शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

शायद चुनाव नहीं लड़ सकेगा कोई दागी नेता!

सुको के पांच जजों की स्पेशल बैंच पर टिका फैसला
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावोें को बिगुल बज चुका है और सियासी दलों में विधानसभा में दाखिल होने के लिए सभी दावेदार दम-खम के साथ ताल ठोकनें में जुट गये हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने अब दागी नेताओं की उम्मीदवारी को रोकने वाले मामले पर सुनवाई करके जल्द फैसला देने का संकेत से चुनाव मैदान में बाहुबलियों, माफियाओं और गंभीर आपराधिक मामलों में वांछितों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। उम्मीद की जा रही है कि ऐसे दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट दागियों के चुनाव लड़ने के खिलाफ दायर की गई एक ऐसी याचिका पर सुनवाई करने को तैयार है और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पांच जजों की विशेष पीठ गठित करके फैसला देने को कहा है। इस मामले पर जल्द सुनवाई और आने वाला फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक दिन पहले चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर व गोवा के विधानसभा चुनाव का ऐलान करने के बाद आया है। ऐसे में इन चुनावों में दागियों को उम्मीदवार बनाने वाले सियासी दलों में हलचल मचना स्वाभाविक है, जो राजनीति के अपराधिकरण को खत्म करने की दुहाई देने के बावजूद बाहुबलियों व माफियाओं को अपना प्रत्याशी बनाने में कभी पीछे नहीं रहे हैं। संविधान विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को गंभीरता से लेने से पांच राज्यों में चुनाव को देखते हुए जल्द ही यह बेंच कोई अहम फैसला सुना सकती है।
जाति-धर्म पर भी सख्त कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर वोट नहीं मांगने को गैर कानूनी करार देते हुए सियासी दलों पर शिकंजा कसा है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व के मुद्दे पर दायर कई याचिकाओं पर बीते सोमवार को ही सुनवाई करते स्पष्ट कहा है कि धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर यदि कोई नेता वोट मांगेगा तो वह अपराध की श्रेणी में आ जाएगा, जिसका पालन करने के लिए चुनाव आयोग ने भी सभी सियासी दलों को दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं।
क्या होगा इस फैसले का असर
चुनाव आयोग द्वारा घोषित पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसलों का सीधेतौर पर असर पड़ना तय है, जिसमें अब कोई भी नेता, उम्मीदवार या एजेंट धर्म, जाति या संप्रदाय को लेकर लोगों से वोट नहीं मांग सकेगा। इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट दागी उम्मीदवारों की जनहित में दायर याचिकाओं पर सख्त नजर आ रहा है, जिसका फैसला इन चुनाव के दौरान जल्द ही आने की इसलिए संभावना है, कि याचिकाकर्ताओं ने गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं पर जल्द रोक लगाने की मांग की है।
विधि आयोग की भी सिफारिश
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डा. बीएस चौहान की अगुवाई वाले विधि आयोग की रिपोर्ट में जनप्रतिनिधि कानून में बदलाव के तहत की गई सिफारिशों में केंद्र सरकार से दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध का प्रावधान करने की सिफारिश पहले ही की हुई है। ऐसी सिफारिशों पर केंद्र सरकार भी गंभीर नजर आ रहा है, जिसमें केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायिका विभाग ने हाल ही में सभी संबन्धित विभागों को एक परिपत्र जारी करके साफ संकेत दे दिये हैं कि जल्द ही विधि आयोग की सिफारिशों को लागू करने के प्रयास कर सकता है। विधि आयोग की सिफारिश में कहा गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ कम से कम पांच साल की सजा वाले प्रावधान वाले अपराध में आरोप तय हो चुके हों, को चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाये। वहीं ऐसे दागियों को चुनाव लड़ने से रोकने के साथ राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीतिक दल में पदाधिकारी बनने पर हमेशा के लिए पाबंदी लगाने की सिफारिश भी केंद्र सरकार के पास है।
नियमों में बदलाव की तैयारी
सूत्रों के अनुसार विधि आयोग की सिफारिशों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की गई है। मोदी सरकार ऐसे नेताओं के चुनाव लड़ने के बारे में विधि आयोग की सिफारिशों को लागू करने की तैयारी में है, जिसमें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाएगी। मसलन सरकार भी जल्द चुनाव संचालन नियम, 1961 और जनप्रतिनिधि कानून-1951 में फेरबदल करने को तैयार है। सूत्रों के अनुसार विधि मंत्रालय में नियमों में बदलाव के लिए कैबिनेट नोट को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
06Jan-2017

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