शनिवार, 14 जनवरी 2017

देश का इतिहास बनेगी केन बेतवा परियोजना!


नदी जोड़ो अभियान में हरित पैनल ने भी दी मंजूरी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा नदियों को आपस में जोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की महत्वाकांक्षी ‘नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना’ को इतिहास के मुहाने पर पहुंचा दिया है। वन्य जीव बोर्ड के बाद हरित पैनल मंजूरी मिलने से अब मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लिए वरदान साबित होने वाली इस परियोजना को जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या की चुनौती से निपटने की दिशा में मोदी सरकार के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना के आड़े आ रही सभी अड़चने दूर हो गई हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी 9393 करोड़ रुपए की केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को ‘हरित पैनल’ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। हालांकि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस परियोजना की अंतिम मंजूरी बाकी है, जो आमतौर पर हरित पैनल की सिफारिशों पर अपनी मंजूरी देती है। वहीं वित्त मंत्रालय में एआईबीपी के तहत इसकी फंडिंग का अनुपात 60-40 निर्धारित करने पर अभी इस बात को लेकर यह जददोजहद चल रही है कि इस अनुपात को या तो 100 प्रतिशत किया जाए अन्यथा 90-10 प्रतिशत निर्धारित हो। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के वित्त पोषण के प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए उनका मंत्रालय नीति आयोग के साथ काम कर रहा है। वित्तीय मामले का जल्द ही समधान होने की उम्मीद जताते हुए उमा भारती ने कहा कि इसके बाद परियोजना के औपचारिक निर्माण कार्य को शुरू करा दिया जाएगा। सरकार ने इस ऐतिहासिक परियोजना को सात साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य तय करने पर विचार किया है।
बुंदेलखंड का वरदान होगी परियोजना
केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। मसलन मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा, जिन्हें पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी। मसलन इस परियोजना के दायरे में 13.42 लाख जनसंख्या को 49 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की उपलब्धता से लोगों की प्यास भी बुझेगी। मंत्रालय के अनुासर इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा व झांसी जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमत में वृद्धि होगी, जिसमें झांसी जिले की 6,35,661 हेक्टेयर कृषि भूमि भी शामिल है। मध्य प्रदेश के प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे, जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। वहीं परियोजना से प्रभावित क्षेत्र व परिवारों के पुनर्वास और आर्थिक रूप से बसाने जिसमें प्रशिक्षण और कालोनियों के लिए भूमि प्रदान के लिए 213.11 करोड़ रुपए की वित्तीय आवश्यता होगी।
लिंक नहर बनाने का प्रस्ताव
इस केन-बेतवा परियोजना के तहत लिंक नहर बनाई जाएगी, जिसमें दो किलोमीटर की सुरंग भी बनेगी। यह लिंक नहर मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से होगर गुजरेगी। इसमें छोड़े जाने वाले पानी के उपयोग के बाद भी केन नदी से बेतवा नदी को पानी देने का प्रस्ताव है। बरसात में केन नदी से आने वाले पानी को रोकने के लिए खजुराहो के निकट गंगऊ वियर से ढाई किलोमीटर दूर दौधन बांध बनेगा। 77 मीटर ऊंचे इस बांध की क्षमता 2953 मीट्रिक घन मीटर होगी। बांध पर 78 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाइयां भी स्थापित होंगी। इनमें एक उत्पादन इकाई बांध पर और दूसरी दो किलोमीटर दूर बनने वाली सुरंग के पास स्थापित होगी। यहां से आने वाला पानी बरुआसागर झील में मिलने के बाद बेतवा नदी में पहुंचेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा।
यहां से बहती हैं केन-बेतवा
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर कीे ओर बढ़Þने के बाद बांदा जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा नदी मध्यप्रदेश के राससेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर बहने के बाद उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है। इन दोनों की सहायक नदियों पर पहले से ही कई बांध बने हुए हैं।
14Jan-2017

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