मंगलवार, 5 जुलाई 2016

सड़कों का सुरक्षित बुनियादी ढांचा


 
आजाद भारत के विकास का इतिहास  ओमप्रकाश पाल
देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार ने सड़कों का जाल बिछाकर दूर-दराज के इलाकों को सड़क संपर्क मार्ग से जोड़कर विकास को बढ़ावा देने के संकल्प को सड़क परियोजनाओं ने सिरे चढ़ाया है। मसलन देश में पिछले दो सालों में राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय और अन्य मार्गो का विस्तार हुआ है उतना इस आजाद भारत में अब तक कभ्‍ाी नहीं हुआ। फिलहाल देश में चल रही सड़क परियोजनाओं में देश की सीमाओं को सागरमाला जैसी परियोजनाओं के जरिए नेशनल हाइवे से जोड़ा जा रहा है। केंद्र सरकार ने देश में दो साल पहले करीब 96 हजार किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को दो लाख किमी करने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें डेढ़ लाख से ज्यादा तक विस्तार कर लिया गया है। मोदी सरकार की सड़क परियोजनाएं इतनी तेजी से चल रही है कि इन दो साल के अंतराल में दो किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण को 26 किमी तक पहुंचा दिया गया है और अगले साल सरकार का लक्ष्य 41 किमी लंबी सड़क प्रतिदिन बनाने का लक्ष्य है।
दो साल में ऐसे फैला सड़को का जाल
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी पिछले दिनो देश में तेजी से बढ़ती सड़क परियोजनाओं का जिक्र करके बुनियादी ढांचे के विकास पर संतुष्टी जाहिर करते नजर आए, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई मौको पर कह चुके हैं कि देश के विकास एजेंडे को सड़कों के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने से ही साकार किया जा सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की दो साल की जारी उपलब्धियों पर नजर डाली जाये तो जब मोदी सरकार ने देश की सत्ता संभाली थी तो देश में राष्ट्रीय राजमार्गो और एक्सप्रेस-वे की लंबाई 92851 किमी थी, जिसमें इन दो सालों में कराये गये 7624 किमी निर्माण के बाद यह लंबाई एक लाख 475 किमी पहुंच गई है। सड़क निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करते हुए मोदी सरकार द्वारा इन दो सालों में सड़क निर्माण परियोजनाओं के जरिए राज्य राजमार्गो लंबाई 1.48 लाख 256 किमी तथा अन्य सड़कों की लंबाई 49.83 लाख 579 किमी तक कर दी गई है। खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया कि सड़क क्षेत्र में तीन लाख करोड़ रुपये निवेश किया जा चुका है और अगले साल पांच लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।
बुनियादी ढांचे पर भारी भरकम बजट
देश में विकास के एजेंडे में सड़क और रेलवे परियोजनाओं के जरिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार इतनी गंभीर नजर आ रही है कि सड़क और रेलवे परियोजनाओं सहित अन्य ढांचागत योजनाओं के लिये वर्ष 2016-17 के लिए 2.21 लाख करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया है। सरकार ने बजट में दस हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्ग और 50 हजार किमी राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का भी बजट तय किया है। खासबात है कि इस कुल बजट में 2.18 लाख करोड़ रुपये का बजट केवल सड़क एवं रेलवे परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए किया गया है। सड़क क्षेत्र के बजटीय प्रावधान में 97 हजार करोड़ का बजटीय प्रावधान में से 55 हजार करोड़ रुपये से दस हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने के अलावा विभिन्‍न राज्यों में 50 हजार किमी राजमार्गो को राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 15 हजार करोड़ रुपये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकार यानि एनएचएआई कर मुक्त बांड जुटाएगा। जबकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये 27 हजार करोड़ रुपए का आवंटन भी सड़क क्षेत्र के बजट में शामिल है। बजट में इस बात का भी दावा किया गया है कि देश में अटकी हुई 70 सड़क परियोजनाओं में से 85 प्रतिशत को पटरी पर लाया जा चुका है और इन परियोजनाओं