शनिवार, 28 जनवरी 2017

सरकार ऐसे करेगी बांधो की सुरक्षा!

सीडब्ल्यूसी को मिला दो प्रमुख संस्थानों का साथ
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार नदियों से जुड़े मुद्दों के साथ देशभर के बांधों परियोजनाओं के खतरों की आशंकाओं से निपटने की दिशा में केंद्रीय जल आयोग ने देश के प्रमुख दो संस्थानों के साथ ऐसा करार किया है, जिससे बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।
देश सभी राज्यों में बदहाल स्थिति में मौजूद कई विशाल बांधों के पुनर्वास की समय से आवश्यकता पूरी करने की दिशा में विविध मंचों पर चिंता जाहिर की जाती रही है, ताकि उनकी सुरक्षा और प्रचालन संबंधी दक्षता सुनिश्चित की जा सके। इसलिए देश में बांधों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मोदी सरकार ने बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना (डीआरआईपी) की शुरूआत की है। यह परियोजना विश्व बैंक से प्राप्त ऋण सहायता के साथ सात राज्यों में लगभग 250 बांधों की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रारंभ की गई है। हालांकि छह वर्षीय डीआरआईपी परियोजना अप्रैल 2012 में प्रारम्भ हो चुकी थी। इसे आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) योजना के तहत इस तरह के बांधों को पुनर्वास के लिए तकनीकी सहायता लेने के लिए देश के चुनिंदा संस्थानों का बांध सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता संवर्धन किया था, ताकि वे बांध सुरक्षा से संबंधित प्रशिक्षण एवं सलाहकार सेवाएं उपलबध करा सकें। इसी योजना के तहत शुक्रवार को केंद्रीय जल आयोग ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास एवं भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू के साथ करार किया है।
मददगार साबित होंगे संस्थान
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधीन केंद्रीय जल आयोग द्वारा करार के तहत इन दोनों संस्थानों के साथ मिलकर देश के बांधों की सुरक्षा और अधिक उन्नत बनाने की योजना को आगे बढ़ाएगा। इस करार के तहत आयोग को उन्नत एवं विशेष उपकरण एवं सॉμटवेयर की खरीद में मदद मिलेगी, जो बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजनाओं के लिए मददगार साबित होगा। मंत्रालय का मानना है कि विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना में इन चुनिंदा शैक्षिणक एवं शोध संस्थानों का चयन करने से देश के बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयोगशालाओं के सुदृढ़िकरण और उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता में वृद्धि को मदद मिलेगी। इससे बांध सुरक्षा की चिंताओं से इन संस्थाओं के विशेषज्ञों को मौके पर परिचित कराने का अवसर भी प्राप्त होगा।
खस्ताहाल 80 फीसदी बांध
सूत्रों के अनुसार देश में करीब 4900 विशाल बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल से भी ज्यादा पुराने होने के कारण उनसे बाढ़ और भूकंप जैसी आपदा के खतरे की आशंकाएं बनी रहती है। दरअसल पुराने बांधों का निर्माण बाढ़ और भूकम्प के कुछ तय मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। इसलिए सरकार ने इन बांधों को सुरक्षा के लिहाज से मजबूत करने का फैसला किया है। वहीं सरकार ने पाया कि पुराने समय में प्रचलित डिजाइन की कार्यप्रणालियां और सुरक्षा की स्थितियां भी डिजाइन के वर्तमान मानकों और सुरक्षा मानदंडों से मेल नहीं खा रही हैं। बांधों के आकलन और सर्वे के तहत नींव की अभियांत्रिकी संबंधी सामग्री अथवा बांधों का निर्माण करने के लिए उपयोग में लायी गयी सामग्री भी समय के साथ नष्ट होने की संभावना बनी हुई है।
निरंतर होता रहा मंथन
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती की पहल पर देश में जारी बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना यानि डीआरआईपी को लेकर पिछले साल भी एक कार्यशाला आयोजित की थी। वहीं अन्य मंचों पर भी बांध परियोजनाओं की सुरक्षा को लेकर हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा होती रही है।
28Jan-2017

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