शनिवार, 28 जनवरी 2017

कड़े सुरक्षा चक्र में बजट की तैयारी!

खुफिया तंत्र की निगरानी में वार रूम बना वित्त मंत्रालय
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
संसद में एक फरवरी को पेश किये जाने वाले बजट की उलटी गिनती शुरू हो गई है। मसलन केंद्रीय बजट को अंतिम रूप देने केबाद उसकी छपाई के जारी काम के कारण वार रूम में तब्दील हुए नॉर्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय इस समय कड़ी सुरक्षा और खुफिया तंत्र की निगरानी में है।
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय में पिछले सप्ताह ही हलवा रस्म के साथ बजट की छपाई का काम शुरू हो गया था, हालांकि चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट की एक फरवरी को बजट पेश होने से रोकने की मांग वाली याचिकाएं खारिज होने से बजट दस्तावेज तैयार करने की कार्यवाही में ज्यादा तेजी आई। केंद्रीय बजट के दस्तावेज की गोपनीयता की परंपरागत नियमों के कारण वित्त मंत्रालय कड़ी सुरक्षा के घेरे में है, जिस पर खुफिया विभाग की भी नजरें है। दरअसल हलवा खाने के बाद बजट दस्तावेज की छपाई प्रक्रिया में जुटे मंत्रालय और संबन्धित विभाग के करीब एक सौ अधिकारी व कर्मचारी ही छपाई खाने में ही रहते हैं, जिन्हे परिजनों या अन्य किसी से मिलना तो दूर फोन तक पर बात करने की इजाजत नहीं होती। वरिष्ठ अधिकारियों व प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के कार्यालयों में नियमों के तहत अपने जानकारों से ईमेल, फोन या अन्य किसी दूसरे माध्यम से संपर्क करने की भी सख्त मनाही होती है। केवल वित्त मंत्रालय के बेहद विश्वसनीय और वरिष्ठ अधिकारी को ही घर जाने की इजाजत दी जाती है। मसलन नार्थ ब्लाक की बजट शाखा एक वार-रूम की तरह काम करने लगती है। लोकसभा में बजट पेश होने तक नार्थ ब्लाक में सुरक्षा के उच्चतम स्तर के उपाय लागू रहते हैं। ऐसे नियमों को मकसद बजट की गोपनीयता कायम रखना है।
ऐसे बना है सुरक्षा चक्र
संसद में बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के सुरक्षा चक्र में खुफिया विभाग (आईबी), दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ आदि सुरक्षा बल लगे हुए हैं, जहां मीडिया और आम जनता का प्रवेश भी बंद हो जाता है। सुरक्षा चक्र इतना मजबूत होता है कि नॉर्थ ब्लाक के अन्य मंत्रालयों में आने वाली और यहां से बाहर जाने वाली हर चीज को विशेष एक्स-रे स्कैन से गुजार कर कड़ी जांच के बाद आगे बढ़ाया जाता है। इस इलाके में शक्तिशाली मोबाइल फोन जैमर यंत्र लगने के कारण हर किसी के लिए कॉल करना भी दूर की कोड़ी हो जता है। वरिष्ठ अधिकारियों व प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के कार्यालयों में इंटरनेट कनेक्शन और मोबाइल फोन प्रतिबंधित कर दिए जाते हैं। मसलन नार्थ ब्लाक की बजट शाखा एक वार-रूम की तरह काम करने लगती है। लोकसभा में बजट पेश होने तक नार्थ ब्लाक में सुरक्षा के उच्चतम स्तर के उपाय लागू रहते हैं।
‘नीला जैकेट’ सुरक्षा
बजट संबन्धी सभी दस्तावेजों की सुरक्षा एक ‘नीला जैकेट’ की निगरानी में होती है। इस सुरक्षा को बजट के लिए चुनिंदा महत्वपूर्ण संख्या में विश्ववसनीय लोग होते हैं, जिसका नेतृत्व मंत्रालय का संयुक्त सचिव (बजट) प्रभारी के रूप में करता है। यह सुरक्षा चक्र ऐसा है जो किसी भी व्यक्ति यहां तक कि वित्त मंत्री को किसी भी दस्तावेज को मंत्रालय से बाहर नहीं ले जाने देता है। यानि बजट बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान मंत्रालय के कुछ ही अधिकारी इस दस्तावेज को देख पाते हैं। वित्त मंत्री का भाषण, बजट पेश होने से कुछ घंटे पहले ही तैयार किया जाता है। हालांकि बजट के प्रावधानों को वित्तमंत्री के तहत ही दस्तावेजों में शामिल किया जाता है।
क्या है आम बजट?
केंद्रीय बजट किसी भी सत्तारुढ़ पार्टी की सरकार का दस्तावेज होता है, जिसमें सरकार के द्वारा प्रस्तावित राजस्व और अलग अलग योजनाओं पर किए जाने वाले खर्चों का लेखा जोखा पेश किया जाता है। यह बजट भारत के वित्त मंत्री द्वारा हर साल संसद में पेश किया जाता है। इस बार रेल बजट का भी आम बजट में ही समायोजन किया गया है।
बजट और हलवे का रिश्ता
बजट की छपाई शुरू करने से पहले मूंग की दाल का हलवा बनाया जाता है जिसे वित्त मंत्री खुद सदस्यों को परोसते है। देश के पहले बजट से लेकर अभी तक इस परंपरा का पालन किया जा रहा है। यह परंपरा भारतीय संस्कृति के उस मान्यता का परिचायक है जिसमें रहा गया है किसी भी शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए। इस दौरान बजट की छपाई से लेकर अन्य जिम्मेदारियों से संबंधित व्यक्ति अपने परिवार से दूर रहते हैं और तब तक मंत्रालय में ही रुकते हैं जब तक वित्त मंत्री सदन में बजट पेश नहीं करते।
आजाद भारत का पहला बजट
भारत की आजादी के बाद संसद में पहला बजट आर के संमुखम छेत्ती ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। बजट हर आर्थिक साल के फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया जाता है और संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद 1 अप्रैल से लागू हो जाता है।
तीन पीएम पेश कर चुके हैं बजट
भारत के तीन प्रधानमंत्रियों को देश का आम बजट पेश करने का गौरव प्राप्त है। ये तीनों नाम नेहरू-गांधी परिवार से ही हैं। जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं इंदिरा गांधी के नाम इकलौती महिला फाइनेंस मिनिस्टर होने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं मोरारजी देसाई एकलौते ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बजट तो पेश किए ही हैं साथ ही उन्हें दो बार अपने जन्मदिन पर बजट पेश करने का मौका मिला। आपको बता दें कि मोरारजी का जन्म 29 फरवरी को हुआ था।
आजाद देश का पहला बजट
भारत ने अपना पहला बजट 15 अगस्त 1947 को आजाद होने के तीन महीने के भीतर पेश कर दिया था। यानी आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। यह बजट आर के शनमुखम शेट्टी ने पेश किया था। स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत ने तीन महीनों के भीतर बजट तो पेश कर दिया था, लेकिन देश का पहला बजट पूर्ण बजट नहीं था। असल में यह अर्थव्यवस्था की समीक्षा थी। इस बजट में किसी कर का प्रस्ताव पेश नहीं किया गया था क्योंकि 1948-49 का बजट सिर्फ 95 दिन दूर था। पहले बजट के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ मनमुटाव के कारण शेट्टी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। शेट्टी के जाने के बाद के सी नियोगी ने 35 दिनों के लिए वित्त मंत्रालय की कमान संभाली।

28Jan-2017

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