में 8 हजार किलोमीटर से अधिक की सड़क परियोजनाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपए तक का निवेश किया जाएगा। सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में नये बंदरगाह विकसित करने की दिशा में राष्ट्रीय जलमार्गों पर काम तेज करने के लिये 800 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया है। जबकि बंदरगाह क्षेत्र को बढ़ावा देने के वास्ते सागरमाला परियोजना के लिए आठ हजार करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं। वहीं ऐसे क्षेत्रों में जहां हवाई पट्टियां नहीं हैं अथवा उनका कम इस्तेमाल होता है, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण उनका पुनरुद्धार करने का फैसला किया है। जबकि रेलवे के लिये पहले ही 1.21 लाख करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय प्रस्तावित किया जा चुका है।
सड़क हादसों पर खास योजना 
केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पहले ही एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मंजूरी देकर जागरूकता बढ़ाने, सड़क सुरक्षा सूचना डाटाबेस की स्थापना करने, बुद्धिमत्तापूर्ण परिवहन लागू करने, सुरक्षा कानूनों को क्रियान्वित करने जैसे सुरक्षित सड़क बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर काम शुरू कर दिया है। हालांकि इन प्रयासों के बावजूद सड़क हादसों में बढ़ोतरी से चिंतित सरकार ने खास कदम उढाते हुए  ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना’ तैयार की है, जिसके लिए दो हजार करोड़ रुपये का बजट तय कर लिया है। इस योजना को जल्द ही पटरी पर उतारकर पहले हाइवे के खतरनाक 726 जगहों के चिन्हित किये गये खराब डिजाइन और रोड़ इंजीनियरिंग को दुरस्त करने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्रालय का कहना है कि यह खास योजना सरकार की नेशनलन एक्शन प्लान के अनुसार होगी, जिसमें वर्ष 2020 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम से कम 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य तय किया गया है। देश की सड़को पर बढ़ते हादसों से हलकान केंद्र सरकार ने सड़क परियोजनाओं और परिवहन व्यवस्था को सुरक्षित बनाने की दिशा में राष्ट्रीय राजमार्गो पर इस हादसों का बड़ा कारण माने जा रहे ट्रक एवं डंपर जैसे मालवाहक वाहनों को देश में अलग से सड़क मार्ग यानि कॉरिडोर बनाने की योजना शुरू करने की तैयारी के तहत टीसीआई की रिपोर्ट में 28 नए सड़क मार्ग बनाने के प्रस्ताव का अध्ययन कराना शुरू कर दिया है।
पहाड़ी इलाकों पर खास फोकस
मंत्रालय के अनुसार पीएम मोदी की इस खास योजना में पहाड़ी इलाकों पर खास फोकस करते हुए योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है, जहां आये दिन वाहनों के खाई में गिरने से लोगों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ रही है। इसके लिए पहाड़ी इलाकों में जहां-जहां खाई होगी, वहां सड़क के किनारे मजबूत आधार बनाते हुए रेलिंग लगाने की योजना है। पहाड़ी इलाकों में ऐसी जगहों छंटनी कर ली गई है, जहां ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं और खाई में वाहनों के गिरने की दर्दनाक घटनाएं होती हैं। सरकार पहाड़ी इलाकों की सड़को को सुरक्षित करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी की मदद से स्पेशल रिफ्लेक्टर्स बनाने का भी निर्णय लिया है। इस योजना में पुराने रिफ्लेक्टर्स को भी नये और कारगर डिजाइन लाने की योजना है।
सिग्नल फ्री होंगे हाइवे
सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गो को सिग्नल फ्री बनाने की दिशा में पिछले दो सालों से लंबित 350 रेल ओवर ब्रिज या अंडरपास बनाने की परियोजनाएं शुरु कर दी गई है। इस क्रांतिकारी बदलाव को देखते हुए अब देश में यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने देश में 25 लाख करोड़ के बुनियादी ढांचे को खड़ा करने के लिए नये लक्ष्य में रोडमैप तैयार कर लिया है। राष्ट्रीय राजमार्गो के अलावा देश में राज्य राजमार्गो समेत मौजूदा 52 लाख सड़कों को सुरक्षा के लिहाज से भी नई तकनीकियों को इस्तेमाल करने का फैसला किया गया है। सरकार ने देश में 25 लाख करोड़ के बुनियादी ढांचे को खड़ा करने हेतु रोडमैप तैयार कर लिया है।
