मंगलवार, 3 जनवरी 2017

सपा के दंगल में अब ‘साइकिल’ पर घमासान!

चुनाव आयोग करेगा चुनाव चिन्ह का फैसला
मुलायम ने ठोका दावा, अखिलेश खेमा कल जाएगा चुनाव आयोग
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के दंगल में दो फाड़ हुई पार्टी में अब चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ को लेकर घमासान तेज हो गया है। पार्टी और चुनाव चिन्ह पर अपना हक जताने के लिए सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने केंद्रीय चुनाव आयोग में दस्तक दी, जबकि अखिलेश खेमा इसी हक को लेकर कल मंगलवार को चुनाव आयोग में अपना दावा ठोकेगा। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग को चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ पर फैसला लेने में कुछ माह लग सकते हैं, तो ऐसे में यूपी में होने वाले चुनाव में सपा के दोनों गुटों को ही वैकल्पिक चुनाव चिन्ह मिलने से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
समाजवादी पार्टी के सियासी दंगल में अब चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ को लेकर घमासान शुरू हो गया है, जिसका विवाद केंद्रीय चुनाव आयोग के पाले में पहुंच गया है। माना जा रहा है कि मुलायम और अखिलेश में पार्टी पर अपना हक जताते हुए सपा के चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ पर शुरू हुई खींचतान सिर पर खड़े चुनाव के दौरान संकट का कारण बन सकती है। मसलन उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में हुए परोक्ष तख्तापलट के बाद अब उसके आधिकारिक चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ को लेकर शुरू हुई लड़ाई चुनाव आयोग की अदालत में पहुंच चुकी है, जिसका फैसला अब चुनाव आयोग करेगा और इसके लिए फैसला लंबा खींचने की संभावना जताई जा रही हैं।
जब्त हो सकती है ‘साईकिल’
चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो सपा के चुनाव चिन्ह को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग में किसी भी फैसले से पहले दोनों पक्षों की शिकायत और दावों को सबूतों और हलफनामों की जांच परख होगी। इसमें कम से कम चार-पांच महीने का समय लग सकता है,जबकि राज्य में चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में फैसला होने तक चुनाव आयोग इस चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ को जब्त कर सकता है और मूल समाजवादी पार्टी के नाम के बजाए दोनों धड़ों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किये जा सकते हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि यदि दोनों खेमें असली पार्टी होने का दावा भले ही कर रहे हों, लेकिन आयोग दोनों पक्षों के हलफनामों और सबूतों तथा दल की औपचारिकताओं में दल की कार्यकारिणी सदस्यों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की हस्ताक्षरित सूची भी मांगेगा। आयोग की तय प्रक्रिया में जो बहुमत साबित करेगा, वही धड़ा मूल पार्टी और साइकिल चुनाव चिन्ह का दावेदार होगा।
मुलायम ने ठोका अपना दावा
दरअसल सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव के आलावा अपने कुछ नेताओं के साथ ने सोमवार को चुनाव आयोग में पार्टी और चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोका है। वहीं दूसरी ओर अखिलेश खेमें की ओर से सपा के बर्खाश्त महासचिव रामगोपाल यादव अपने नेताओं के साथ कल मंगलवार को चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखते हुए अपना दावा ठोकेंगे। चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने दावे पेश करने के बाद सपा के दोनों खेमों के दावों को परखेगा और सबूतों तथा संवैधानिक प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग अपना फैसला देगा। मुलायम के साथ ठाकुर अमर सिंह और जया प्रदा भी चुनाव आयोग के समक्ष पहुंची। चुनाव आयोग ने अखिलेश खेमे की ओर से प्रो. रामगोपाल को मंगलवार 11.30 बजे का समय दिया है।
कौन करेगा ‘साईकिल’ की सवारी
उत्तर प्रदेश में सपा कुनबे के दंगल में दो फाड़ हो चुकी पार्टी में अब उसके चुनाव चिन्ह पर 'कब्जे' की जंग शुरू हो गई है। इस जंग में सवाल यह है कि आखिर साइकिल की सवारी अब करेगा कौन? पिता मुलायम और बेटे अखिलेश गुट दोनों ही साइकिल चुनाव चिह्न पर दावा जता रहे हैं। चुनाव आयोग पहुंच रहे दोनों गुटों को लेकर अब सवाल है कि समाजवादी पार्टी किसकी होकर रहेगी? मुलायम की या अखिलेश की?
क्या होगा साइकिल का विकल्प
केंद्रीय चुनाव आयोग कभी-कभी भी चुनाव की तारीख का ऐलान कर प्रदेश में आचार-संहिता को लागू कर सकता है। जिसके बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी अपनी तथा अपने चुनाव चिन्ह से संबंधित किसी प्रकार का प्रचार नहीं कर पाएगी। संविधानविदों का कहना है कि चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह 'साइकिल' को जब्त करता है तो दोनों गुटों को अलग-अलग वैकल्पिक चुनाव चिन्ह आवंटित किये जा सकते हैं। ऐसे में इसका खामियाजा दोनों गुटों को ही चुनाव के दौरान भुगतना पड़ सकता है। इसका कारण साफ है कि सपा का चुनाव चिन्ह 'साइकिल' उत्तर प्रदेश के लोगों के जुबान पर है, ऐसे में नए चुनाव चिन्ह मिलने से लोगों तक उसकी पहुंच नहीं हो पाएगी। दरअसल इसके लिए चुनाव आयोग में एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग यह भी तय करेगा कि असली समाजवादी पार्टी कौन सी है। ऐसे में लोगों तक नए चुनाव चिन्ह को पहुंचा पाना अखिलेश और मुलायम दोनों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
ऐसे टूटी सपा
गौरतलब है कि रविवार को लखनऊ में आयोजित सपा के आपातकालीन अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। अधिवेश में प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की बर्खास्तगी तथा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। वहीं मुलायम सिंह यादव को पार्टी का मागदर्शक व संरक्षक चुना गया है। हालांकि मुलायम सिंह ने इस अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया है। मुलायम खेमे की ओर से उनके भाई शिवपाल यादव ने कहा कि नेतजी मुलायम सिंह यादव इस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और आगे भी रहेंगे।
मुलायम का अधिवेशन स्थगित
उधर मुलायम सिंह यादव ने रविवार को इस अधिवेशन को ही असंवैधानिक करार दे दिया और उन्होंने रामगोपाल यादव को तीसरी बार सपा से छह साल के लिए निकालते हुए 5 जनवरी को आकस्मिक राष्ट्रीय अधिवेशन जनेश्वर मिश्र पार्क में बुलाया था, लेकिन चुनाव आयोग से मुलाकात करने के बाद सोमवार को इस अधिवेशन को स्थगित करने का ऐलान भी कर दिया है। इस अधिवेशन स्थगित होने की पुष्टि शिवपाल यादव ने भी की है।
03Jan-2017

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