शनिवार, 14 जनवरी 2017

‘जन क्रांति’ से आएगी देश में ‘जल क्रांति’

जल मंथन में उमा भारती ने की जनभागीदारी की अपील
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
देश में जल संबन्धी समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने जल प्रबंधन क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर राज्यों और हितधारकों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया। ‘जल मंथन’ नाम से एक राष्टÑीय सम्मेलन में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि ‘जल क्रांति’ को ‘जन क्रांति’ बनाकर ही जल संबन्धी समस्याओं का समाधान संभव है।
यहां विज्ञान भवन में शुक्रवार को आयोजित ‘जल मंथन’ नाम से एक राष्टÑीय सम्मेलन में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने ‘जल क्रांति’ को ‘जन क्रांति’ बनाने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा कि पानी बचाने की जिम्मेदारी अकेले सरकारी तंत्र की नही, बल्कि इस कार्य के लिए जन भागीदारी बहुत जरूरी है। वहीं उनहोंने गैर सरकारी संगठनों के सहयोग की भी जरूरत बताते हुए जल को बचाने के लिए नवाचारों का जिक्र किया और कहा कि उनका मंत्रालय जल के प्रयोग एवं गंगा संरक्षण पर नया कानून लाने पर विचार कर रहा है।
टेन टॉप में शामिल होगी गंगा
गंगा संरक्षण पर हुए कार्यों की चर्चा करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि इस पर तेजी से कार्य चल रहा है और जो गंगा विश्व की दस सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल होती थी वह आने वाले समय में निश्चित ही दुनिया की 10 स्वच्छ नदियों में शामिल होगी। जल संसाधन प्रबंधन के विभिन्न विषयों की चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ‘जल उपभोक्ता संगठन’ कई राज्यों में ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
संसद में भी उठा मुद्दा
सुश्री उमा भारती ने कहा कि जल को समवर्ती सूची का विषय बनाये जाने का मुद्दा राज्यसभा और लोकसभा में उठा है, जिसमें जल को समवर्ती सूची में लाने की मांग की गई है। इस विषय पर राज्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं। क्या संविधान की मयार्दाओं के अंतर्गत इस का कोई निदान निकाला जा सकता है? इस पर विचार चल रहा है।
दूषित जल प्रबंधन जरूरी
सम्मेलन में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने दूषित जल प्रबंधन पर और अधिक ध्यान देने का आव्हान किया। उन्होंनें कहा कि हमारे देश में बड़ी संख्या में जल का दुरूपयोग हो रहा है यदि इसका समुचित प्रबंधन कर लिया जाए तो इस बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सकता है। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण समय की मांग है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि जल के जो प्राकृतिक संसाधन हमें अतीत में मिले हैं वह भविष्य में भी उपलब्ध हों।
जल संरक्षण का महत्व
मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि हमें जल के प्रयोग की जिम्मेदारी तय करनी होगी ताकि इसका दुरूपयोग रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए जल संरक्षण के महत्व को समझने की संस्कृति विकसित करनी होगी। इस सम्मेलन में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के सिंचाई/जल संसाधन मंत्री, जल प्रबंधन क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और केंद्र एवं राज्य सरकारों के सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत 500 से जयादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
14Jan-2017

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