद्रीय बजट को संसद में मार्च में ही पारित कराना जरूरी है, ताकि बजट प्रक्रिया नये वित्तीय वर्ष से पहले पूरी की जा सके। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे पहले केंद्रीय बजट आमतौर पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में पेश किया जाता रहा है और इसके कारण बजट की मंजूरी अगले वित्त वर्ष में प्रवेश कर जाती थी, जिसके कारण कार्यक्रमों के शुरू होने में विलंब होता था। इससे पहले बजट सत्र पहले बुलाने की पहल का बचाव करते हुए सरकार कहती रही है कि संसदीय समितियों को 10 फरवरी से 8 मार्च तक सत्र के अवकाश की अवधि में बजटीय प्रस्तावों का अध्ययन करने के लिए सूचित कर दिया गया है।
कैबिनेट का था निर्णय
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय कई माह पहले ही ले लिया गया था। अब कैबिनेट की संसदीय संबन्धी समिति द्वारा बजट सत्र कार्यक्रम की सिफारिशों पर राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इस कार्यक्रम के अनुसार 31 जनवरी को बजट सत्र की शुरूआत संयुक्त सदन की बैठक में राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषणा से होगी ओर एक फरवरी को लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा केंद्रीय बजट पेश करने का कार्यक्रम निर्धारित है। सरकार इससे पहले कह चुकी है कि सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर में ही सत्र को पहले बुलाने के अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे और इसी अनुरूप केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

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