रड़ार पर 109 हाईवे प्रोजेक्ट
मंत्रालय के अनुसार हाल ही मे सुरक्षा मानकों के आधार पर सरकार ने देश के 13 राज्यों में 109 सड़क परियोजनाओं के जरिए 7148 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे के निर्माण को हरी झंडी दी है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों को प्राथमिकता दी गई है। मसलन अरुणाचल प्रदेश में 23 परियोजनाओं के तहत 907 किमी, असम की 18 परियोजनाओं में 438 किमी, मणिपुर में 11 परियोजनाओं के तहत 1031 किमी, मेघालय की नौ परियोजनाओं में 665 किमी, नागालैंड में चार परियोजना के तहत 293 किमी, सिक्किम की आठ परियोजना में 564 किमी, त्रिपुरा की सात परियोजना में 688 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होना है। इन परियोजनाओं में पश्चिम बंगाल 433 किमी, उत्तराखंड में 884 किमी, हिमाचल प्रदेश में 320 किमी, जम्मू-कश्मीर में 544 किमी के अलावा अंडमान निकोबार में भी दो किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा।
ई-टोल प्लाजा योजना पूरी
केंद्र सरकार की योजना के तहत एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवाजाही करने वालों के लिए सुरक्षित, सुचारू एवं निर्बाध सफर सुनिश्चित करने हेतु फास्टैग के जरिए सड़क के सुगम सफर के सपने को साकार करने की दिशा में यह कदम उठाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचआईए के इस महत्वपूर्ण फैसले के तहत आगामी 20 जून से दिल्ली-मुंबई और मुंबई-चेन्नई कॉरिडोर पर स्थित 48 टोल प्लाजा पर एक समर्पित ‘फास्टैग’ लेन सुनिश्चित हो जाएगी। यानि एक बारगी लागत पर ‘फास्टैग’ हासिल करने वाले वाहनों को टोल प्लाजाओं पर लंबी कतारों से होकर न गुजरना पड़े। एनएचईआई ने देशभर में स्थित 325 टोल नाको को ई-टोल प्लाजाओं में तब्दील किया है, जहां नकद रहित भुगतान की व्यवस्था (फास्टैग) शुरू करके टोल प्लाजा के जरिये वाहनों की बगैर रुके आवाजाही संभव किया गया है। फास्टैग के जरिये राष्ट्रव्यापी अंतर प्रचालनीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह सेवाओं के साथ टोल शुल्क के नकद रहित भुगतान की सुविधा को बढ़ावा दिया गया।
बसों में अलर्ट बटन, जीपीएस व सीसीटीवी कैमरा
देश में सड़क हादसों के अलावा बसों में यात्रियों को सहूलियते देने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके 23 सीटर और उससे ज्यादा सवारियों की क्षमता वाली बसों में अलर्ट बटन, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे लगाना जरूरी कर दिया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय मंत्रालय द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से तैयार की गई योजना के अनुसार 23 सीटर और उससे ज्यादा सवारियों की क्षमता वाली बसों में अब जीपीएस, अलर्ट बटन और सीसीटीवी कैमरा जरूरी होगा, जबकि 23 से कम सवारियों की क्षमता वाली गाड़ियों में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम और इमरजेंसी बटन जरूरी होगा।
प्रदूषण की चुनौती से निपटने की तैयारी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की हरित राजमार्ग नीति का मकसद राष्ट्रीय राजमार्गो एवं अन्य सड़कों को हराभरा बनाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक र्इंधन से जोड़ने की योजना है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन की योजना को गति देने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अगुआई में एक कार्यसमूह पहले ही गठित हो चुका है, जिसमें तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शामिल हैं। इस समूह की एक सप्ताह के भीतर होने वाली बैठक में देश को 2030 तक शतप्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों वाला बनाने पर मंथन किया जाएगा, जिसमें समूह बड़े पैमाने पर योजना बनाने पर विचार करके ऐसा खाका तैयार करने की तैयारी में ताकि दुनिया के पीछे चलने के बजाय इस मेगा योजना में भारत अगुआई करने वाला देश साबित हो सके। इस योजना से आगामी वर्ष 2030 तक भारत 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों वाला दुनिया का पहला देश बनने का दर्जा हासिल कर सकता है। मसलन अगले 15 साल के भीतर भारत ऐसा देश बन जाएगा, जहां केवल बैटरी चालित वाहन चलते नजर आएंगे।
