रविवार, 15 जनवरी 2017

राग दरबार: हवा होती चुनाव आचार संहिता..

जाति और धर्म का चुनाव 
देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण चुनाव आचार संहिता लगी है, जिसका चुनाव आयोग सख्ती से पालन कराने में जुटा है। ऐसे चुनाव वाले कई सूबों में भयंकर ठंड पड़ रही है। तमाम जिलों में तापमान शून्य के नीचे चला गया है, लेकिन अब तक किसी भी पार्टी का नेता यह बयान देने का साहस नही कर पाया है कि मोदी की नीतियों के कारण इस बार ठंड अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ रही है या फिर केजब्रीवाल की बयानबाजी का ग्लोबल वार्मिंग पर बुरा असर पड़ा है। दरअसल देश में हर किसी भी हलचल के लिए खासकर केजरीवाल या राहुल व अन्य जुबानबाजी के जरिये सुर्खिंयों में आने को आतुर सियासी नेता सीधे मोदी को कोसते नजर आते हैं। जहां तक चुनाव आचार संहिता के पालन करने का सवाल है, चुनाव आयोग तो दूर की बात,किसी भी नेता को सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश की ारवाह नहीं है। चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता को तो नमता शायद चूं -चूं का मुरब्बे की तरह समझते हैं, तभी तो देश की सबसे बडी अदालत सुप्रीम कोर्ट के सियासी दलो को जाति और धर्म का चुनाव में इस्तेमाल नहीं करने के आदेश को ताक पर रखकर ज्यादातर दल जातियों व धर्म के आधार पर ही अपने उम्मीदवार तय कर रहें हैंऔर उत्तर प्रदेश में तो इस आदेश की धज्जियाँ उड़ चुकी हैं। यानि राजनीति दल टीवी पर लाइव बता रहे कि उसने किस जाति और किस मजहब के कितने उम्मीदवार तय किये। मीडिया भी जाति और मजहब के आंकडे प्रचारित कर रही है। इस लसेकतांत्रिक मेले की कहानी ऐसी कि हमेशा की तरह ही हवा हाती नजर आ रही है चुनाव आचार संहिता..!
मुलायम को समझा रहे हैं तिवारी
सपा के भीतर चल रहे दंगल में तमाम नेता मुलायम सिंह यादव को नरम रूख अपनाने की सलाह दे रहे हैं। कभी लोकदल का हिस्सा रहे लालू यादव से लेकर शरद यादव तक। अब लगे हाथ नारायण दत्त तिवारी भी बड़े-बुजर्ग की तरह मुलायम को सीख देने में जुट गये हैं। इस पुराने कांग्रेसी नेता ने अपने मित्र सपा सुप्रीमो को बकायदा पत्र लिखकर कहा है कि अपने पुत्र अखिलेश यादव को विरासत सौंप दें। मजेदार पहलू तो ये है कि तिवारी जी खुद अपने बेटे रोहित शेखर को अपना बेटा मानने की बजाय कई साल तक अदालतों के चक्कर काटते रहे। मुलायम को लिखे अपने पत्र में तिवारी ने कहा है कि वे खुद अपने बेटे रोहित को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपने के चलते उनको उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में जुटे हैं। समय का फेर देखिये कि अब तिवारी भी बेटे की अहमियत मुलायम को समझा रहे हैं, उधर नेताजी हैं कि सपा पर कब्जा छोड़ने को तैयार नहीं।
लालू पर फिदा पासवान
वैसे रामविलास पासवान की तबियत नासाज होने की खबरें छह दशक पूरा होने के बाद भी कम ही आती हैं। शुक्रवार को पटना प्रवास के दौरान केंद्रीय मंत्री पासवान को सांस लेने में परेशानी हुई तो जैसे लोजपा नेताओं की सांसें थम गर्इं। किसी ने पासवान के निजी चिकित्कसक को तो किसी ने पटना स्थित पीएमसीएच अस्पताल को फोन घुमाना शुरू किया। छोटे भाई रामचंद्र पासवान ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को फोन घुमा दिया। लालू के बेटे तेजप्रताप यादव के पास स्वास्थ्य मंत्रालय है। लालू ने उन्हें पीएमसीएच पहुंचने की हिदायत दी। जब तक पासवान अस्पताल पहुंचते उससे पहले लालू दलबल समेत अस्पताल में पहुंच गए। फौरन शुरूआती जांच के साथ डाक्टरों की टीम ने पासवान की सांसों पर नियंत्रण पा लिया। मगर, सुझाव दिया कि दिल्ली में एकबार अच्छी तरह स्वास्थ्य जांच हो जानी चाहिए।, सो, पासवान के एयर एंबुलेंस का इंतजाम किया गया। उन्हेंं दिल्ली शिμट किया गया। पासवान और लालू भले ही अभी साथ न हो, लेकिन लालू प्रसाद की इस अदा पर पासवान फिदा हो गए।
पत्रकारों के फेवर में जनरल साहब...
आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि सेना का कोई अधिकारी अपने प्राथमिक कार्य के प्रति ज्यादा सजग होता है, बजाय दूसरे कार्यों और विभाग के लोगों के प्रति। लेकिन कभी-कभी आम प्रचलन में बने हुए विचारों में भी बदलाव देखने को मिलता है। यहां हम बात बीते 31 दिसंबर को सेनाप्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने वाले जनरल बिपिन रावत की कर रहे हैं। उन्हें मीडिया रणनीति का बारीक पारखी के रूप में जाना जाता है। लेकिन जब पत्रकारों की ओर से उनके इस गुण को सीधे परखने की कवायद शुरू हुई तो जनरल रावत ने भी अपने बेबाक अंदाज में मीडिया से सहयोग लेने और उन्हें सहयोग देने का वादा कर दिया और साथ ही चुटकी लेते हुए कहा कि किसी पत्रकार द्वारा टेढ़ा सवाल पूछने पर उसपर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। इससे जनरल साहब की पत्रकारों को फेवर करने की भूमिका का साफ नजारा प्रस्तुत हो गया।
जब तक टीवी पर नहीं देखेंगे तब तक नहीं मानेंगे
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर चल रही हवा थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हर दिन कोई न कोई सोशल मीडिया या सामाचार चैनल सूत्रों से यह खबर चला देते है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो गया है। सीटों का तय होना बाकि है। सभी मिलकर चुनाव लडेंगे। इससे अब कांग्रेसी कार्यकर्ता परेशान हो गए है। उनका कहना है कि जब तक अखिलेश,मुलायम और राहुल मिलकर दिल्ली और लखनऊ में मिलकर साथ प्रेस वार्ता कर जानकारी नहीं दें देते और टीवी पर एक साथ दिखाई नहीं देते जब तक हम अब किसी भी अपवाह पर ध्यान नहीं देंगे। चुनाव करीब है हम हमारी उम्मीदवारी दम से ठोकेंगे और कांग्रेस के टिकट से ही चुनाव लडेंगे।
-ओ.पी. पाल, आनंद राणा, शिशिर सोनी, कविता जोशी व राहुल
15Jan-2017

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