गुरुवार, 5 जनवरी 2017

चुनावी नियमों के शिकंजे में होंगे सियासी दल!

कैशलैस चुनाव बनेगा प्रत्याशियों की मुश्किलों का सबब
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में चुनाव सुधार की दिशा में नई-नई व्यवस्था को अंजाम देने के लिए सख्त नियमों की ओर बढ़ रहे केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में सियासी दलों पर शिकंजा कसने का फैसला किया है। देश में नोटबंदी के बाद डिजीटल लेनदेन के फार्मूला भी देश में पहली बार चुनावों में लागू होगा, जो सियासी दलों व उनके प्रत्याशियों की मुश्किलों का सबब बन सकता है। वहीं आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर भी दलों व प्रत्याशियों को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
चुनाव आयोग ने नए साल में नए नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है, जिसमें किसी भी सियासी दल या उसके प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग के दलों की पैनी नजरें रहेंगी। नये चुनावी नियमों के तहत जहां प्रत्याशियों पर आर्थिक रूप से शिकंजा रहेगा, वहीं चुनाव आयोग द्वारा नियमों में किये गये बदलाव के तहत हरेक उम्मीदवार को चुनाव आयोग के समक्ष ‘नो डिमांड सर्टीफिकेट’ एक ऐसा शपथ पत्र पेश करना जरूरी होगा, जिसमें बताना होगा कि उन पर बिजली, पानी या अन्य कोई बकाया तो नहीं है। यदि बकाया पाया गया तो ऐसे प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। इसी प्रकार प्रत्याशी अपने भारतीय होने का प्रमाण पत्र भी देना होगा और बताना होगा कि वह विदेशी तो नहीं है। इसी प्रकार कोई भी दल प्रचार में इस बार प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा और रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर रोक रहेगी।
आचार संहिता पर सख्त आयोग
चुनावों के दौरान मॉडल कोड आॅफ कंडक्ट यानि आदर्श आचार संहिता का जिक्र सबसे ज्यादा होता है। इस बार चुनाव आयोग द्वारा नियमों में किये गये बदलाव के बाद सख्ती करने की दिशा में ऐसे दिशा निर्देश जारी किये हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकारें और अन्य प्रशासनिक संस्थाएं चुनाव आचार संहिता के दायरे में रहेंगी। चुनाव आदर्श आचार संहिता के लागू होते ही देश की कोई भी सरकार (केंद्र या राज्य), मंत्री या अधिकारी नई योजना की शुरूआत नहीं कर सकती यानि नए ऐलान नहीं कर सकते। प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टी को रैली, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत लेनी होगी और साथ ही इसकी जानकारी पुलिस को भी देनी होगी। मसलन किसी भी स्थिती में सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। आदर्श आचार संहिता प्रत्याशियों और राजनीतिक पार्टियों के दिशा-निर्देश के लिए जारी किए गए नियमों का पालन करना चुनाव के दौरान पालन करना जरूरी किया गया है। ऐसे नियम राजनीतिक पार्टी के समन्वय और सहमति के साथ ही बनाए गए हैं।
कैशलेस होगा चुनाव
देश में इन पांच राज्यों के चुनाव पर भी बदल रही आम जिंदगी की तरह केंद्र सरकार की डिजिटल और कैशलेस मुहिम का असर नजर आएगा। चुनाव आयोग ने नये नियमों के तहत सभी राजनीतिक दलों को 20 हजार से ज्यादा का लेनदेन बैंक के जरिए करने के भी दिशानिर्देश जारी किये हैं। वहीं 20 हजार से ज्यादा का चंदा चेक या ड्राμट से लेना होगा। यानि देश में पहली बार कैशलेस चुनाव कराने की शुरूआत की जा रही है। इसी प्रकार टीवी से उम्मीदवार का प्रचार हुआ तो उसे चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। मसलन चुनाव आयोग ने इस बार काले धन पर लगाम के लिए ऐसे नए नियमों को लागू करने वाले ठोस कदम उठाए हैं। मसलन इस बार हरेक उम्मीदवारों को किसी भी खर्च के लिए चेक, ड्राμट या अन्य डिजिटल माध्यम का ही इस्तेमाल करना जरूरी किया गया है। यानि देश में पहली बार कैशलेस चुनाव कराने की शुरूआत की जा रही है।
चुनावी खर्च की सीमा तय
चुनाव आयोग ने चुनावी खर्च पर शिकंजा कसते हुए उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड में उम्मीदवार 28 लाख रुपये खर्च करने की सीमा तय की है, जबकि मणिपुर और गोवा में उम्मीदवार 20 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। इस सीमा से ज्यादा खर्च करने पर चुनाव आयोग प्रत्याशी के खिलाफ नए नियमों के तहत सख्त कार्रवाई को अमल में लाने से कोई परहेज नहीं करेगा।
जाति-धर्म की सियासत पर बैन
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में जारी आदेश का हवाला देते हुए सभी सियासी दलों को निर्देश दिये हैं कि कोई भी राजनीतिक दल या उनका प्रत्याशी धर्म-जाति के नाम पर वोट न मांगे और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना सुनिश्चित करे। चुनाव आयोग की बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा अपने उम्मीदवार घोषित करते समय जाति व धर्म के जरिए अपनी सोशल इंजीनियरिंग का जिक्र करने पर भी चुनाव आयोग की नजर है।
पहली बार इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली
चुनाव आयोग ने इन पांचों राज्यों के चुनाव में पहली बार एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सेना, पैरामिलिट्री फोर्सेस और चुनाव ड्यूटी पर लगे लोगों के पोस्टल वोट्स को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजने की व्यवस्था लागू की है। वहीं गोवा में विशेषरूप से मतदान के बाद मशीन से मतदाताओं को वोटिंग के बाद इसकी पर्ची दी जाएगी।
आदर्श पोलिंग स्टेशन
चुनाव आयोग के अनुसार इस बार कुछ मॉडर्न पोलिंग स्टेशन बनाने का फैसला किया गया है। इसके तहत प्रत्येक मतदान केन्द्र पर एक मतदाता सहायता बूथ बनाया जा रहा है, जहां कुछ मतदान पर केवल महिला कर्मचारियों की तैनाती होगी। ऐसे बूथ पर मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में ईवीएम वाले कैबिन की ऊंचाई बढ़ा कर 30 इंच कर दी गयी है। इसके अलावा इस बार प्रत्येक परिवार को एक रंगीन मतदाता निर्देशिका दी जाएंगी, जिसमें सभी मतदान केन्द्रों पर इलेक्ट्रोनिक वोटिग मशीनों पर उम्मीदवारों की तस्वीरें बनीं होंगी। इस साल आयोग ने दिव्यांग फ्रेंडली चुनाव को लेकर कदम उठाया है।
दिव्यांगों को विशेष सुविधा
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अनुसार मतदान केंद्रों पर दिव्यांगों के मतदान के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं, जिससे वे सुविधापूर्वक मतदान कर सकें। मतदान केंद्रों में भीतर तक जाने के लिए ढलवां रास्ता बनाया जाऐंगे, जिससे चलने में अक्षम व्यक्ति भी व्हीलचेयर के जरिए वोटिंग मशीन तक पहुंच सकें। व्हीलचेयर के उपलब्ध नहीं होने पर सहायक की मदद ली जा सकेगी। दृष्टि बाधित और हाथ से अक्षम मतदाताओं को भी सहायक की व्यवस्था की जाएगी।
05Jan-2017

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