सोमवार, 9 जनवरी 2017

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से ही होगा


राष्ट्रपति ने सरकार की सिफारिश को दी मंजूरी
चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
हरिभूमि ब्यूरो
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने संसद का बजट सत्र आगामी 31 जनवरी से बुलाने के लिए जो सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी उसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी देते हुए राज्यसभा का बजट सत्र को 31 जनवरी से बुलाने की मंजूरी दे दी है। जबकि दूसरी ओर विपक्ष के विरोध स्वरूप की गई मांग पर चुनाव आयोग ने केंद्र से दस जनवरी तक जवाब तलब किया है।
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने जानकारी दी है कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राज्यसभा का सत्र 31 जनवरी से बुलाया है, जो 12 अप्रैल तक चलेगा। इससे पहले केन्द्रीय मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति ने इस सप्ताह की शुरूआत में संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से बुलाने की राष्ट्रपति से सिफारिश की थी। इस सिफारिश को मानते हुए राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दे दी है। जहां राष्ट्रपति ने बजट सत्र बुलाने को हरी झंडी दी है, वहीं केंद्रीय चुनाव आयोग ने जल्दी बजट सत्र बुलाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट सचिव से दस जनवरी तक बजट सत्र के जल्द बुलाने पर जवाब मांगा है और केंद्र सरकार से इस संबन्ध में राय भी मांगी है।
बजट के विरोध में विपक्ष
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में संसद के बजट सत्र को 31 जनवरी से बुलाने के लिए राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई सिफारिश में एक फरवरी को आम बजट पेश करने का निर्णय भी शामिल है, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले का इसलिए विरोध किया है कि इससे पांच राज्यों में हो रहे चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने चुनाव से पहले संसद में बजट पेश करने से सरकार को रोकने लिए पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखा। उसके बाद आठ विपक्षी दलो के प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्रीय चुनाव आयोग पहुंचकर मुख्य चुनाव आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा।
विपक्षी दलों की आशंका
सरकार के एक फरवरी को आम बजट पेश करने के निर्णय के विरोध में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को तर्क दिया है कि पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चार फरवरी से आठ मार्च तक विधानसभा चुनाव होने के कारण बजट सत्र आठ मार्च के बाद पेश करना चाहिए। विपक्षी दलों का कहना है कि बजट में की जाने वाली घोषणाओं से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी चुनावी फायदा उठा सकती है और आदर्श चुनाव संहिता लागू हो चुकी है, इसलिए चुनाव से पहले आम बजट पेश किया जाना अनुचित होगा। विपक्षी दलों ने इसी आशंका को देखते हुए राष्ट्रपति को पत्र लिखा और चुनाव आयोग से मिलकर भी एक ज्ञापन सौंपा था। इसके मद्देनजर ही चुनाव आयोग ने सरकार से इस संबंध में राय मांगी है।केंद्र सरकार से जवाब तलब
पांच विधानसभा चुनावों तक बजट टालने की विपक्ष की मांग पर चुनाव आयोग ने सरकार से जवाब तलब करते हुए कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखे पत्र में कहा है कि सरकार 10 जनवरी तक इस पर अपना रुख साफ करे। इस पत्र के अनुसार चुनाव आयोग ने सरकार के एक फरवरी को आम बजट पेश करने के निर्ण को ध्यान में रखते हुए चुनाव तिथियां चुनाव की तय की हैं। आयोग ऐसा मानता है कि इसका चुनाव पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। चूंकि विपक्षी दलों ने चुनाव प्रक्रिया में मतदान शुरू होने से तीन दिन पहले ही आम बजट पेश करने का फैसला किया तो विपक्षी दलों ने इस पर विरोध दर्ज कराया है।
सरकार का तर्क
केंद्र सरकार की ओर से वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट एक फरवरी को ही पेश होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस पर चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा सरकार उसका अनुपालन भी करेगी। सरकार के बजट सत्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं भी दायर की गई है, लेकिन कोर्ट ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले आम बजट पेश पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं पर समय आने पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट पर रोक लगाने की मांग की थी।
08Jan-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें