मंगलवार, 26 जुलाई 2016

आखिर कैम्पा बिल पर क्यों पलटी कांग्रेस!

आंध्र के बहाने राज्यसभा में अटकाया विधेयक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
संसद के मानसून सत्र में पिछले सप्ताह ही देश के जंगलो और वन्यजीवों का बचाने वाले वन अधिकार कानून बनाने वाले कैम्पा बिल को पारित कराने की सहमति बन गई थी, लेकिन सोमवार को आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने संबन्धी एक निजी विधेयक के बहाने अचानक सरकार और कांग्रेस के बीच तकरार ने इतना तूल पकड़ा कि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया और यह विधेयक अधर में लटक गया।
सरकार और कांग्रेस समेत विपक्ष में बनी सहमति के मुताबिक सोमवार को भोजनावकाश के बाद जैसे ही दो बजे उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ हुई और उपसभापति प्रो.पीजे कुरियन ने लोकसभा से पारित हो चुके प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि विधेयक यानि कैम्पा बिल पेश कराने का प्रयास किया तो कांग्रेस के आनंद शर्मा ने सरकार पर शुक्रवार को जानबूझकर सरकार पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसमें निजी विधेयक पेश नहीं किये जा सके, जिनमें एक आंध्र प्रदेश के पैकेज से संबन्धित था। कांग्रेस ने कैम्पा बिल से पहले इस विधेयक को लेने पर जोर देते हुए हंगामा कर दिया। हालांकि इसके पलटवार में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों के हित में कैम्पा बिल के प्रति गंभीर नहीं है और इसे जानबूझकर रोक रही है। जबकि इस विधेयक को सोमवार में पेश करने पर सहमति बन चुकी थी, इस सहमति की पुष्टिकरते हुए खुद उपसभापति कुरियन ने भी सदन में स्पष्ट किया।
आदिवासियों की गुनाहगार कांग्रेस
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने उच्च सदन में कैम्पा बिल को रोक कर ऐसा पाप किया है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को दिए जाने वाले 2023 करोड़ रुपये समेत देश के अन्य राज्यों को मिलने वाली 42 हजार करोड़ रुपये की राशि को भी अधर में लटका दिया है। नकवी का कहना है कि संसद में पिछले कई सत्रों से कांग्रेस किसी न किसी बहाने से महत्वपूर्ण विधेयकों को रोक कर दलितों-कमजोर तबकों, आदिवासियों की तरक्की में बाधा पैदा करने का गुनाह कर रही है। जबकि सरकार इनके हितों में कैम्पा बिल को राज्यसभा में भी जल्द से जल्द पारित कराना चाहती है।
आंध्र प्रदेश के बिल की जिद
दरअसल शुक्रवार को सांसदों के निजी विधेयकों का दिन होता है जिसमें पिछले सप्ताह शुक्रवार को निजी विधेयकों में कांग्रेस के डा.केवीपी रामचन्द्र राव द्वारा बजट सत्र में 11 मार्च को पेश किये गये आंध्र प्रदेश पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर विचार होना था,लेकिन गत शुक्रवार को दलित मुद्दे पर हंगामे के कारण निजी विधेयकों को नहीं लिया जा सका था। आंध्र प्रदेश से जुड़े इसी निजी विधेयक को पारित कराने की जिद पर अड़ी कांग्रेस ने हंगामा शुरू करके कैम्पा बिल को अधर में लटका दिया। जबकि उपसभापति ने इस विधेयक को इस सप्ताह शुक्रवार को लेने की भी बात कही, लेकिन कांग्रेस कैम्पा बिल से पहले इस विधेयक को लेने की जिद पर अड़ी रही, जिसके लिये विपक्षी दल नियम 24 का हवाला देकर निजी विधेयक को लेने के लिये पीठ पर सदन के नेता से विमर्श करने का दबाव देते रहे, लेकिन पीठ का कहना था कि एक बिल के लिये नहीं फिर तो पिछले शुक्रवार के सभी बिलों पर बात होनी चाहिए।
सरकार की यह रही नीति
संसदीय कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के अनुसार यदि संसद में कैम्पा बिल पास हो जाता, तो विभिन्न राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा तत्काल 42 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जारी हो सकती है, ताकि वनीकरण के काम को युद्ध स्तर पर राज्यों द्वारा शुरू किया जा सके। इसका कारण स्पष्ट करते हुए कहा गया कि चूंकि मानसून का समय है, युद्ध स्तर पर वनीकरण का काम महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार कई उड़ीसा को 5996 करोड़, उत्तर प्रदेश को 1314 करोड़, उत्तराखंड को 2210 करोड़, हिमाचल प्रदेश को 1395 करोड़ और जम्मू-कश्मीर को 926 करोड़ रुपये मिल सकते थे। यही नहीं अन्य राज्यों को इसी प्रकार केंद्र द्वारा बिल पास होते ही तत्काल पैसे दिए जा सकते थे। लेकिन कांग्रेस ने ऐन मौके पर पलटी मारकर देश में सुधार-विकास से जुड़े हुए कार्यों पर इस प्रकार का नकारात्मक रुख उजागर कर दिया, जिसके कारण यह विधेयक लटक गया।
क्या है कैम्पा बिल
कंपेसट्री अμफारेस्टेशन फण्ड बिल यानि कैम्पा बिल के इस प्रस्तावित कानून का मकसद है कि उद्योग और कारखानों के लिये काटे गये जंगलों के बदले नये पेड़ लगाना और कमजोर जंगलों को घना और स्वस्थ बनाना। कंपनियां वन भूमि के इस्तेमाल के बदले मुआवजे के तौर पर कंपनेसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड में पैसा जमा करती हैं जिसके लिये प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण बनाया जाना है। कानून के तहत सरकार कैम्पा को संवैधानिक दर्जा देगी, जो फंड के इस्तेमाल का काम देखेगी। सीएएफ फंड का 90 प्रतिशत राज्यों को और 10 प्रतिशत केंद्र के पास रहेगा। फंड का इस्तेमाल नये जंगल लगाने और वन्य जीवों को बसाने, फॉरेस्ट इकोसिस्टम को सुधारने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिये होगा।
26July-2016


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