सोमवार, 16 जनवरी 2017

देश को केंद्रीय बजट से राहत की उम्मीद!

हरेक क्षेत्र सुधारों के प्रावधान करेगी सरकार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद के एक फरवरी को पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट पर विपक्ष के विरोध के कारण भले ही संशय की स्थिति बनी हुई हो, लेकिन सरकार बजट के खाके को लगभग अंतिम रूप दे चुका है। ऐसे में नोटबंदी के दौर से गुजर रहे देश व जनता को मोदी सरकार के केंद्रीय बजट से राहत की उम्मीदें लगी हुई है। वहीं सरकार भी संकेत दे रही है कि हरेक क्षेत्र में सुधार की दिशा में सरकार बजट में प्रावधान लेकर आएगी।
केंद्र की मोदी सरकार के लिए आम बजट में देश में मध्यम वर्ग, नौकरी पेशा और गरीब तबके की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती है। वहीं देश का हर वर्ग भी इस बार के केंद्रीय बजट को लेकर उम्मीदों पर कायम है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में सुधार के साथ देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, कृषि में सुधार, गांवों और किसानों की हालत में सुधार पर फोकस करते हुए आम आदमी को राहतभरी सौगात देगी। इसका कारण नोटबंदी के बाद सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाकर संसाधन जुटाने का रास्ता चुना है। इस बार रेल बजट का समायोजन भी आम बजट में है, तो सरकार को इस क्षेत्र में भी आम जनता के ख्याल को रखना होगा, जिसकी उम्मीद भी है। आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ऐसा बजट लाने की तैयारी में है, जिससे सरकार और जनता दोनों को फायदा मिल सके, जिसमें जीएसटी की राह को आसान करना भी सरकार के लिए चुनौती है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने पिछले दिनों संकेत दिये थे कि सरकार को निचले दर के कराधान की जरूरत है, ताकि वह सेवाओं को अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें। इसके लिए कर चोरी को लेकर भी उन्होंने लोगों को आयकर छूट देने के संकेत देते हुए जिम्मेदार बनने की दलील दी थी।
आयकर छूट का ऐलान
केंद्र सरकार ने बजट-2017 में मौजूदा 2.50 लाख रुपये की आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 4 लाख रुपए करने के संकेत दिये है,जिसके कारण हर व्यक्ति को राहत मिल सकती है। पिछले दो साल से आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, लेकिन नोटबंदी के बाद सरकार इस बार आयकर स्लैब में परिवर्तन करके इसे सालाना चार लाख रुपये की आय को छूट के दायरे में ला सकती है। यह छूट आईटी की धारा 87ए के तहत बढ़ाई जा सकती है।
योजनागत आवंटन की चुनौती
भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश का माहौल बनाने व घरेलू मांग बढ़ाने के साथ ही आगामी बजट का फोकस गरीब और नौजवानों पर रहने की उम्मीद है, जिसके डिजीटल पेमेंट की ई-प्रणाली, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत और ग्रामीण आवास जैसे कार्यक्रमों के बजट में खासी वृद्धि हो सकती है। मोदी सरकार की स्टार्टअप्स विशेषकर ई-कामर्स कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्रालय आगामी बजट में उनके ब्रांड प्रमोशन के लिए कर लाभ देने पर ज्यादा जोर हो सकता है।
कैसे होंगे घर के सपने दूर
सरकार नोटबंदी के बाद संकेत दे चुकी है कि लोगों के घर बनाने के सपने पूरे हो सकेंगे। यानि होम लोन सस्ते होने की उम्मीदभरी नजर से भी लोग आने वाले केंद्रीय बजट को देख रहे हैं। उम्मीद है कि सरकार होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट को और बढ़ा सकती है। नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट बाजार में आई गिरावट को थामने और नई गति देने के लिए सरकार यह कदम उठा सकती है जिसका फायदा आम आदमी का भी मिलेगा। माना जा रहा है कि बजट में कुछ ऐसी सहमति बन सकती है जिसके चलते सालाना दो लाख रुपये से ज्यादा के ब्याज पर भुगतान में छूट दी जा सकती है।
चीनी क्षेत्र की उम्मीद
मोदी सरकार के इस बार पेश होने वाले बजट में उद्योग को भी काफी उम्मीदें हैं। दरअसल नोटबंदी से इन उद्योगों पर शॉर्ट टर्म असर तो पड़ा तो है, लेकिन इस झटके से उबरने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि आने वाले समय में सुधार की उम्मीद है बेशर्ते सरकार बजट में उन्हें कुछ राहत देने का ऐलान करे। गौरतलब है कि पिछले 4-5 साल से चीनी उद्योग मुश्किल में है, जिन पर किसानों के गन्ने का बकाया भी बढ़ता जा रहा है। हालांकि सरकार की नीति से इस बकाया में कमी आ रही है। फिर भी चीनी उद्योग को वित्तमंत्री से इस बजट में सस्ते कर्ज और वर्तमान कर्ज की री-स्ट्रक्चरिंग की उम्मीद है।
हेल्थ केयर सेक्टर की उम्मीदें?
देश के हेल्थ केयर सेक्टर को इस बार के बजट में काफी उम्मीदें हैं, हेल्थ केयर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि देश में उनका सिर्फ 20 फीसदी लोगों को हेल्थ इंश्योरेंश की सुविधा है। यानि देश में 80 फीसदी से ज्यादा लोगों के कोई हेल्थ इंश्योरेंस सुविधा नहीं है। हेल्थ इंश्योरेंस सुविधा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे टैक्स फ्री करना होगा।
प्रिंट मीडिया में विदेशी निवेश
सरकार प्रिंट मीडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश आकषिर्त करने के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है। पिछले साल सरकार ने कई क्षेत्रों मसलन नागर विमानन, रक्षा, निजी सुरक्षा एजेंसियों, फार्मास्युटिकल्स तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में एफडीआई नियमों में ढील दी थी।
16Jan-2017

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