राज्यसभा: 64 में से मात्र 30 नये सांसदों ने ही प्रशिक्षण में लिया हिस्सा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।

दरअसल, संसद के ब्यूरो आॅफ
पार्लियामेंट्री स्टडीज एवं ट्रेनिंग डिपार्टमेंट द्वारा लोकसभा और
राज्यसभा के ऐसे सांसदों को संसद में उनकी अलग-अलग भूमिकाओं के साथ ही
संसदीय परिपाटी और नियमों के बारे में प्रशिक्षण देता आ रहा है। इसी परंपरा
के तहत इस साल पहली बार राज्यसभा में नवनिर्वाचित एवं मनोनीत होकर आये ऐसे
सांसद जो पहली बार संसद पहुंचे हैं को ऐसे ही प्रशिक्षण के रूप में कल
शनिवार को संसदीय सौंध में एक दो दिवसीय बोध कार्यक्रम यानि ओरियंटेशन
प्रोग्राम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में उच्च सदन के 64 नये सांसदों को
प्रशिक्षण के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इसके बावजूद पहले दिन 30
सांसदों ने हिस्सा लिया, जबकि दूसरे दिन आज रविवार को दो और नये सदस्य आये,
लेकिन पहले दिन हिस्सा लेने वालों में से सात नदारद रहे। जबकि इस
कार्यक्रम में पहले दिन खुद राज्यसभा के सभापति ने तार-तार होती संसदीय
मर्यादा का जिक्र करते हुए कई सदन में हंगामे और बैठकों की कम होती संख्या
पर चिंता जताते हुए सांसदों से अपने कर्तव्य और भूमिका का निर्वहन करने का
आव्हान किया था। आधे से भी ज्यादा सदस्यों द्वारा इस कार्यक्रम को नजरअंदाज
करने वाले सांसदों के बारे में राजनीतिकारों का मानना है कि शायद सांसदों
को संसदीय प्रणाली या प्रक्रिया को जानने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है।
कौन देता है संसदीय ज्ञान
राज्यसभा
सचिवालय के एक अधिकार का कहना है कि संसद की गरिमा को बनाये रखने के लिये
सदन के सदस्य के रूप में हर जनप्रतिनिधि को संसद के सभी कायदे-कानूनों का
ज्ञान जरूरी है। इसलिये संसद में ऐसे नये सांसदों को एक प्रशिक्षण के रूप
में सभापति, उप सभापति, राज्यसभा महासचिव और वरिष्ठतम सांसद, संविधान
विशेषज्ञ संसदीय परंपराओं और नियम-कायदों का विस्तार से ज्ञान बोध कराते
हैं। ऐसे संसदीय ज्ञान नए सांसदों को प्रभावशाली जनप्रतिनिध बनाने की दिशा
में सदन के भीतर उनका आचरण कैसा होना चाहिए, संसदीय भाषाओं में एक सांसद का
कैसा व्यवहार होना चाहिए जैसी जानकारी दी जाती है। वहीं सांसद की भूमिका
और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में योगदान, सदस्य की सुविधाएं और
विशेषाधिकार, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना, कानून बनाने की
प्रक्रिया, समिति प्रणाली, राजनीति में आचार संहिता जैसे विषयों के के
अलावा नए सदस्यों को प्रश्नकाल,शून्यकाल, चर्चा या वाद-विवाद, विधेयकों,
संसदीय समितियों, सांसद निधि और उसके विभिन्न योजनाओं में उपयोग, सदस्यों
को दी जाने वाली सुख-सुविधाओं की क्या प्रक्रिया से भी अवगत कराया जाता है।
वहीं सदन की कार्यवाही के दौरान मुद्दे उठाने के नियम और प्रक्रिया के साथ
प्रश्नकाल, वाद-विवाद में हिस्सा लेने के नियमों की जानकारी तक दी जाती
है।
राज्यसभा के
बोध कार्यक्रम में हिस्सा न लेने वाले माननीयों में केंद्रीय मंत्रिमंडल
के सदस्यों मनोहर पार्रिकर, सुरेश प्रभु, एमजे अकबर के अलावा पी. चिदंबरम,
बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमण, भारतीय महिला मुक्केबाज मैरीकॉम, मीसा
भारती, डोला सेन, रानी नराह,रिपुन बोरा, प्रताप सिंह बाजवा, स्वपन
दासगुप्ता आदि प्रमुख नाम हैं।
इन्होंने पढ़ा संसदीय पाठ
उच्च
सदन के नये सदस्यों में संसदीय प्रणाली को समझने के लिये गंभीर नजर आये
नये सांसदों में डा. विकास महात्मे, डा. विनय पी.सहस्राबुद्धे, शिव प्रताप
शुक्ल, राम विचार नेताम, छाया वर्मा, बिष्णु चरण दास, श्वाति मलिक, डा.
चन्द्रपाल सिंह यादव, विवेक तन्खा, केजी केन्ये, सुरेश गोपी, टीजी वेंकटेश,
वी. विजय रेड्डी, प्रसन्ना आचार्य, रामकुमार वर्मा, प्रदीप टमटा, गोपाल
नारायण सिंह,महेश पोद्दार व हर्षवर्धन प्रमुख रूप से शामिल रहे।
आॅनलाइन होंगी 130 समितियां
राज्यसभा
सचिवालय ने 130 संसदीय समितियों और बोर्डो को सार्वजनिक करने के लिये
आॅनलाइन करने का ऐलान किया है। यह जानकारी बोध कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा
के महासचिव शमशेर के. शरीफ ने नये सांसदों द्वारा जानकारी मांगे जाने पर
दी है। इससे पहले वरिष्ठ सांसद भूपेन्द्र यादव ने संसदीय समितियों के महत्व
और उनमें सदस्यों की भूमिका की विस्तार से कार्यक्रम में जानकारी मुहैया
कराई।
01Aug-2016
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