बुधवार, 20 जुलाई 2016

माननीयों को भी चाहिए जल्द दोगुना वेतन!

सरकार की तैयारी के बावजूद संसद में उठाई मांग
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने के बाद संसद सदस्यों को भी दोगुना वेतन होने वाली संसदीय समिति की सिफारिश याद आने लगी, जिसमें वेतन और भत्तों में दोगुना इजाफा करने की सिफारिश की गई थी। इसके लिये सांसदों ने राज्यसभा में जोरदार तरीके से मामला उठाते हुए संसदीय समिति की सिफारिशों को जल्द लागू करने की मांग की गई है।
मोदी सरकार ने उसी तरह संसद के दोनों सदनों के सांसदों को वेतन में बढ़ोतरी की सौगात देने की तैयारी शुरू कर दी है, जिस प्रकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर करके देश के करीब एक करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों को तोहफा दिया है। सरकार की इस कवायद के बीच ही मंगलवार को राज्यसभा में संसद सदस्यों ने वेतन एवं भत्तों को बढ़ाने संबन्धी लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली संसदीय समिति की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने की मांग उठाकर अपनी मंशा जाहिर कर दी हैं। मसलन उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री द्वारा संसदीय समिति की सिफारिशों पर विचार करने के लिए मंत्रियों के गठित एक समूह पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि जब सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू होगी, तो तब रिपोर्ट की सिफारिशों पर अमल होगा। तो ऐसे में मंत्री समूह गठित करने की क्या जरूरत थी? इसलिये सरकार को चाहिए कि संसद सदस्यों के वेतन भत्तों संबंधी रिपोर्ट पर शीघ्र फैसला किया जाये। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य कैबिनेट सचिव से ऊपर होते हैं इसलिए उन्हें शीर्ष नौकरशाहों को मिलने वाले वेतन से 1000 रुपए अधिक दिया जाना चाहिए। अग्रवाल ने संसदीय समिति की रिपोर्ट संसद में पेश करने की मांग की, तो सदन में अन्य दलों के सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। माकपा के सीताराम येचुरी ने सदन के समक्ष एक समुचित विधेयक लाने का आदेश देने के लिये पीठ से भी आग्रह किया।
क्या है संसदीय समिति की सिफारिशें
भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने सांसदों को हर महीने मिलने वाले 50 हजार रुपए वेतन को बढ़ाकर एक लाख रुपये यानि दोगुना करने की सिफारिश की है। इसी प्रकार अभी तक मिलने वाले संसदीय क्षेत्र भत्ता और कार्यालय भत्ते के 45-45 हजार रुपये, संसद सत्र के दौरान हर रोज दो हजार रुपए दैनिक भत्ते को भी बढ़ाने की सिफारिश की गई है। सांसदों की मांग है कि संविधान के अनुच्छेद 106 में कहा गया है कि संसद सदस्य सरकार के मोहताज नहीं हैं। इसलिये संसद सदस्यों का वेतन एक कैबिनेट सचिव से एक हजार रुपये अधिक होना चाहिए। यदि मोदी सरकार समिति की सिफारिशों पर मुहर लगा देती है तो सांसदों को प्रतिमाह एक लाख रुपये वेतन एवं भत्ते मिलाकर हर माह मौजूदा 1.90 लाख रुपये के बजाय 2.80 लाख रुपये मिलना शुरू हो जायेगा।
सांसदों को मिलती ये सुविधाएं
सांसदों को अन्य सुविधाओं में घर के लिए तीन टेलीफोन लाइन, हर लाइन पर सालाना 50 हजार लोकल कॉल मुफ्त, सरकारी आवास में फर्नीचर के लिए 75 हजार रुपए, पत्नी या किसी और के साथ साल में 34 हवाई यात्राएं मुफ्त, रेल यात्रा के लिए फर्स्ट एसी का टिकट फ्री, घर में सालाना 40 लाख लीटर पानी और सालाना 50 हजार यूनिट बिजली मुफ्त, सड़क यात्रा के लिए 16 रुपए प्रति किलोमीटर का किराया भत्ता, सरकारी अस्पताल मे इलाज मुफ्त, निजी अस्पतालों में इलाज पर भी सरकारी खजाने से वास्तविक खर्च का भुगतान, दिल्ली के पॉश इलाके में फ्लैट या बंगला, वाहन के लिए 4 लाख रुपए तक ब्याज रहित लोन, सरकारी खजाने से कंप्यूटर के लिए 2 लाख रुपए और हर तीसरे महीने पर्दे और सोफा कवर धुलवाने का खर्च मिलता है। दिलचस्प बात है कि सांसदों के वेतन की राशि सभी तरह के करों से मुक्त होती है।
क्या है सांसदों की राय
तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रसून बनर्जी का कहना है कि वह इस बढ़ोतरी के खिलाफ है। हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं,और हमें जो कुछ मिल रहा है, वह पर्याप्त है। वहीं सीपीएम नेता एम राजेश ने कहा कि हमारा साफ मानना है कि वेतन बढ़ोतरी हमारे द्वारा नहीं तय की जानी चाहिए, बल्कि इसके लिए कोई स्वतंत्र निकाय होना चाहिए। कुछ हμते पहले ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अधिकतर सांसद अपनी सैलरी बढ़ाए जाने के पक्ष में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ा दी गई है, सांसदों की तनख्वाह भी बढ़नी चाहिए। वहीं तेलुगु देशम पार्टी के केआर नायडू का तर्क है कि समुचित वेतन से भ्रष्टाचार खत्म होगा। 
20July-2016



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