वाहनों के सुरक्षा मानको पर नजर
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्र सरकार उन कार मॉडल को भी स्टार सर्टीफिकेशन देने का निर्णय ले चुकी है, जो सुरक्षा मानकों को पूरा करेगी। इसके लिए भारत नेशनल कार एसेसमेंट प्रोग्राम नामक एक खास एजेंसी का इजाद किया गया है, जो भारत में बेचे जाने वाले वाहनों के सुरक्षा मानकों पर नजर रखने के बाद उन्हें सर्टिफिकेट जारी करेगी। इसमें सरकार दो पहिया वाहनों के निर्माण में भी सुरक्षा मानकों की सीमा तय करने की योजना बना रही है, जो ज्यादातर हो रहे सड़क हादसों का कारण बने हुए हैं। इसके लिए मंत्रालय ने कुछ नियम भी जारी कर दिये हैं, जिनके अनुसार कारों के अलावा स्कूटर और मोटरसाइकिल में दिन में जलने वाली आॅटोमैटिक लाइट पर अंकुश लगाने का प्रयास है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर इस तकनीकी नियमों को भारी कॉमर्शियल वाहनों यानी बस व ट्रक चलाने वालों के लिए अनिवार्य करने पर सुझाव मांगे हैं। 
नए कानून में वैश्विक प्रणाली पर जोर
केंद्र सरकार नये सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक को संसद के बजट सत्र के दौरान ही पारित कराने का प्रयास कर रही है। मोदी सरकार का इस विधेयक के जरिए देश की परिवहन प्रणाली को सुरक्षित और वैश्विक स्तर के मानकों की तर्ज पर लागू करना चाहती है। इस नये विधेयक के बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी कह चुके हैं कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौतो को रोकने के उपाय इसी विधेयक के जरिए संभव है। सरकार का मानना है कि इस विधेयक के जरिए देश में यात्रियों की आवाजाही और मालढुलाई को सुरक्षित, तीव्र, किफायती और समावेशी बनाने का मकसद है। वहीं इस विधेयक का का उद्देश्य सड़कों से उत्पन्न स्वास्थ्य के खतरे की रोकथाम करना और प्रभावकारी सड़क सुरक्षा समयानुसार सुनिश्चित करना है। सरकार को पूरा भरोसा है कि इस नये विधेयक में निर्माण, डिजाइन, रख-रखाव तथा मोटरवाहनों के इस्तेमाल में भी  सुरक्षा के प्रावधान को प्राथमिकता दी गई है। मसलन सरकार के नए सड़क परिवहन एवं सुरक्षित विधेयक में नियमों को इतना सख्त किया जा रहा कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माने और उनकी निगरानी जैसे कई ऐसे प्रावधान शामिल किये गये हैं कि सड़कों पर होने वाली घटनाओं और अपराधों पर अंकुश लग सकेगा।
आबाद होंगे सीमावर्ती इलाके
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अटल बिहारी वाजपेयी की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की तर्ज पर मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला’ योजना के जरिए देश के पूरब से पश्चिम तक के सीमावर्ती इलाकों में 14 हजार करोड़ रुपये की योजना को अंतिम रूप दिया गया है। इस योजना में बनाई जाने वाली सड़कों को महाराष्ट्र से पश्चिम बंगाल तक तटीय राज्यों को जोड़कर एक विशाल सड़क नेटवर्क तैयार किया जाएगा। वहीं देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी एक पृथक रिलीजियस सर्किट बनाने की योजना पर काम हो रहा है। ताकि धार्मिक व पर्यटन स्थलों को भी राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जोड़ा जा सके।
यह भी होगा लक्ष्य
सरकार ने बजट मेें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, विशेष एक्सीलरेटेड सड़क विकास कार्यक्रम, नक्सली क्षेत्र में सड़क के लिए राशि भी शामिल है। सड़क निर्माण में सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण, सुरक्षा और संरक्षा या नक्सल जैसी बाधाओं को दूर करने के भी उपाय कर लिये हैं और उम्मीद है कि देश में सड़क निर्माण और हर गांव को संपर्क मार्ग से जोड़ने के लक्ष्य को सरकार चरणबद्धता और समयबद्धता के सिद्धांत पर पूरा कर लेगी।
05July-2016


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